दूसरे स्कूलों के लिए मिसाल बना गोपालगंज का नटवां मिडिल स्कूल, यहां खेल-खेल में बच्चे पढ़ रहे अंग्रेजी
नटवां मिडिल स्कूल की दीवारों पर भी शिक्षण की मनोवैज्ञानिक तकनीक दिखती है. दीवारों पर दोनों तरफ विज्ञान, भूगोल, पर्यावरण व सामाजिक विज्ञान से संबंधित मौलिक जानकारियां तस्वीरों के साथ अंकित हैं. इन तस्वीरों की मदद से बच्चों को पढ़ने में काफी सहूलियत मिलती है.
अजीत द्विवेदी, पंचदेवरी: गोपालगंज जिले के पंचदेवरी के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में झरही नदी के किनारे स्थित नटवां मिडिल स्कूल राज्य के स्कूलों के लिए नजीर बन चुका है. स्कूल की दीवारों पर लोकसभा से लेकर ग्रह-नक्षत्र तक की पेंटिंग छात्रों के बीच आकर्षण का केंद्र है. स्वच्छता से संबंधित व्यवस्था हो या शैक्षिणक, सब कुछ हाइटेक है. विद्यालय के कैंपस में प्रवेश करते ही अलग माहौल दिखने लगता है. शिक्षकों में काफी जागरूकता देखी जा रही है, प्रखंड का नटवां मिडिल स्कूल इस दौर में सबसे आगे है. इस विद्यालय की व्यवस्था पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गयी है.
साफ-सफाई की बेहतर व्यवस्था है
यहां क्लास रूम, बरामदा, शौचालय, कार्यालय, यूरिनल सब बदल चुका है. विद्यालय के परिसर को इतना आकर्षक बनाया गया है कि क्षेत्र के प्राइवेट स्कूलों के व्यवस्थापक इसका अनुसरण कर रहे हैं. साफ-सफाई की बेहतर व्यवस्था है. सभी बच्चे ड्रेस कोड में नजर आते हैं. स्कूल की दीवारों पर जिस तरह की पेंटिंग करायी गयी है, वैसी पेंटिंग जिले के किसी विद्यालय में शायद ही दिखे. बेहतर शैक्षणिक माहौल बनाने के लिए वे सारी व्यवस्थाएं की गयी हैं, जो एक आदर्श विद्यालय में होनी चाहिए.
बच्चों के लिए बनवाया गया है आकर्षक वर्ग कक्ष
प्रारंभिक ज्ञान के लिए वर्ग कक्षों को मनोवैज्ञानिक ढंग से सजाया गया है तथा काफी आकर्षक बनाया गया है. बुनियादी साक्षरता व संख्या ज्ञान से संबंधित सुंदर पेंटिंग करायी गयी है. आकर्षक तस्वीरें बनवायी गयी हैं. वर्ग कक्ष का वातावरण काफी मनमोहक होने के कारण बच्चे पढ़ाई में काफी रुचि लेते हैं. एचएम घनश्याम प्रसाद ने बताया कि स्मार्ट क्लास के लिए भी सारी व्यवस्थाएं कर ली गयी हैं. शीघ्र ही प्रारंभिक कक्षाओं में स्मार्ट क्लास भी शुरू हो जायेगा.
स्कूल की दीवारों पर पेंटिंग से शिक्षण का मनोवैज्ञानिक प्रयोग
नटवां मिडिल स्कूल की दीवारों पर भी शिक्षण की मनोवैज्ञानिक तकनीक दिखती है. दीवारों पर दोनों तरफ विज्ञान, भूगोल, पर्यावरण व सामाजिक विज्ञान से संबंधित मौलिक जानकारियां तस्वीरों के साथ अंकित हैं. इन तस्वीरों की मदद से बच्चों को पढ़ने में काफी सहूलियत मिलती है. इससे बच्चों की रुचि भी बढ़ जाती है. दीवारों पर सभी ग्रहों के नाम तस्वीर के साथ लिखे गये हैं. संसद भवन की बेहतरीन तस्वीर बनायी गयी है.
इनके अलावा पर्यावरण से संबंधित जानकारियां भी सुंदर पेंटिंग के साथ अंकित की गयी हैं. दीवारों पर बनायी गयीं तस्वीरों के द्वारा शिक्षक ””खेल खेल में शिक्षा”” तकनीक से बच्चों को पढ़ाते हैं. मालूम हो कि गहनी-चकिया मिडिल स्कूल की बेहतर व्यवस्था की खबर प्रभात खबर में प्रकाशित होने व राज्य स्तर पर इस विद्यालय को सम्मान मिलने के बाद इस ग्रामीण क्षेत्र के कई स्कूलों में अपनी व्यवस्था को बदलने की कोशिश है.
विकास मद के अलावा एचएम ने खुद किया है अर्थदान
स्कूल के एचएम घनश्याम प्रसाद की मानें, तो विकास मद के लिए 75 हजार राशि मिली है. राशि मिलने के छह माह पूर्व से ही काम चल रहा है. अभी तक एक लाख 73 हजार रुपये खर्च कर चुका हूं. विद्यालय को राज्य स्तर पर पहचान दिलाने का लक्ष्य है. जहां भी जरूरत महसूस होती है, विद्यालय की बेहतरी के लिए मैं खुद अर्थदान करता हूं.
शौचालय, वाटर स्टेशन व यूरिनल की भी है बेहतर व्यवस्था
नटवां मिडिल स्कूल में शौचालय व यूरिनल भी अन्य स्कूलों से अलग है. टाइल्स लगवाकर चकाचक करा दिया गया है. साफ-सफाई पर भी पूरा ध्यान दिया जाता है. वाटर स्टेशन के पास हमेशा साबुन की व्यवस्था रहती है. यूरिनल या शौचालय से आने के बाद वाटर स्टेशन पर साबुन से हाथ धोने के बाद भी बच्चे क्लास रूम में प्रवेश करते हैं. वाटर स्टेशन के पास भी जल संरक्षण के लिए बच्चों को जागरूक करने को लेकर पेंटिंग करायी गयी है.
दूसरे प्रखंड से भी पढ़ने आने लगे हैं छात्र
सरकार तो सभी सरकारी विद्यालयों को समान सुविधा उपलब्ध कराती है. नटवां मिडिल स्कूल ने यह साबित कर दिया है कि यदि अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पण हो, तो मौजूद संसाधन में भी बेहतर व्यवस्था की जा सकती है. इस मामले में नटवां स्कूल अन्य विद्यालयों के लिए प्रेरणास्रोत बन चुका है. विद्यालय की व्यवस्था इतनी बेहतर हो चुकी है कि कुचायकोट से भी सौ से अधिक छात्र इस यहां पढ़ने के लिए पहुंचने लगे हैं.
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प्रभात खबर की न्यूज से मिली प्रेरणा
स्कूल के हेड मास्टर घनश्याम प्रसाद ने बताया कि गहनी-चकिया मिडिल स्कूल की खबर प्रभात खबर में पढ़ने के बाद मैंने जाकर उस विद्यालय की व्यवस्था देखी. उसी दिन मैंने संकल्प लिया कि अपने विद्यालय को भी आदर्श बनाऊंगा तथा राज्य स्तर पर इसे पहचान दिलाऊंगा.