गंगाजल उद्वह योजना का निरीक्षण करने राजगीर पहुंचे सीएम नीतीश कुमार, अधिकारियों को दिया निर्देश
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सबसे पहले नवादा स्थित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से शुद्ध जल के भंडारण के लिए पंप हाउस का स्थलीय निरीक्षण किया. इसके बाद मुख्यमंत्री गिरियक प्रखंड के घोड़ा कटोरा पहुंचे जहां उन्होंने रिजर वायर ( डैम) का निरीक्षण किया.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार को गया में तेतर जलाशय का उद्घाटन करने के बाद गिरियक प्रखंड स्थित घोड़ा कटोरा में गंगाजल उद्वह योजना का निरीक्षण करने पहुंचे. इस दौरान मुख्यमंत्री ने योजना से जुड़े वरीय अधिकारियों को समय पर कार्य को पूरा करने के लिए आवश्यक निर्देश दिए.
पंप हाउस का स्थलीय निरीक्षण किया
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आगमन को लेकर राजगीर से लेकर गिरियक तक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी. सबसे पहले मुख्यमंत्री ने नवादा स्थित मोतनाज़े में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से शुद्ध जल के भंडारण के लिए पंप हाउस का स्थलीय निरीक्षण किया. इसके बाद मुख्यमंत्री गिरियक प्रखंड के घोड़ा कटोरा पहुंचकर रिजर वायर ( डैम) का निरीक्षण किया.
जल संग्रह क्षमता 9.915 एमसीएम है
गंगाजल उद्भव योजना के अंतर्गत रिज़र वायर की जल संग्रह क्षमता 9.915 एमसीएम है. इसकी लंबाई 2.13 किलोमीटर और ऊंचाई 15 मीटर है. चौड़ाई टॉप 6 मीटर से 130 मीटर तक है. फिलहाल योजना के अनुरूप राजगीर क्षेत्र में कुछ जगहों पर वाटर सप्लाई की जा रही है, जबकि कुछ स्थानों पर अभी भी कार्य बाकी है. इसी को लेकर मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए कहा कि जल्द से जल्द सभी स्थानों पर गंगाजल पहुंचाएं, जिससे पेयजल की समस्या उत्पन्न न हो.
कनेक्शन का कार्य लगभग पूरा
इस योजना के तहत राजगीर क्षेत्र के अधिकांश घरों में पेयजल आपूर्ति को लेकर कनेक्शन का कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है एवं कुछ स्थानों पर अभी कार्य तेजी से चल रहा है. इस योजना के अंतर्गत घोड़ाकटोरा में पाइप लाइन के जरिए आए गंगाजल के संग्रह के लिए डैम बनाया गया है. इस योजना के अंतर्गत नालंदा, गया, बोधगया एवं नवादा शहरों में सालों भर गंगाजल की आपूर्ति पेयजल के रूप में की जायेगी.
पेयजल के रूप में वितरण किया जाएगा
लगातार भूगर्भ जलस्तर में हो रहे गिरावट, बढ़ती जनसंख्या एवं निर्मित महत्वपूर्ण संस्थानों एवं देश-विदेश के पर्यटकों के सालों भर आगमन को ध्यान में रखते हुए गंगा नदी के जल को मानसून अवधि में 4 माह जुलाई से अक्टूबर के बीच में घोड़ा कटोरा डैम में एकत्रित किया जाएगा. फिर उसी एकत्रित पानी को जल संयंत्रों द्वारा शोधन करके अगले 8 माह तक इन क्षेत्रों में पेयजल के रूप में वितरण किया जाएगा. जल भंडारण के फलस्वरुप पूरे क्षेत्र में भूगर्भ जल का रिचार्ज भी होगा. जल शोधन कर राजगीर, बोधगया क्षेत्रों में पीने के लिए इस्तेमाल किया जाना है. जिससे गर्मी के दिनों में पेयजल की समस्या से जूझ रहे इन क्षेत्रों में समस्या का निराकरण होगा.
357 एकड़ भूमि अधिग्रहण किया गया
जल संसाधन विभाग इन स्थानों पर पेयजल के रूप में गंगा जल पहुंचाने की योजना पर काम कर रहा है. इस योजना के अंतर्गत मोकामा के मरांची से घोड़ा कटोरा तक करीब 90 किलोमीटर पाइप लाइन बिछायी गयी है. घोड़ा कटोरा में 22 एकड़ भूमि को अधिग्रहित कर डब्ल्यूटीपी एवं डिटेंशन कैंप कृत्रिम डैम बनाया गया है, जबकि इस प्रोजेक्ट के लिए 357 एकड़ भूमि अधिग्रहण किया गया है.
गंगाजल जलापूर्ति एक नजर में
पहले चरण में मरांची गांव के निकट से गंगाजल को लिफ्ट कर मराची-सरमेरा-बरबीघा-गिरियक, गिरियक-राजगीर, गिरियक-वानगंगा-तपोवन-जेठियन-बिकैयपुर-दशरथ मांझी टोला के पास, बजीरगंज-गया के रास्ते पाइप लाइन के माध्यम से गया, बोधगया तक पाइप बिछाने का अंतिम चरण में है. राजगीर के लिए पेयजल के रूप में गंगाजल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी. इसमें राजगीर के घोड़ा कटोरा क्षेत्र में 9.81 एमसीएम यानि मिलियन क्यूबिक मीटर की क्षमता का जलाशय, गया के तेतर में 18.53 एमसीएम और अबगिल्ला पहाड़तल्ली में 1.29 एमसीएम की क्षमता का जलाशय तैयार किया जा रहा है.