National Girl Child Day: मुजफ्फरपुर में पढ़-लिख कर आगे बढ़ रहीं बेटियां, बाल-विवाह में भी आयी कमी
National Girl Child Day: मुजफ्फरपुर में एक समय था, जब बेटियां घर में बोझ मानी जाती थी और कम उम्र में ही उसकी शादी कर माता-पिता अपना दायित्व पूरा करना समझते थे. लेकिन अब पहले की स्थिति नहीं है. बेटियां पढ़-लिख कर बदलाव की कहानी लिख रही हैं. वे अपनी मंजिल तो पा रही ही रही हैं.
National Girl Child Day: मुजफ्फरपुर में एक समय था, जब बेटियां घर में बोझ मानी जाती थी और कम उम्र में ही उसकी शादी कर माता-पिता अपना दायित्व पूरा करना समझते थे. लेकिन अब पहले की स्थिति नहीं है. बेटियां पढ़-लिख कर बदलाव की कहानी लिख रही हैं. वे अपनी मंजिल तो पा रही ही रही हैं. समाज की अन्य बेटियों को भी आगे बढ़ने का हौसला दे रही हैं. यह बदलाव पिछले पांच वर्षों में आया है. इन वर्षों में बेटियों का शिक्षा स्तर तो बढ़ा ही है, साथ ही माता-पिता के जागरूक होने के कारण बाल विवाह में भी कमी आयी है. लोगों में ऐसी ही जागरूकता रही तो आने वाले वर्षों में मुजफ्फरपुर बाल विवाह से मुक्त हो जायेगा.
स्कूल जाने का प्रतिशत भी सुधरा
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि बिहार के प्रत्येक जिले में यह बदलाव हुआ है. महिलाओं में साक्षरता दर बढ़ी है. पिछले पांच वर्षों में छह वर्ष से अधिक उम्र की लड़कियों में स्कूल जाने का प्रतिशत 7.3 फीसदी बढ़ा है. अब 65.1 फीसदी लड़कियां स्कूल जा रही हैं. वहीं 10 वर्ष से अधिक उम्र की लड़कियाें में भी 10.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. जिले की 33.8 फीसदी लड़कियां मध्य विद्यालय में शिक्षा ले रही हैं. लड़कियों के शैक्षणिक और सामाजिक स्तर में हुए बदलाव में राज्य सरकार की कई योजनाओं की भूमिका रही है. साइकिल योजना और छात्रवृत्ति सहित कई लाभ लड़कियों को दिये जा रहे हैं.
बाल-विवाह में पांच फीसदी की आयी कमी
मुजफ्फरपुर में बाल विवाह में पांच फीसदी की कमी आयी है. 2015 तक जिले में 36.5 फीसदी लड़कियों की शादी 18 वर्ष से कम उम्र में हो जाती थी, जो अब घट कर 23.6 फीसदी तक हो गयी है. फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार बाल विवाह में कमी आयी है. साथ ही मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता का पालन करने में लड़कियां काफी जागरूक हुई हैं. पहले 34.2 फीसदी लड़कियां ही स्वच्छता का मानक अपनाती थीं. अब 67.8 फीसदी लड़कियां स्वच्छता का मानक पूरा कर रही हैं.