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Navratri 2022: नवरात्रि में घटस्थापना के समय क्यों बोये जाते हैं जौ, जानें क्या हैं मान्यता और शुभ संकेत

Navratri 2022: माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है. कलश स्थापना के समय आज जौ बोये जाते है. जौ को भगवान ब्रह्मा जी का एक रूप माना जाता है. इसलिए घटस्थापना के साथ नवरात्रि में जौ की पूजा की जाती है. जौ को कलश में भी स्थापित किया जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 26, 2022 6:39 AM

नवरात्रि आज से शुरू हो गया. दुर्गा पूजा का आज पहला दिन है. इस दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है. दुर्गा माता के भक्त मां को प्रसन्न करने के लिए पूरे नौ दिन तक उपवास रखकर उनकी पूजा करते हैं. नवरात्रि के पहले दिन जौ बोने की परंपरा है. क्या आप जानते है कि घटस्थापना के दिन जौ का इतना महत्व क्यों है? आइए जानते है कि नवरात्रि के दौरान जौ क्यो बोई जाती है और जौ का धार्मिक महत्व क्या है.

जानें जौ बोने की क्या है मान्यताएं

मान्यता है कि नवरात्र में जौ जितनी अधिक बढ़ती है, उतनी ही घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है. आज कलश स्थापना के साथ मिट्टी के बर्तन में जौ बोए जाते हैं. घर में अगर मिट्टी का बर्तन नहीं है, तो स्टील की थाली में मिट्टी भरकर जौ बोए जा सकते हैं. हिंदू धर्म में जौ बोने की परंपरा बहुत पूरानी है. नवरात्रि में प्रतिदिन माता दुर्गा की पूजा करने से पहले इसमें जल अर्पित किया जाता है. जिससे जौ धीरे-धीरे बढ़ने लगते हैं और फिर कुछ दिनों में हरी फसल की तरह दिखाई देने लगते हैं. नवरात्रि के समापन के बाद जवारे को किसी नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है. जौ को बहुत विधि-विधान के साथ बोया जाता है.

नवरात्रि में इन बातों का जरूर रखें ख्याल

जौ को भगवान ब्रह्मा जी का एक रूप माना जाता है. इसलिए घटस्थापना के साथ नवरात्रि में जौ की पूजा की जाती है. जौ को कलश में भी स्थापित किया जाता है. रबी सीजन में पहली फसल जौ होता है, इसलिए हमेशा अन्न का सम्मान करना चाहिए. क्योंकि इन्हीं सब कारणों से जौ का इस्तेमाल पूजा में किया जाता है. नवरात्रि के समय मंदिरों में और पूजा पंडालों में भी जौ बोए जाते हैं.

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