National Girl Child Day : अपने दम पर कीर्तिमान गढ़ रही हैं बिहार की बेटियां, हर क्षेत्र में छू रहीं आसमां
बेटियों के लिए हर वर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य बेटियों को बेहतर अवसर देकर उन्हें सफलता की बुलंदियों को छूने की छूट देना और असमानता को दूर करना है. राष्ट्रीय बालिका दिवस पर पढ़िए एक रिपोर्ट .....
आदिकाल से ही नारी को शक्ति का रूप माना जाता है. महिलाओं ने वह सब कुछ हासिल किया, जिस पर कुछ वर्ष पहले तक पुरुषों का एकाधिकार माना जाता था. विज्ञान और प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, समाजसेवा, नौकरी समेत अन्य सभी क्षेत्रों में महिलाएं अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करा रही हैं. 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य सिर्फ यह है कि नारी के प्रति समाज का नजरिया बदल सके. बिहार की कई बेटियों ने बीते कुछ वर्षों में वह सब कुछ हासिल किया, जिसे पाने का सपना वे देखती थीं. जहां अभिभावकों ने शिक्षा के मर्म को समझा और बेटियों को पढ़ाई करने की आजादी दी, वहीं बेटियों ने भी अपने परिवार, समाज, राज्य व देश को गौरवान्वित होने का मौका दिया. इसमें सरकार की योजनाओं का भी भरपूर सहयोग रहा, जिससे उन्हें सपनों को पंख मिला.
24 जनवरी को क्यों होता है बालिका दिवस?
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24 जनवरी के दिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को नारी शक्ति के रूप में याद किया जाता है. 24 जनवरी 1966 को इंदिरा गांधी ने पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था. यही वजह है कि इस दिन को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है.
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उद्देश्य : यह दिन मनाने की वजह देश की बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है. लैंगगिक भेदभाव को खत्म करना और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है.समाज में बालिकाओं के साथ होने वाले भेदभाव के बारे में देश की बेटियों के साथ ही सभी लोगों को जागरूक करना है.
इन बेटियों की हिम्मत व जज्बे को सलाम
मेहनत और कुछ कर गुजरने की जिजीविषा की बदौलत आज बिहार की बेटियां हर क्षेत्र में डंका बजा रही हैं. प्रभात खबर राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर कुछ ऐसी ही बिहार की होनहार बेटियों की कहानियां बता रहा है.
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अंशिका सिंह – कमर्शियल पायलट के लिए चयनित
मुजफ्फरपुर के मुसहरी के रोहुआ की रहने वाली अंशिका सिंह का पिछले साल जीएटीआइ कंपनी की ओर से कमर्शियल पायलट के लिए चयन किया गया था. अभी वे ओडिशा के बिरासल में 14 महीने की ट्रेनिंग कैंप में हैं. इस वक्त वे फ्लाइंग की प्रशिक्षण ले रही हैं. अभी उन्होंने छह घंटे की फ्लाइंग की है और उन्हें 200 घंटे की फ्लाइंग करनी है, जिसके बाद उन्हें प्लेन उड़ाने का लाइसेंस मिलेगा. अंशिका के पिता अजय कुमार पूर्व मुखिया रह चुके हैं. अंशिका ने कन्हौली स्थित डॉल्फिन पब्लिक स्कूल से इंटर तक की पढ़ाई की है. प्रभात खबर से हुई बातचीत के दौरान वे कहती हैं, ‘पापा उनके दिल के बेहद करीब हैं. उन्होंने मुझे सपने देखने की हिम्मत दिलायी, जिसकी वजह से मैं इस मुकाम पर हूं. बेटियों को अगर परिवार का सहयोग मिले, तो वे हर सफलता की ऊंचाई तक पहुंच सकती हैं.
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नैंसी प्रिया – कबड्डी में राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं नैंसी
मोकामा के औंटा की रहने वाली नैंसी प्रिया कबड्डी में राइट कॉर्नर खिलाड़ी के तौर पर खेलती हैं. स्कूल में पहली बार इस खेल को देखा था, बस उसी वक्त उन्होंने तय किया कि वे कबड्डी की खिलाड़ी बनेंगी. स्कूल से ही ट्रेनिंग शुरू की. परिवार में इस खेल को लेकर पिता नाराज हुए, लेकिन मां की सहमति मिली. इसके साथ मां और नैंसी दोनों ने लगातार पिता को मनाने की कोशिश जारी रखी. जब वे पहली बार नेशनल खेलकर जीती, तो पिता की आंखों से आंसू आ गये और आज वे उनके हर फैसले के साथ खड़े रहते हैं. पिछले चार सालों में उनकी टीम ने साल 2020 में गुवाहाटी में आयोजित हुए खेलो इंडिया में भाग लिया और तीसरा स्थान हासिल किया. इसके बाद जूनियर कबड्डी 2022 में नेशनल के लिए खेली जिसमें दूसरा स्थान मिला, वहीं इस साल तमिलनाडू में आयोजित फेडरेशन कप 2023 नेशनल में तीसरा स्थान मिला. अभी वे एनएस कॉलेज बाढ़ से ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही हैं. वे भारत के लिए खेलना चाहती हैं.
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कृति कुमारी – मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर से मिला स्कॉलरशिप
बापू स्मारक कन्या उच्च विद्यालय की दसवीं की छात्रा कृति कुमारी राष्ट्रीय स्तर पर भरतनाट्यम की प्रस्तुति दे चुकी हैं. कृति फिलहाल किलकारी बाल भवन से जुड़कर ट्रेनर दीपक के प्रशिक्षण में भरतनाट्यम सीख रही हैं. उन्होंने पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित हुए बाल श्री में भाग लिया और विजेता बनीं. इसके रंग श्री और इस साल आयोजित कला उत्सव में दूसरा स्थान हासिल किया. उन्हें मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर भारत सरकार की ओर से सेंटर फॉर कल्चरल रिसोर्सेस एंड ट्रेनिंग के तहत भरतनाट्यम के लिए स्कॉलरशिप भी मिला. कृति बताती हैं कि वे भरतनाट्यम को आगे भविष्य भी जारी रखेंगी. अभी नयी दिल्ली में आयोजित होने वाले परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रम का वे हिस्सा बनेंगी. वहीं एनसीइआरटी की ओर से राष्ट्रीय कला उत्सव के 60 विजेताओं को प्रधानमंत्री के साथ होने वाले परीक्षा पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया है जिसमें कृति भी शामिल हैं.
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शांति और जूही – अपराधियों के छक्के छुड़ा देती हैं ये बेटियां
हाल ही में हाजीपुर सदर थाना क्षेत्र के सेंदुआरी में लुटेरे उत्तर बिहार क्षेत्रीय बैंक को लूटने के इरादे से पहुंचे थे. जहां ड्यूटी पर मौजूद दो जाबांज महिला कॉन्स्टेबल शांति कुमारी और जूही कुमारी ने अपराधियों को मार भगाया. शांति ने बताया कि जूही और वो नालंदा जिले की रहने वाली हैं और दोनों का चयन साल 2018 में बिहार पुलिस के कांस्टेबल के लिए किया गया था. तब से दोनों साथ ही रहती हैं. जूही ने बताया कि उन्हें ट्रेनिंग के दौरान हथियारों से जुड़ी ट्रेनिंग मिली है और बैंक लूटने आये अपराधियों के पास जो हथियार था, वह कितने समय में काम करेगा, इसे उन्हें बखूबी अंदाज था, जिसपर उन्होंने तुरंत एक्शन लिया और बैंक को लूटने से बचाया.
बेटियों के लिए चलायी जा रही योजनाएं
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बालिका व महिला सशक्तिकरण के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में बेटियों के जन्म से लेकर विवाह तक विभिन्न योजनाएं चला रखी हैं. जिनमें ये प्रमुख हैं :
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पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण
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जीविका-बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन परियोजना
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महादलित, दलित व अल्पसंख्यक अतिपिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना
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कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय
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मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना
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मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना
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मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना
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मुख्यमंत्री कन्या सुरक्षा योजना
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बिहार राज्य महिला सशक्तिकरण नीति-2015
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अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना
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181 टॉल फ्री महिला हेल्पलाइन
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कामकाजी महिला छात्रावास
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विधवा पुनर्विवाह अनुदान
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सामाजिक पुनर्वास कोष
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बाल विवाह व दहेज प्रथा उन्मूलन अभियान
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मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना शामिल है
केंद्र सरकार द्वारा संचालित बालिका योजनाएं
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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
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सुकन्या समृद्धि योजना
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बालिका समृद्धि योजना
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सीबीएसई उड़ान स्कीम
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माध्यमिक शिक्षा के लिए लड़कियों के लिए प्रोत्साहन की राष्ट्रीय योजना
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धनलक्ष्मी योजना
विभिन्न क्षेत्रों में बेटियों की भगीदारी
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66.8% : कृषि, वानिकी, एवं मत्स्याखेट
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16.7% : शिक्षा
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3.6 % : विनिर्माण
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1.6 % : निर्माण
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4.0 % : थोक एवं खुदरा व्यापार
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2.2 % : मानव स्वास्थ्य एवं सामाजिक कार्य
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0.8 % : निवास एवं आहार सेवा कार्य
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0.1 % : सूचना एंव संचार
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0.4 % : वित्तीय और बीमा कार्य
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0.3 % : पेशेवर, वैज्ञानिक एवं तकनीकी कार्य
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0.8 % : प्रशासनिक एवं सहयोगी सेवा कार्य
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0.9 % : लोक प्रशासन एवं प्रतिरक्षा
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1.5 % : अन्य सेवा कार्य
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स्त्रोत: सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के 2018-19 के आंकड़ों के मुताबिक
इन योजनाओं से बेटियों को मिली ताकत
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5000 रुपये बेटी के जन्म पर दिया जा रहा पैरेंट्स को
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300 रुपये दिये जाते हैं स्कूल जाने वाली किशोरियों को
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400 से 1500 रुपये मिलता है स्कूल यूनिफॉर्म के लिए
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50 हजार रुपये बीपीएल परिवारों की बालिग बेटियों की शादी के रजिस्ट्रेशन पर
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35 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं को दिया जा रहा सरकारी नौकरियों में
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180 दिनों का मैटरनिटी अवकाश मिलता है सरकारी नौकरी कर रही महिलाओं को
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50 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा पंचायत और नगर निकाय चुनावों में
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05 लाख तक का अनुदान मिलता है महिला उद्यमियों को
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50 % रजिस्ट्रेशन शुल्क माफ कमर्शियल वाहन खरीदने पर
आंकड़े
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1000 पुरुषों पर अब 1090 महिलाएं हैं बिहार में
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3.4 से घटकर 3.0 पर पहुंचा बिहार में प्रजनन दर
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982 है बिहार के शहरी क्षेत्रों का लिंगानुपात जबकि ग्रामीण क्षेत्रों का लिंगानुपात 1111 है
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15-49 आयु वर्ग की महिलाओं में साक्षरता दर केवल 57.8 प्रतिशत है
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38.8 फीसदी बच्चे मध्य विद्यालय में पढ़ाई छोड़ देते है, जिसमें बेटे 40.1 फीसदी व बेटियां 37.3फीसदी हैं
लिंगानुपात में बिहार से आगे मात्र तीन राज्य
राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के आंकड़ों के मुताबिक विकसित राज्यों महाराष्ट्र में प्रति हजार पुरुषों पर 966, गुजरात में 965, आंध्र प्रदेश में 1045, गोवा में 1027, तेलंगाना में 1049, तमिलनाडु में 1088 है. पड़ोसी राज्यों की बात करें तो यूपी में प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1017, झारखंड में 1050, पश्चिम बंगाल में 1049, मध्य प्रदेश में 970 और ओडिशा में 1063 है. बिहार से आगे मात्र तीन राज्य हैं, जिनमें लक्ष्यद्वीप में प्रति हजार पुरुषों पर 1187, केरल में 1121 और पुडुचेरी में 1112 महिलाएं हैं.
स्वास्थ्य की स्थिति (महिलाओं में खून की कमी)
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कुल – 64 %
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गंभीर – 30 %
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साधारण – 32%
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अति गंभीर – 2.1 %
शिक्षा : स्कूल जाने वाली
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(छह वर्ष से ऊपर)- 61 %
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15-49 वर्ष में महिलाओं की शिक्षा – 57.8%
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10 वीं पास महिलाएं – 28.8%
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18 वर्ष से पहले शादी – 40.8%