आमलोगों की थाली में परोसी जायेंगी ताजी मछलियां, खुशी

उद्यमियों को अनुदान पर मिलेंगे वाहन मार्केटिंग के लिए लोगों को मिलेगा बढ़ावा बिहारशरीफ : जिले के लोगों को अब आसानी से स्थानीय ताजी मछली उपलब्ध हो जायेगी. कम कीमत में हर लोगों की थाली में व्यंजन के रूप में मछली दिखाई देगी. इसकी व्यवस्था की जा रही है. इस कार्य को मूर्त रूप देने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 9, 2016 4:58 AM

उद्यमियों को अनुदान पर मिलेंगे वाहन

मार्केटिंग के लिए लोगों को मिलेगा बढ़ावा
बिहारशरीफ : जिले के लोगों को अब आसानी से स्थानीय ताजी मछली उपलब्ध हो जायेगी. कम कीमत में हर लोगों की थाली में व्यंजन के रूप में मछली दिखाई देगी. इसकी व्यवस्था की जा रही है. इस कार्य को मूर्त रूप देने के लिए जिला मत्स्य विभाग ने कार्य योजना बनायी है. जिले के मत्स्य विभाग द्वारा अनुसूचित जाति व जनजाति के आम लोगों को इस उद्योग में बढ़ावा देने के लिए पहली बार विशेष योजना की शुरुआत की गयी है. इस योजना के शुरू हो जाने पर जहां इनकी आमदनी में बढ़ोतरी होगी. वहीं जिले के उत्पादित ताजी मछली का स्वाद लेने में आसानी हो जायेगी.
सरकार द्वारा मध्य विभाग के माध्यम से चयनित अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को 90 प्रतिशत अनुदान पर वाहन उपलब्ध कराया जायेगा. मछली उद्यमियों को थ्री व्हीलर व फोर व्हीलर व आइस बॉक्स उपलब्ध कराया जायेगा. इससे जिले में उत्पादित ताजी मछलियों का स्वाद का सुदूरवर्ती क्षेत्र के उपभोक्ता भी उठा सकेंगे. इस आइस बॉक्स में करीब आठ से नौ घंटे तक मछली को ताजा रखी जा सकती है. सरकार का लक्ष्य चालू वित्तीय वर्ष में तीन फोर व्हीलर, 6 थ्री व्हीलर व 18 मोपेड आइस बॉक्स लगा वाहन उपलब्ध कराया जायेगा. राज्य सरकार मोपेड सह आइस बॉक्स पर 40 हजार, थ्री व्हीलर पर दो लाख 40 हजार एवं फोर व्हीलर पर 4 लाख 40 हजार मूल्य निर्धारित किया गया है. इस पर राज्य सरकार 90 प्रतिशत अनुदान देगी.
आवेदन लेने की शुरुआत कर दी गयी है. अनुसूचित जाति के उद्यमियों को जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, शपथ पत्र, मत्स्य विभाग कार्यालय में शीघ्र ही उपलब्ध कराने को कहा गया है.
आंध्रप्रदेश पर निर्भरता कमेगी :
जिले में मछली उत्पादन में वृद्धि से आम लोगों को स्थानीय रूप से ही ताजा मछली उपलब्ध होने लगेगी. इससे लोगों की मछली के लिए आंधप्रदेश पर निर्भरता में कमी आयेगी. अभी तक आंध्रपेदश से ही ज्यादातर मछलियां यहां आती थी. इस व्यवस्था से अब जिले के लोग स्वयं ही मछली उत्पादन कर आत्मनिर्भर बन सकेंगे.
क्या कहते हैं अधिकारी
किसानों की खेती के अतिरिक्त मत्स्य उद्योग को बढ़ावा देने पर विशेष बल दिया गया है. अपने भूमि के 10 से 20 प्रतिशत में तालाब निर्माण कर अपने आय में वृद्धि करें और कई लोगों को इस रोजगार में जोड़ा जा सकता है.
प्रेम कुमार सिन्हा, जिला मत्स्य पदाधिकारी

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