पीड़िता व उसकी बहनों का बयान दर्ज

बिहारशरीफ : जिला न्यायालय के पाक्सो स्पेशल प्रथम एडीजे शशिभूषण प्रसाद सिंह के समक्ष नाबालिग छात्रा दुष्कर्म कांड में पीड़िता व उसकी दो बहनों का 164 के तहत बयान दर्ज करनेवाली तृतीय एसीजेएम रेशमा वर्मा का इस मामले के 18 वें गवाह के रूप में परीक्षण किया गया. परीक्षण के दौरान अभियोजन पक्ष से अधिवक्ता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 8, 2017 8:49 AM
बिहारशरीफ : जिला न्यायालय के पाक्सो स्पेशल प्रथम एडीजे शशिभूषण प्रसाद सिंह के समक्ष नाबालिग छात्रा दुष्कर्म कांड में पीड़िता व उसकी दो बहनों का 164 के तहत बयान दर्ज करनेवाली तृतीय एसीजेएम रेशमा वर्मा का इस मामले के 18 वें गवाह के रूप में परीक्षण किया गया.
परीक्षण के दौरान अभियोजन पक्ष से अधिवक्ता जितेंद्र कुमार, स्पेशल पीपी सोमेश्वर दयाल व कैसर इमाम ने गवाह कोर्ट के समक्ष इस बयान एग्जीविट किया कि पीड़िता व उसकी दोनों बड़ी बहनों का सीआरपीसी की धारा 164 के तहत 11 फरवरी, 2016 को बयान दर्ज करते हुए उसे लेखांकित किया था. बयान पूरा होने के बाद सभी से पढ़वा कर उस पर हस्ताक्षर भी लिया गया था.
आरोपित राजबल्लभ पक्ष से अधिवक्ता वीरेन कुमार व कमलेश कुमार ने प्रतिपरीक्षण किया. इनके द्वारा मुख्य रूप से पीड़िता तथा अन्य गवाह ने राजबल्लभ सहित घटनास्थल का नाम बताया. आरोपित को कोर्ट में पहचान करने की बात कही. इस मामले की महिला आरोपितों सुलेखा व छोटी ने पीड़िता से पार्टी में जाने के लिए जिद किया था. क्या गिरियक से बख्तियारपुर आने-जाने की गाड़ी नंबर व ड्राइवर के नाम बयान में बताये, क्या इनके बयान का शपथ पत्र लिया गया था.
इन सभी के जवाब नकारात्मक थे. बयान में किसी ने भी न तो आरोपित राजबल्लभ का नाम लिया और न ही पथरा इंग्लिश का और न तो देख कर पहचानने का बयान दिया. गौरतलब है कि अनुसंधानकर्ता सहित कई पुलिस अधिकारियों ने पाक्सो अधिनियम के खिलाफ जाकर वरदी में किसी अनजान व्यक्ति के मोबाइल से फोटो से पहचान करायी तथा पीड़िता को घटनास्थल पर ले जाकर दूर से ही आरोपित की पहचान करा अनुसंधान में राजबल्लभ प्रसाद को आरोपित बनाया गया, जबकि बयान तथा प्राथमिकी में घटना स्थल को गिरियक का चार मंजिला मकान बनाया गया है.
आज पीड़िता के पिता का बयान दर्ज करने वाले जेएम स्वर्ण प्रभात का 19 वें गवाह के रूप में परीक्षण किया जायेगा. वीरमणी कुमार अधिवक्ता ने सहयोग किया जबकि अन्य महिला आरोपितों के पक्ष में अधिवक्ता संजय कुमार ने इसी प्रतिपरीक्षण को स्वीकार कर कायम रखते हुए आगे कोई प्रतिपरीक्षण नहीं किया.

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