National Sports Day: सरकारी सहायता मिले तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परचम लहरा सकते है मुजफ्फरपुर के खिलाड़ी
देश में खेल की भावना को बढ़ावा देने के लिए National Sports Day का मनाया जाता है. जिले में कई ऐसे खिलाड़ी है, जो राज्य और देश स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके है. अगर उन्हें बेहतर प्रशिक्षण मिले तो हालांकि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना सकते है.
जिले में कई ऐसे खिलाड़ी है, जो राज्य और देश स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके है. अगर उन्हें बेहतर प्रशिक्षण मिले तो वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना सकते है. खेल संघों के प्रशिक्षकों का कहना है कि किसी भी खेल में स्टेट व नेशनल पर पहुंचने में खिलाड़ी के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय उसमें लगता है, 18 से 25 साल करियर सेट करने की उम्र होती है, उस समय खिलाड़ी अपना पूरा ध्यान खेल पर फोकस करते है. लेकिन जब उन्हें अपना आगे का भविष्य संवारना होता है तो उस समय उन्हें सरकार की ओर कोई सहायता नहीं मिलती है. जिले के कई खिलाड़ी विभिन्न खेलों में अच्छा प्रदर्शन कर रहे है, लेकिन यह सब उनके जुनून की बदौलत है.
शतरंज को नहीं मिलता सहयोग
शहर की शतरंज खिलाड़ी 16 वर्षीय मरियम राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी है. हाल में नेशनल में अंडर 17 भुवनेश्वर व अंडर 19 पुणे में शानदार प्रदर्शन किया. मरियम बताती है उन्हें कोई सरकारी सहायता नहीं मिलती है. अपने माता पिता और बिहार शतरंज संघ के सहयोग से यहां तक पहुंची है. यहां से बेहतर माहौल दूसरे राज्यों में उपलब्ध है.
खो-खो में नेशनल खेल चुकी कल्याणी
कांटी के किशुनगर की रहने वाली कल्याणी कुमारी दो बार खो-खो में नेशनल में बिहार का प्रतिनिधत्व कर चुकी है. वर्तमान में वह बीएचयू में स्टैटिक्स से बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा है. पिता संजीव कुमार व्यवसायी व मां पूनम कुमारी गृहिणी है.वह कहती है कि यहां प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन सपोर्ट मिले तो खिलाड़ी और भी आगे निकलेंगे.
वॉलीबॉल में 5 नेशनल खेल चुकी है प्रीति
कटरा की प्रीति अब तक वॉलीबॉल में 5 नेशनल खेल चुकी है. उसने 8वीं क्लास से गेम शुरू किया. एमडीडीएम कॉलेज में बॉटनी बीएससी फर्स्ट इयर की छात्रा है. पिता मुकुंद कुमार व्यवसायी और मां रीना गृहिणी है. इनका कहना है कि खिलाड़ियों को जो सपोर्ट यहां सरकार के स्तर से मिलना चाहिए वह नहीं मिलता है. यही कारण है कि कई अच्छे खिलाड़ी बीच में ही किसी कारणवश खेल छोड़ देते है.
राहुल ने रग्बी को दिलायी पहचान
कुढ़नी के चढुआ निवासी राहुल कुमार महतो ने छोटे से गांव में रग्बी की शुरुआत की. मजदूर राम दिनेश महतो के पुत्र ने अपनी ऊपर कभी गरीबी को हावी नहीं होने दिया. राहुल ने रग्बी के राष्ट्रीय टीम में स्थान पक्का किया है. कोच के तौर पर उनके खिलाड़ी सपना कुमारी ने भारतीय टीम के लिए रजत पदक जीता. राहुल एक बेहतर खिलाड़ी होने के साथ टीम के कोच भी है. करीब 100 बच्चे व बच्चियां उनसे निशुल्क प्रशिक्षण लेते हैं.