बाजारों में बिक रहा ब्लू केराेसिन

बिहारशरीफ : केराेसिन की कालाबाजारी कोई नयी बात नहीं है. आज भी बदस्तूर जारी है. कालाबाजारी को रोकने के लिए हर प्रयास विफल साबित हो रही है. यही कारण है कि ब्लू रंग का केराेसिन मार्केट में खुले में बिक्री हो रही है. जबकि ब्लू रंग का केराेसिन की आपूर्ति सरकार के द्वारा सिर्फ पीडीएस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 4, 2017 3:21 AM

बिहारशरीफ : केराेसिन की कालाबाजारी कोई नयी बात नहीं है. आज भी बदस्तूर जारी है. कालाबाजारी को रोकने के लिए हर प्रयास विफल साबित हो रही है. यही कारण है कि ब्लू रंग का केराेसिन मार्केट में खुले में बिक्री हो रही है. जबकि ब्लू रंग का केराेसिन की आपूर्ति सरकार के द्वारा सिर्फ पीडीएस यानी जनवितरण प्रणाली के दुकानदारों के माध्यम से ही की जाती है. सिर्फ पीडीएस से ही जब सप्लाइ करने को प्रावधान है, तो बाजारों में जो केराेसिन की बिक्री हो रही है,

उसका स्रोत क्या है! अमूमन अंदाजा लगाया जा सकता है. वैसे जिले में केराेसिन की गंगा बह रही है. पीडीएस व ठेला वेंडर को मिला कर हर महीने 15 लाख 89 हजार 26.90 लीटर का आवंटन हो रहा है. जिले के सात लाख 12 हजार 804 परिवारों को उक्त केरोसिन की आपूर्ति हर महीने किये जाते हैं. इतनी बड़ी मात्रा में हर महीने आपूर्ति वैसे परिवारों को दिये जाते हैं, जिसे जरूरत है. हालांकि कुछ वर्षों से दैनिक जीवन स्तर में काफी बदलाव आया है.

गांव में भी एलजीपी से खाना पकाये जानेवाले परिवारों की संख्या में इजाफा हुआ है. अभी गांव व वैसे परिवार जिसके घर में बिजली की आपूर्ति नहीं है उसके घर में ही ढिबरी व लालटेन का इस्तेमाल हो रहा है. केराेसिन पर अंडा बेचने, खोमचावाले लोग ही ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. घर या होटलों में कोयला पर खाने पकानेवाले लोग ही केराेसिन का इस्तेमाल चूल्हा जलाने में कर रहे हैं.

खुले बाजार में 35 से 40 रुपये लीटर : खुले बाजार में केराेसिन की बिक्री 35 से 40 रुपये किये जाते हैं. जबकि पीडीएस में सरकारी रेट प्रति लीटर 18 रुपये है. सरकारी गेट का गैपिंग का फायदा दुकानदार से लेकर केराेसिन पहुंचाने में संलग्न लोग उठा रहे हैं.
एपीएल व बीपीएल दोनों को मिलते हैं केराेसिन : गरीब हो या अमीर जिसके पास राशन कार्ड है, उसे हर महीने कार्ड पर सामान्य मात्रा में केराेसिन दिये जाते हैं. ग्रामीण क्षेत्र में प्रति कार्ड पर 2.40 लीटर हर महीने दिये जाते हैं. इसी प्रकार शहरी क्षेत्र में प्रति कार्डधारी को हर माह एक लीटर केराेसिन दिये जाते हैं. पांच साल पहले जिले को हर महीने 19 लाख लीटर केराेसिन का आवंटन जिले को प्राप्त होता था. हाल के वर्षों में सरकार के द्वारा उपभोक्ताओं को दिये जानेवाले केराेसिन की मात्रा में कटौती की गयी है.
शहरी क्षेत्र के उपभोक्ताओं को पहले दो लीटर दिये जाते थे, जिसे घटा कर एक लीटर कर दिया गया है. इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्र में ढाई लीटर से घटा कर 2.40 लीटर कर दिया गया है.
प्रखंड कुल उपभोक्ताओं की संख्या आवंटन (हर माह)
बिहारशरीफ 52203 125287.20
रहुई 37383 89719.20
हरनौत 49197 118072.80
अस्थावां 37353 89644.80
सरमेरा 21256 51014.40
बिन्द 21256 33110.40
नूरसराय 38091 91418.40
नगर निगम,बिहारशरीफ 80179 80719.00
हिलसा 34887 83728.00
करायपरसुराय 17066 40958.80
एकंगरसराय 48962 117508.80
थरथरी 16248 38995.20
चंडी 40134 97536.00
नगरनौसा 24728 59347.00
परबलपुर 16872 40492.00
इस्लामपुर 53035 127284.00
राजगीर 24834 59601.60
सिलाव 26652 63964.80
बेन 17931 43034.00
गिरियक 19797 47512.80
कतरीसराय 9817 23560
हर महीने 15 लाख 89 हजार केराेसिन का आवंटन
क्या कहते हैं अधिकारी
केराेसिन की कालाबाजारी बहुत हद तक कम हो गयी है. कूपन के आधार पर केराेसिन उपभोक्ताओं को दिये जाते हैं. जितना कूपन जमा करते हैं दुकानदार को उसी अनुसार आवंटन दिये जाते हैं.
जयशंकर उरांव, डीएसओ, नालंदा

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