नालंदा जांता सतू की सौंधी खुशबू पहुंची कनाडा
मुहिम. दिल्ली में हो रही मार्केटिंग, चाव से खा रहे लोग, संपन्न हो रहीं गरीब महिलाएं नालंदा की 772 महिला दीदी जांता सत्तू के निर्माण से है जुड़ी हैं एक महिला चार घंटे में कमा रही 224 रुपये नाबार्ड कर रहा प्रोमोट, अन्य जिलों में ब्रांच खोलने की हो रही तैयारी बिहारशरीफ : वर्ष 2016 […]
मुहिम. दिल्ली में हो रही मार्केटिंग, चाव से खा रहे लोग, संपन्न हो रहीं गरीब महिलाएं
नालंदा की 772 महिला दीदी जांता सत्तू के निर्माण से है जुड़ी हैं
एक महिला चार घंटे में कमा रही 224 रुपये
नाबार्ड कर रहा प्रोमोट, अन्य जिलों में ब्रांच खोलने की हो रही तैयारी
बिहारशरीफ : वर्ष 2016 के अगस्त माह में जब नालंदा खंडहर का नाम विश्व धरोहर की सूची में शामिल हुआ, डीडीसी कुंदन कुमार के प्रयास से नालंदा नाम को ब्रांडिंग करने के उद्धेश्य से चंडी के अनंतपुर गांव में सत्तू निर्माण की योजना बनायी गयी. शुरूआत में 190 महिलाओं का समूह बनाकर जांता सत्तू निर्माण किया जाने लगा. इन महिलाओं को करीब एक महीने तक ट्रेनिंग देकर वहां 50 जांता इस्टॉल किया गया. नालंदा का यह जांता सत्तू अब धूम मचा रहा है. नालंदा व पटना इस सत्तू की खूब बिक्री होने के बाद अब इसकी मार्केटिंग दिल्ली में हो रही है. क्वालिटी कंट्रोल बोर्ड के साथ ही इसके लिए इंडस्ट्री लाइसेंस भी प्राप्त कर लिया गया है.
190 महिलाओं से शुरूआत होने के बाद आज नालंदा जांता सत्तू के उत्पादन से जिले 772 महिलाएं जुड़ी है. यह सत्तू कनाडा, युगांडा, अमेरिका, ब्राजील से लेकर मलेशिया तक पहुंच गया है. इन दिशों से नालंदा के जांता सत्तू की डिमांड हो रही है. 50 जांता से शुरू हुआ निर्माण कार्य अब 150 जांता तक पहुंच गया है. अब दूसरे जिलों में भी इसके ब्रांच खोलने की तैयारी अंतिम चरण में है. किशनगंज में इसके लिए 500 महिलाओं को ट्रेंड कर 100 जांता इस्टॉल किये जा चुके है.
कई जिलों में हो रही सत्तू की सप्लाइ: नालंदा जांता सतू की लांचिंग राजगीर के अंतराष्ट्रीय कंवेशन सेंटर में जनवरी 2017 में ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने किया था. तब से लेकर अब तक इसकी डिमांड बढ़ती जा रही है. फिलहाल पटना, आरा, नालंदा, वैशाली, छपरा एवं बेगुसराय जिले में इसकी सप्लाई हो रही है. पटना के सभी बड़े मॉलों मे नालंदा जांता सतू उपलब्ध है. इस महीने के अंत तक बिग बाजार, अमेजन , बिग बास्केट आदि मे भी नालंदा जांता सतू उपलब्ध हो जायेगा. इसके लिए बातचीत अंतिम चरण में है.
फिलहाल नालंदा जांता सत्तू का निर्माण हरनौत के नेहुसा, चंडी के माधोपुर अनंतपुर, सिलाव के जुनैदी व किशनगंज अरवल के करमलिया बिगहा में नालंदा जांता सत्तू का निर्माण शुरू हो जायेगा. इसके लिए 300 महिलाओं का ग्रुप बनाया जा चुका है. उत्पादन कार्य से जीविका समूह की महिलाएं एवं मनेरगा वन पोषक महिलाएं जुड़ी हुई है. नालंदा जांता सत्तू को प्रोमोट करने का जिम्मा हरनौत प्रखंड के नेहुसा गांव के क्षितिज एग्रो टेक को है. शुरूआत में नालंदा जांता सत्तू प्लास्टिक के पैकेट में आता था, अब डिब्बे में भी आने लगा है. पैकेट 250 ग्राम का जबकि एक किलो का होता है.
नालंदा जांता सतू के लाभ :
लू से बचाव, मोटपे का दुश्मन, स्वादिष्ट व पौष्टिक, एलर्जी रोधक, प्रोटीन का स्त्रोत, गैस निवारक, रक्तचाप का नियंत्रण, लीवर को मजबूत बनाता है, मधुमेह निवारक, गर्भावस्था के दौरान उल्टी के रोकथाम में कारगर.
संवर रही ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी
सत्तू निर्माण से जूड़ी महिलाएं घर काम काज संभालने के बाद फुरसत के क्षणों का उपयोग इसमें कर रही है. इन महिलाओं को एक किलो सत्तू पीसने के लिए 32 रूपया दिया जाता है. एक महिला तीन से चार घंटे में सात से आठ किलो सत्तू पीस लेती है. तीन से चार घंटे में एक महिला 224 रूपये कमा लेती
है. इस कमाई से गरीब महिलाओं की जिंदगी संवर रही है.
अधिकारी के अनुसार
मशीन से पीसे सतू में पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते है, जबकि जांता से पीसे होने के कारण इसमें सभी पोषक तत्व मौजूद रहते है. जिसके कारण इसका टेस्ट बहुत अच्छा हे. इस सतू की मार्केटिंग पटना व दिल्ली में की जा रही है. मांग को पूरा करने के लिए दूसरे जिलों में भी उत्पादन सेंटर बनाये जा रहे है.
अनिल कुमार, सीएमडी, क्षितिज एग्रो टेक, नेहुसा
क्या कहते है डीडीसी:
नालंदा जांता सतू से अधिक से अधिक महिलाओं को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. दूसरे जिलों में भी इसके ब्रांच खोलने की तैयारी पूरी हो चुकी है. आगे से इसके पैकेट में रेशिपी बुक डाला जायेगा, जिससे कि बिहार के बाहर के लोग भी नालंदा के सतू की खूबियों को जान सके. सतू के फ्लेवर में चेंज करने का प्रयास भी किया जा रहा है.
डीडीसी कुंदन कुमार