फ्लोराइड से सबसे ज्यादा प्रभावित प्रखंड सिलाव, राजगीर व बेन
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161 गांवों के पानी में फ्लोराइड ज्यादा
फ्लोराइड से सबसे ज्यादा प्रभावित प्रखंड सिलाव, राजगीर व बेन प्रभावित क्षेत्रों में विश्व बैंक की मदद से बनाये जा रहे जलापूर्ति केंद्र बिहारशरीफ : जिले के 161 गांवों के पानी में फ्लोराइड की मात्रा पायी गयी है. ऐसे छिटपुट तरीके से कई प्रखंडों के पानी में फ्लोराइड की मात्रा पायी गयी. मगर जिले के […]
प्रभावित क्षेत्रों में विश्व बैंक की मदद से बनाये जा रहे जलापूर्ति केंद्र
बिहारशरीफ : जिले के 161 गांवों के पानी में फ्लोराइड की मात्रा पायी गयी है. ऐसे छिटपुट तरीके से कई प्रखंडों के पानी में फ्लोराइड की मात्रा पायी गयी. मगर जिले के फ्लोराइड प्रभावित प्रखंडों में सिलाव, राजगीर व बेन शामिल हैं.
हैंडपंप से निकलने वाली पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा मिलती हैं. इस बात को ध्यान में रखकर विश्व बैंक के सहयोग से फ्लोराइड प्रभावित प्रखंडों में जलापूर्ति केंद्र बनाये गये हैं.
इसके लिए सिलाव व राजगीर में बहुग्रामीण पेयजलापूर्ति योजना पर तेजी से काम हो रहा है. इस योजना से इन प्रखंडों की करीब 25 पंचायतों के गांवों में पेयजल की आपूर्ति की जायेगी.
फ्लोरोसिस का बढ़ता जा रहा था खतरा:
फ्लोराइडयुक्त पानी पीने से फ्लोरोसिस एवं अन्य जल विषाक्तता से जुड़ी बीमारियां लोगों को घेरती जा रही थी. इन बीमारियों से ग्रस्त होने वालों में बच्चों की संख्या अधिक थी.
फ्लोरोसिस एक ऐसी बीमारी है, जो बच्चों की हड्डियों एवं दांतों को कमजोर बना देती हैं. यहीं नहीं, पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा के कारण महिलाओं को थायराइड और गुर्दे से संबंधित बीमारियां हो रही थी. फ्लोराइड की अधिक मात्रा गुर्दे के उत्तकों एवं एंजाइम की क्रियाकलाप को प्रभावित करने लगती हैं. फ्लोरोसिस से सर्वाधिक प्रभावित होने वालों में सात से 12 वर्ष आयु वर्ग के बच्चे हैं, जो दांत संबंधी फ्लोरोसिस से ग्रस्त हैं.
हैंडपंपों में लगाये गये थे फिल्टर:
हैंडपंपों से निकलने वाले पानी को फ्लोराइड मुक्त बनाने के लिए कई जगह फिल्टर भी लगाये गये. मगर ये फिस्टर फ्लोराइड की कम मात्रा होने पर ही काम करती थीं. फ्लोराइड की अधिक मात्रा होने पर काम नहीं करती थी.
पांच से छह पीपीएम तक फ्लोराइड रहने पर ही यह फिल्टर काम करता है. हैंडपंप के पानी में दस पीपीएम फ्लोराइड होने पर यह फिल्टर काम नहीं कर पाता है. पानी में 1.5 पीपीएम तक फ्लोराइड की मात्रा को सामान्य माना जाता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
जिले में 161 गांव फ्लोराइड प्रभावित है. फ्लोराइड प्रभावित मुख्यत: जिले के तीन प्रखंड सिलाव, राजगीर व बेन है. फ्लोराइड प्रभावित गांव के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए विश्व बैंक के सहयोग से पेयजलापूर्ति की व्यवस्था की जा रही है. सिलाव व राजगीर में बहुग्रामीण पेयजलापूर्ति योजना पर तेजी से काम हो रहा है.
मनोज कुमार, कार्यपालक अभियंता, पीएचइडी, बिहारशरीफ
क्या कहते हैं प्रभारी सीएस
”पानी में .7 से 1.2 मिलिग्राम प्रति लीटर फ्लोराइड होना सामान्य माना जाता है. इससे अधिक मात्रा होने पर वह बीमारियां पैदा करती है. इससे फ्लोरेसिस नामक बीमारी हो जाती है. इस बीमारी का प्रारंभिक लक्षण दांत का भूरा होना है और अधिक जटिल होने पर आदमी नरकंकाल की तरह हो जाता है. इस क्षे0 में फ्लोरेसिस बीमारी सबसे ज्यादा भयावह स्थिति में शेखपुरा के चोर बिगहा गांव में हैं.”
डॉ ललित मोहन प्रसाद, प्रभारी सिविल सर्जन, नालंदा
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