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सिवान के इस दुर्गा मंदिर में दर्शन मात्र से भक्तों की मनोकामनाएं हो जाती है पूरी,नवरात्रि में ये है विशेष

सिवान के सलेमपुर महादेवा स्थित दुर्गा मंदिर की महिमा अपरंपार पार है. यहां नवरात्रि में दूर- दूर से भक्त दर्शन करने आते हैं. वहीं, इस मौके पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 4, 2022 4:47 PM

सिवान. महानवमी पर बिहार के विभिन्न देवी मंदिरों और दुर्गा पूजा पंडालों में देर रात से ही भक्तों की लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई है. महानवमी के पावन अवसर पर जगत जननी मां जगदंबे की पूजा-अर्चना करने के लिए पूरे प्रदेश में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. वहीं, सीवान के सलेमपुर महादेवा स्थित दुर्गा मंदिर की महिमा अपरंपार पार है. यहां नवरात्रि में दूर- दूर से भक्त दर्शन करने आते हैं. वहीं, इस मौके पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है.

नवरात्रि में दर्शन करने दूर- दूर पहंचते हैं भक्त

सिवान के सलेमपुर महादेवा स्थित दुर्गा मंदिर में नवरात्रि के दिनों में भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है. यह मंदिर सीवान के प्राचीन मंदिरों में से एक है. यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि मां दुर्गा की दर्शन मात्र से ही सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. इस मंदिर में सिवान जिले सहित पूरे उत्तर भारत से भक्त पहुंचते हैं. नवरात्र के दिनों में यहां भक्तों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है. सभी मां के भक्ति में लीन रहते हैं.

सलेमपुर महादेवा स्थित दुर्गा मंदिर पूरे क्षेत्र में है प्रसिद्ध

मंगलवार को उत्तराषाढ़ नक्षत्र में नवदुर्गा के अंतिम स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा कर नौ दिनों से चला आ रहा सप्तशती, रामचरितमानस आदि धर्म ग्रंथ के पाठ का समापन हो जायेगा. नवमी के मौके पर महादेवा स्थित दुर्गा मंदिर में भंडारा का आयोजन किया जाता है. हजारों की संख्या में भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया जाता है. पूरे क्षेत्र में ये मंदिर काफी प्रसिद्ध है.

‘3 साल पहले मंदिर का किया गया जीर्णोद्धार’

जय मां जगदंबा मंदिर कमेटी के सदस्य आनंद प्रकाश ने बताया कि हर साल यहां नवरात्रि में पूजा का आयोजन किया जाता है. यहां आने वाले सभी भक्तों पर मां की विशेष कृपा बनी रहती है. नवरात्रि में नवमी और दशमी तिथि को भंडारा का आयोजन किया जाता है. जो कॉलोनी के लोगों के सहयोग से किया जाता है. इस दौरान हजारों के संख्या में प्रसाद लेने पुरुष और महिलाएं पहुंचती हैं. वहीं, उन्होंने बताया कि तीन साल पहले इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था.

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