निजी स्कूलों का कराएं रजिस्ट्रेशन
अनदेखी. जिले के 642 स्कूलों में से 254 का ही हुआ है पंजीकरण गरीब छात्रों को नहीं मिल रहा लाभ स्कूलों के भौतिक सत्यापन के बाद ही होगा रजिस्ट्रेशन बिहारशरीफ : जिले के निजी विद्यालयों को रजिस्ट्रेशन कराने में रुचि नहीं रहने के कारण गरीब छात्र-छात्राओं को सरकार के आरटीइ अधिनियम का लाभ नहीं मिल […]
अनदेखी. जिले के 642 स्कूलों में से 254 का ही हुआ है पंजीकरण
गरीब छात्रों को नहीं मिल रहा लाभ
स्कूलों के भौतिक सत्यापन के बाद ही होगा रजिस्ट्रेशन
बिहारशरीफ : जिले के निजी विद्यालयों को रजिस्ट्रेशन कराने में रुचि नहीं रहने के कारण गरीब छात्र-छात्राओं को सरकार के आरटीइ अधिनियम का लाभ नहीं मिल रहा है. गरीब परिवार के बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ने की हसरतें भी पूरी नहीं हो रही हैं.
हालांकि कायदे-कानून को ताक पर रखकर निजी विद्यालय चलाने वालों पर शिक्षा विभाग की कार्रवाई भारी पड़ने वाली है. जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा जिले के सभी निजी विद्यालयों को जल्दी से जल्दी रजिस्ट्रेशन कराने का निर्देश जारी किया गया है.
इसके लिए सभी प्रखंडों में बीइओ को प्रखंड क्षेत्र के निजी विद्यालयों का भौतिक सत्यापन कर जिला शिक्षा कार्यालय को रिपोर्ट सौपने का निर्देश दिया गया है. हालांकि जिले में चलाये जा रहे छोटे-बड़े लगभग एक हजार निजी विद्यालयों में से कुल 642 विद्यालयों द्वारा रजिस्ट्रेशन के लिए डीईओ कार्यालय को आवेदन भी दिया गया है.
इनमें से 254 निजी विद्यालयों को विभाग द्वारा प्रस्वीकृत्ति भी प्रदान कर दी गई है.आवेदन देने वाले अन्य विद्यालयों का आवेदन किसी न किसी कारण से महीनों से धूल फांक रहा है.
इधर,विभागीय सूत्रों की मानें तो आवेदन देने वाले निजी विद्यालयों द्वारा कई महत्वपूर्ण नियमों का पालन नहीं किये जाने के कारण उन विद्यालयों के आवेदनों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है.प्रखंड जिला पदाधिकारी के भौतिक सत्यापन रिपोर्ट के आधार पर ही ऐसे सभी निजी स्कूलों को विभाग द्वारा मान्यता प्रदान की जाएगी. वर्तमान में विभाग द्वारा आवेदन देने वाले निजी विद्यालयों का डाटा कंप्यूटर में डाला जाएगा.जल्दी ही निजी विद्यालयों की प्रस्वीकृत्ति के लिए विभागीय समिति की बैठक भी आयोजित की जाएगी.
राईट टू एजुकेशन का नहीं मिला रहा लाभ :
निजी विद्यालयों के रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाने के कारण जिले के गरीब परिवार के बच्चों को निजी विद्यालयों में पढ़ने की हसरत पूरी नहीं हो पा रही है.
निजी विद्यालयों द्वारा रजिस्ट्रेशन कराया गया है, वहां भी गरीब परिवार के बच्चों का एक निित अनुपात तक ही एडमिशन लेने का नियम है, उपर से कई विद्यालयों द्वारा अभी भी इसका पालन नहीं किया जा रहा है. ऐसे में जिले में राईट टू एजुकेशन अधिनियम का पूर्ण रूपेण पालन नहीं हो पा रहा है. कई निजी विद्यालय संचालकों ने बताया कि बिना रजिस्ट्रेशन के यदि गरीब बच्चों का एडमिशन ले भी लिया जाता है. तो सरकार द्वारा उनका शुल्क नहीं दिया जायेगा.
रजिस्ट्रेशन संबंधी सख्त नियमों से हो रही देरी
निजी विद्यालयों के रजिस्ट्रेशन के लिए बनाये गये सख्त नियमों के कारण भी या तो निजी विद्यालय आवेदन करना नहीं चहाते है.अथवा आवेदन संचालकों ने इस संबंध में बताया कि रजिस्ट्रेशन के लिए ट्रस्ट का निर्माण विद्यालय का भवन, संपर्क पथ, प्रवेश तथा निकास द्वार, चहारदीवारी, कमरों का आकार, बुनियादी सुविधाएं, सुरक्षा के बंदोबस्त आदि ऐसे कई बिंदु हैं,जिनपर कई निजी विद्यालय खरे नहीं उतरते है. विशेषरूप से छोटे विद्यालय रजिस्ट्रेशन के पचड़ो से दूर रहने में ही अपनी भलाई समझ रहा है.
क्या कहते है अधिकारी
निजी विद्यालयों के रजिस्ट्रेशन के लिए जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा पहल किया जा रहा है. जिन विद्यालयों द्वारा आवेदन दिया गया है. उनका बी.ई.ओ द्वारा भौतिक सत्यापन किया जा रहा है. सभी मापदंडों पर खरा उतरने वाले निजी विद्यालयों को शीघ्र ही प्रस्वीकृत्ति प्रदान कर दी जाएगी. रजिस्ट्रेशन नहीं कराने वाले निजी विद्यालयों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
डॉ संगीता सिंहा,प्रभारी डीइओ, नालंदा.