पटना. National Youth Day 2023: स्वामी विवेकानंद के दर्शन और उनके विचार युवाओं के लिए हर युग में प्रासंगिक हैं. उनके अनमोल वचन और संदेश आज भी युवाओं के लिए प्रेणा का स्तोत्र हैं. जिस प्रकार स्वामी जी का शिक्षा दर्शन यथार्थवादी है उसी प्रकार उनका जीवन दर्शन बताता है कि विजय प्राप्त करके जीवित रहने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को जीवन की प्रत्येक चुनौती के साथ डटकर संघर्ष करना चाहिए.
अधिकतर व्यक्तियों के जीवन में देखा जाता है कि वे ध्येय-विहीन भोग-विलासमय कष्ट रहित जीवन जीने के लिए लालायित रहते हैं. स्वामीजी उन्हें झकझोरते हैं कि वे अपनी अज्ञान-निद्रा से उठें, अपने दिव्यत्व के बारे में जानें और तब तक कमर कसकर डटे रहें, जब तक कि वे अपने जीवन के उच्चतम ध्येय को प्राप्त न कर लें. अपने अन्तःस्थ दिव्यत्व को प्रकट करना – यही प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का उच्चतम ध्येय है, चाहे उसे किसी भी नाम से क्यों न पुकारा जाये.
स्वामी के जीवन की एक घटना है- वे उस समय जयपुर में थे. एक सुपंडित वैयाकरण से परिचय होने पर स्वामीजी ने उनसे पाणिनि का अष्टाध्यायी व्याकरण पढ़ना शुरू किया. किंतु पंडितजी की अध्यापन-प्रणाली सरल नहीं थी. उन्होंने तीन दिनों तक प्रथम सूत्र की व्याख्या की, किंतु स्वामीजी को बोधगम्य नहीं हुआ. उन्होंने स्वामीजी से कहा कि वे उन्हें पढ़ा नहीं सकते. यह सुनकर स्वामीजी बहुत लज्जित हुए और उन्होंने सोच लिया कि जब तक वे उक्त विषय को नहीं समझ लेते, तब तक वे किसी भी अन्य विषय पर अपना मन नहीं लगायेंगे.
विश्व में जितने भी महान और सफल व्यक्ति हुए हैं, उनके जीवन में हम पायेंगे कि उनमें अपने लक्ष्य के प्रति एक विशेष सनक थी. स्वामीजी के गुरु श्रीरामकृष्ण देव कहते थे कि यदि किसी व्यक्ति का गला पकड़कर उसे नदी में डुबाया जाये और वह एक-एक श्वास के लिए जैसे तड़फड़ाता है, ऐसी ही तड़पन यदि हमें हमारे लक्ष्य के प्रति हो तो सफलता अवश्य प्राप्त होती है. जब महारथी अर्जुन पक्षी की आंख पर लक्ष्यवेध कर रहे थे, तब उनका समस्त संसार मानो उस लक्ष्य पर ही था.
एक व्यक्ति रास्ते से जा रहा था और भूलवश उसका पैर केले के छिलके पर पड़ा और वह फिसल गया. अगले दिन जब वह उसी मार्ग से जा रहा था और उसकी दृष्टि केले के छिलके पर पड़ी, तो वह सोचने लगा कि ‘अरे आज फिर फिसलना पड़ेगा’ . यह भले ही विनोदपूर्ण बात हो सकती है, किंतु व्यवहार में प्रायः ऐसा देखा जाता है. हमें मालूम है कि आलस्यपूर्ण जीवन बिताना, नशीले पदार्थों का सेवन करना, बुरा देखना-सुनना हमारे लिए हानिकारक है, किंतु फिर भी हम वह करते रहते हैं.