पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दीजिए, हम आपके साथ हैं : नीतीश
राजगीर / पटना : जदयू के राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे दिन अपने अध्यक्षीय भाषण में नीतीश कुमार ने कहा कि पाकिस्तान से होने वाली घटनाएं पर भारत के द्वारा मुंहतोड़ जवाब देने के किसी भी कार्रवाई में वह और जदयू केंद्र सरकार के साथ है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब […]
राजगीर / पटना : जदयू के राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे दिन अपने अध्यक्षीय भाषण में नीतीश कुमार ने कहा कि पाकिस्तान से होने वाली घटनाएं पर भारत के द्वारा मुंहतोड़ जवाब देने के किसी भी कार्रवाई में वह और जदयू केंद्र सरकार के साथ है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दीजिए लव लेटर मत लिखिए ,हमारी पार्टी आपके के साथ खड़ी है. हमलोग अगर मगर में विश्वास नहीं करते. राष्ट्रीय सुरक्षा ,आतंकवाद से निबटने और विदेश नीति के मामले में पूरी तरह केंद्र के साथ हैं ब्रिक्स सम्मेलन में पीएम के आतंकवाद के मसले पर कही गयी बातों का समर्थन करते हुए कहा कि पीएम जैसा जरूरत समझें हम उनके साथ हैं.
राजनीति करने से रोकने का सुझाव
सर्जिकल स्ट्राइक और सेना की कार्रवाई को समर्थन देते हुए कहा कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इसकी जानकारी दी थी .हमने पूछा कि ऑपरेशन सफल हुआ और उनका जवाब हां में आया तो हमने बधाई दी. लेकिन हम पीएम से अनुरोध करते हैं कि वह किसी भी राजनीतिक दल को इसका श्रेय लेने या इस संबंध में होर्डिग लगाने से रोकें. यह काम ठीक नहीं है इसे देशभक्ति नहीं कहा जा सकता . उन्होंने भाजपा नाम लिये बगैर कहा कि जो पार्टी एेसा कर रही है उन्हें आप रोकिए . यह दूसरों को नहीं सिर्फ आपको रोकना है. आप देश के प्रधानमंत्री हैं ,अकेले भाजपा के नेता नहीं. पूरा राष्ट्र एक है, यदि कोई इस मसले को देश का अंदरूनी राजनीति का हिस्सा बनाना चाहता है तो उसे आप रोकिए.
आपके जय श्री राम से आपत्ति नहीं-नीतीश
उन्होंने कहा कि आप जय श्री राम बोलिए मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन आपके बोलने के तुरंत बाद प्रवीण तोगड़िया ने मंदिर बनवाने की मांग भी कर दी. प्रधानमंत्री के नाम का जिक्र किये बिना कहा कि जिस मुद्दे पर आपको वोट मिले उस पर काम करिये, देश का फायदा, कॉमन सिविल कोड, धारा 370 और मंदिर निर्माण जैसे मुद्दे से नहीं होगा, सबके विकास से होगा. देश का राष्ट्रीय विकास दर सात प्रतिशत पर पहुंच गया है. किसान निराश हो रहे हैं, रोजगार नहीं मिल रहा है. सालाना दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य कहीं नहीं रहा. किसानों की मजबूरी इस बात से समझी जा सकती है कि जाट, पट्टेदार और मराठा जैसी सशक्त खेतिहर वर्ग भी अब आरक्षण की मांग कर रहा है.
देश क्राइसिस के दौर में-सीएम
प्रधानमंत्री को इसे देखना होगा. एग्रेगेरियन क्राइसिस का दौर है. जीएम सरसों को लाया जा रहा है. हमने पहले की सरकार में भी इसका विरोध किया था, वे लोग मान गये अब जीएम सरसों थोपा जा रहा है, जबकि राज्यों की सहमति के बिना इसे लागू नहीं होना चाहिए. हम बिहार में किसी भी कीमत पर इसे लागू नहीं होने देंगे. जीएम सरसों का असर शहद पर भी पड़ेगा. देश अधिक दिनों तक इन चीजों को स्वीकार नहीं करेगा.