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गंगा में विलुप्त हो रही मछलियों की देशी प्रजाति, रिवर फार्मिंग के तहत डाले जायेंगे चार लाख रेहू और कतला बीज

बिहार सरकार की रिवर रैंचिंग कार्यक्रम के तहत इस माह गंगा नदी में मछली का जीरा डाला जाएगा. इस कार्यक्रम की वजह से डॉल्फिनों की संख्या भी बढ़ेगी और मछलियों की संख्या बढ़ने से जल की गुणवत्ता भी सुधरेगी

बिहार सरकार ने गंगा नदी में कम पड़ रही मछलियों की संख्या बढ़ाने को लेकर कवायद तेज कर दी है. इसके लिए सरकार ने रिवर रैंचिंग कार्यक्रम की शुरुआत की है. इसके तहत बिहार में बक्सर से लेकर कहलगांव तक बह रही गंगा में मछलियों की लुप्त होती देसी प्रजाति रेहू व कतला की संख्या बढ़ाने को लेकर मुंगेर जिला की सीमा में पड़ने वाली गंगा में चार लाख रेहू व कतला मछली का जीरा गिराया जायेगा. इससे डॉल्फिनों की संख्या में भी जहां बढ़ोतरी होगी, वहीं प्रवासी पक्षियों का आवागमन भी बढ़ेगा. जबकि मछुआरों की आर्थिक स्थिति भी समृद्ध होगी. मछलियों की संख्या बढ़ने के बाद जल की गुणवत्ता भी सुधरेगी.

सर्वे में हुआ खुलासा, घट रही रेहू व कतला मछली की संख्या

बताया जाता है कि कई वर्षों से बिहार के गंगा नदी और कोसी नदी में मछलियों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है. खास कर मूल प्रजाति की रेहू व कतला की संख्या में लगातार कमी देखी गयी है. इसके बाद सरकार ने इसे लेकर सर्वे कराया. जिला मत्स्य पदाधिकारी मनीष गोस्वामी व मत्स्य प्रसार पदाधिकारी राजेश कुमार ने सर्वे किया. अधिकारियों ने मुंगेर जिला की सीमा में पड़ने वाली गंगा में शिकारमाही कर रहे मछुआरों से मुलाकात की और उससे मछलियों के बारे में जानकारी ली. सर्वे में पाया गया कि प्रति एक किलोमीटर में औसतन तीन से चार किलो और 24 घंटे में 10 से 12 किलो मछलियां मछुआरों के जाल में आता है. इसमें दो से तीन प्रतिशत ही रेहू व कतला मछली होती है. जबकि चार से पांच प्रतिशत केट फीस, 90 से 92 प्रतिशत पलवा, बचवा, चेलवा, कलमाशी, सुईया, पथली सहित अन्य मछलियों की संख्या होती है. यानी रेहू और कतला मछली की संख्या लगातार घट रही है और व विलुप्ति के कगार पर पहुंच गयी है.

अक्तूबर के अंतिम या नवंबर के प्रथम सप्ताह में गंगा में गिराया जायेगा जीरा

सर्वें के अनुसार गंगा में रेहू और कतला मछली की संख्या को बढ़ाने को लेकर सरकार के निर्देश पर चार लाख मछली का जीरा गिराया जायेगा. अक्तूबर के अंतिम सप्ताह अथवा नवंबर के प्रथम सप्ताह में गंगा में मछली का जीरा गिराया जायेगा. मत्सय विभाग की टीम भागलपुर जिले के बिहपुर के बगरी पुल स्थित मछली की हैचरी में गंगा और कोसी के मछली की ब्रीडिंग करा जीरा तैयार कर रहा है. जानकारों की मानें तो गंगा की नर-मादा मछली से ही हैचरी में रेहू व कतला मछली की ब्रीडिग करायी गयी है. ताकि गंगा नदी में उसको कोई खतरा नहीं रहे.

मछुआरों की आर्थिक स्थिति होगी समृद्ध

मुंगेर के पास गंगा में डॉल्फिन की संख्या काफी है. इसे देखते हुए सरकार ने मुंगेर को डॉल्फिन अभ्यारण्य क्षेत्र घोषित कर रखा है. लेकिन गंगा में मछली की संख्या लगातार घटने से जहां पानी प्रदूषित हो रहा है, वहीं डाल्फिन का भोजन भी कम हो रहा है. इसके कारण मुंगेर गंगा में डॉल्फिन की संख्या में कमी देखी जा रही है. मछली की संख्या बढ़ने से डॉल्फिन को भोजन मिलेगा और डॉल्फिनों की संख्या भी बढ़ेगी. जबकि प्रवासी पक्षियों का आवागमन भी बढ़ेगा. मछुआरों की आर्थिक स्थिति भी समृद्ध होगी. मछलियों की संख्या बढ़ने के बाद जल की गुणवत्ता भी सुधरेगी.

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कहते हैं जिला मत्स्य पदाधिकारी

जिला मत्स्य पदाधिकारी मनीष गोस्वामी ने कहा कि सर्वे में पाया गया कि मुंगेर स्थित गंगा में मूल प्रजाति की मछली रेहू व कतला की संख्या काफी कम होती जा रही है. सरकार ने गंगा में इन मछलियों की संख्या बढ़ाने के लिए पहली बार रिवर रैंचिंग कार्यक्रम प्रारंभ किया है. इसके तहत गंगा में चार लाख रेहू व कतला मछली का जीरा डाला जायेगा. अक्तूबर के अंतिम अथवा नवंबर के प्रथम सप्ताह में मुंगेर शहर के गंगा घाट से गंगा में जीरा गिराया जायेगा.

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