बिहारशरीफ : आलू उत्पादन में पूरे सूबे में अव्वल स्थान रखने वाला नालंदा जिला अब दूसरे प्रदेशों के आलू से जहां किसानों की समृद्धि बढ़ती थी, वहीं इसके व्यवसायी भी अच्छी-खासी आमदनी करते थे. विगत दो दशकों से परिस्थितियों ने ऐसी करवट ली कि जिले के किसान आलू उत्पादन से दूर होने लगे. हेगनपुरा के किसान महेंद्र प्रसाद ने बताया कि महंगे खाद-बीज के कारण आलू की लागत बढ़ गयी है. मजदूरी भी नहीं निकल पाती है. बड़ी पहाड़ी मोहल्ले के आलू उत्पादक वृजनंदन प्रसाद ने कहा कि कइ बार आलू की कीमत इतनी कम हो जाती है कि किसानों को अपना आलू कोल्ड स्टोरेज में ही छोड़ देना पड़ता है.
आशानगर के किसान छोटे लाल तथा सोहडीह के किसान राजेश कुमार ने बताया कि जिले में कोल्ड स्टोरेज की कमी के कारण भी किसान आलू उपजाना नहीं चाहते हैं. कई बार ऐसी नौबत भी आ चुकी हे कि सभी कोल्डस्टोरेज भर जाने के कारण हजारों किसानों के लाखों टन आलू खेत तथा घरों में ही रखे-रखे सड़ गये. जिले के किसान आलू की खेती से मुंह मोड़ने लगे हैं.