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बरसात में 14 किलोमीटर लंबा हो जाता है इस गांव का रास्ता

बरसात के दिनों में ग्रामीण गांव से 14 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय कर स्कूल, अस्पताल व प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचते हैं. गांव से प्रखंड मुख्यालय, अस्पताल, पुलिस थाना समेत स्कूल जाने के रास्ते बरसात के दिनों में बंद हो जाते हैं.

सिलाव (नालंदा) : स्थानीय प्रखंड क्षेत्र के गोरमा पंचायत अंतर्गत हाफीचक गांव 70 वर्ष बाद भी सड़क से नहीं जुड़ी है. बरसात के दिनों में ग्रामीण गांव से 14 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय कर स्कूल, अस्पताल व प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचते हैं. गांव से प्रखंड मुख्यालय, अस्पताल, पुलिस थाना समेत स्कूल जाने के रास्ते बरसात के दिनों में बंद हो जाते हैं. सड़क के अभाव में बरसात के दिनों में यहां के ग्रामीण गांव में किसी की मृत्यु होने पर उसका शव को गांव में ही जलाते हैं.

प्रशासन की ओर से हर घर में जल नल, हर गांव में गली-नाली आदि जैसी योजनाएं चलाकर गांव-गांव में सुविधा और विकास उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं हाफीचक गांव को दो भागों में बांट कर यहां के एक बहुत बड़ी आबादी को सरकारी सुविधा और विकास से महरूम कर दिया गया है.

यहां के ग्रामीणों का कहना है कि गांव के वार्ड 11 व 12 में प्रशासन व जनप्रतिनिधि विकास का काम नहीं कर रहे हैं. नतीजतन यहां के ग्रामीणों को पीने का पानी के लिए आधा किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. गांव के प्रभु पासवान, रामचंद्र प्रसाद, नरेश चौधरी, वाल्मीकि प्रसाद, रामनरेश कुशवाहा, कृष्णा चौधरी, शिव नंदन पासवान, अरविंद कुमार, चंदेश्वर चौधरी, नरेश चौधरी आदि ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में विकास का काम नहीं हुआ है. पानी का बहुत संकट है. लोग आधा किलोमीटर पावापुरी के पास जा कर पीने का पानी लाते है. इनके गांव से प्रखंड मुख्यालय जाने का रास्ता नहीं है.

सिलाव प्रखंड या सिलाव थाना आने के लिए पहले पावापुरी जाना पड़ता है, फिर 14 किलोमीटर घुमकर सिलाव प्रखंड या सिलाव थाना आना पड़ता है. लोग बताते है कि बरसात के दिनों में अगर इस गांव में किसी की मृत्यु हो गयी तो सड़क नहीं रहने के कारण गांव में दाह संस्कार करना पड़ता है. बरसात में बच्चे विद्यालय नहीं जा पाते है.

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