Navratri 2022: कटिहार के बरारी के भगवती मंदिर में मन्नतें होती हैं पूरी, श्रद्धालुओं का लगता है जमघट
एतिहासिक गंगा दार्जलिंग सड़क पर अवस्थित माता के दरबार में श्रद्धाभाव की गयी आराधना से मनोकामनाएं पूरी होती है. बरारी प्रखंड मुख्यालय में एक ऐसा मंदिर है. जहां कभी शेरशाह सूरी के कहने पर उनके सेनापति ने बंगाल फतह की मन्नत मांगी थी.
कटिहार: एतिहासिक गंगा दार्जलिंग सड़क पर अवस्थित माता के दरबार में श्रद्धाभाव की गयी आराधना से मनोकामनाएं पूरी होती है. बरारी प्रखंड मुख्यालय में एक ऐसा मंदिर है. जहां कभी शेरशाह सूरी के कहने पर उनके सेनापति ने बंगाल फतह की मन्नत मांगी थी. साथ ही सेनापति की मन्नत पूरी होने पर शेरशाह सूरी ने मंदिर में आराधना की चढ़ावा चढ़ाने के बाद भगवती मंदिर, बरारी हाट से जुड़ी हुई है, भगवती मंदिर बरारी का प्राचीनतम इतिहास है. मंदिर में मनोकामना सिद्ध होती ह्रै. त्रुटि पर माता के कोप का भाजन भी बनना पड़ता है. माता का दरबार रोजाना प्रातः तीन बजे के करीब वेद मत्रोंच्चारण एवं ढाल से गुंजने लगता है.
दशहरा की पूजा विधिवत सोमवार से आरंभ हो गया
दशहरा की पूजा विधिवत सोमवार से आरंभ हो गया. रोजाना तीन बजे से श्रद्धालु मंदिर पहुंचने लगते हैं, दस दिनों तक दशहरा की पूजा में दूर दराज से लोग आराधना करने आते हैं, सप्तमी से भव्य मेला का आयोजन भी होता है. पिछले दो वर्षों से कोविड सन्नाटा के कारण कोई कार्यक्रम नहीं हुआ, इस बार काफी जोश है, क्षेत्र की जनता भी दशहरा पूजा की तैयारी में लगे हुए है, भगवती मंदिर बरारी में काफी भीड़ जमा होती है, श्रद्वालु अष्टमी, नवमी, दशमी को श्रद्धाभाव के साथ प्रसाद चढ़ाते है, मंदिर में संगमरमर की आपरूपी प्रतिमा स्थापित है, दशहरा में पहली पूजा से हीं कलश की स्थापना की जाती ह्रै, दशमी पूजा के संध्या में कलश विसर्जन की जाती है.
फुलायस किया जाता है
इसके लिए माता आदेश लिया जाता है. फुलायस किया जाता है. फुलायस के द्वारा हीं कलश विसर्जन की दिशा तय होती ह्रै. कलश विसर्जन के समय श्रद्धालु कलश आदि को मात्र स्पर्श के लिए इंतजार कतार में करते है, पुलिस प्रशासन की पुख्ता इंतजाम एवं मंदिर कमेटी द्वारा घेरा बनाकर विसर्जन देर संध्या में की जाती है, दशहरा में महाप्रसाद का आयोजन भी किया जाता ह्रै, भगवती मंदिर में प्रत्येक हजारों जोड़ी का परिणय स्थापित होता है, मंदिर के पदेन अध्यक्ष अंचल पदाधिकारी होते हैं, जबकि स्थानीय लोग सचिव पंकज कुमार यादव, कोषाध्यक्ष धनजीत यादव सहित कमेटी के सदस्य एवं पदाधिकारी होते है. जो पूरी व्यवस्था देखते है, मंदिर को सजाने का काम पूरी जोर शोर से किया जा रहा है.