उन्नत शिक्षण की दी जानकारी टीएलएम से बच्चों को सिखाने के प्रयोग

बिहारशरीफ/नूरसराय : स्थानीय जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में गुरुवार को कला शिक्षण अधिगम सामग्रियों की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. यह आयोजन डायट और यूनिसेफ की ओर से किया गया. इसमें सत्र 2015-17 के प्रशिक्षुओं ने (कला शिक्षण अधिगम सामग्री)टीएलएम के माध्यम से बच्चों को सीखाने के नये प्रयोग किये. अलग-अलग विषय पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 7, 2016 4:43 AM

बिहारशरीफ/नूरसराय : स्थानीय जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में गुरुवार को कला शिक्षण अधिगम सामग्रियों की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. यह आयोजन डायट और यूनिसेफ की ओर से किया गया. इसमें सत्र 2015-17 के प्रशिक्षुओं ने (कला शिक्षण अधिगम सामग्री)टीएलएम के माध्यम से बच्चों को सीखाने के नये प्रयोग किये.

अलग-अलग विषय पर विभिन्न प्रदर्शनी का आयोजन कर प्रशिक्षुओं ने गणित,विज्ञान,हिंदी, पर्यावरण आदि विषयों के जटिल सवालों को सुलझाने का प्रयास किया. प्रदर्शनी को देखते हुए डायट के प्राचार्या डाॅ रश्मि प्रभा ने कहा कि बच्चे किताब से अधिक देख और खूद कर या क्रियाकलाप में भाग लेकर बेहतर सीखते हैं. उन्होंने कहा कि सीखने और सीखाने की प्रक्रिया बहुत तेजी से बदल रही है. ऐसे में शिक्षकों को भी सिखाने की आधुनिक और बेहतर तरीकों को अपनाना होगा.

इसी उद्देश्य से यह कला शिक्षण अधिगम सामग्री प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है. इसमें तार के पत्तों का बाजा, घंटी, झाड़ू को इस तरह से प्रदर्शन किया गया है था कि उसमें गणित के त्रिकोण, चतुर्भुज, समकोण, त्रिभुज के साथ पर्यावरण से संबंधित सवाल को सहजता से समझा जा सकता है. कई प्रशिक्षुओं ने पेड़ पौधे और मानव का जीवनचक्र को दिखाया.

राजू कुमार,राजीव,अखलेश कुमार सिंह,विमल,भगवान दास,प्रशांत प्रियदर्शी,अभिनव, अखलेश कुमार आदि प्रदर्शनी काफी सराहनीय थी. इस अवसर पर व्याख्याता प्रसून कुमार अकेला ने कहा कि शिक्षक को सिर्फ पढ़ाना नहीं बल्कि बच्चों की जीवन संबंधित समस्याओं को सुलझाने लायक बनाना होता है. सुरेश पंडित ने कहा कि एक बेहतर शिक्षक में सीखने और सिखाने की भूख होती है,

जो जीवन भर बढ़ती जाती है. अखलेश्वर प्रसाद ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में नित्य नई खोजें हो रही है, इसलिए शिक्षकों को भी जिज्ञासु और पढ़ाकू होना चाहिए. श्रीकांत प्रसाद ने कहा कि गणित एक जटिल विषय माना जाता है, लेकिन विज्ञान से लेकर दैनिक जीवन इसके बिना नहीं चल सकता है. दूध मापने से लेकर बच्चों के पॉकेट मनी का हिसाब गणित से संबंधित है.

इसलिए गणित को दैनिक जीवन से जोड़कर समझने और सीखने की जरूरत है. इस गायत्री कुमार, गीता कुमारी, यूनिसेफ के ब्रजभूषण प्रसाद वर्मा, प्रशिक्षु प्रशांत प्रियदर्शी, अभिनव कुमार, अमिताव, रंजन, रामाशीष केवट, अजीत कुमार सिंह, अजीत कुमार कौशिक, निष्ठा, चौरसिया जी, भगवान दास, कुमार निरज, स्नेह लता, विकास कुमार आदि मौजूद थे.

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