Nawada News, Bihar Hooch Tragedy: होली का उत्साह अभी ठीक से समाप्त भी नहीं हुआ था कि शराबबंदी वाले राज्य बिहार के नवादा जिले में मौत के मातम ने कहर बरपा दिया. यहां कथित रूप में नशा पान करने से अब तक 10 से ज्यादा लोगों की जान चली गयी है. मरने वालों की संख्या न सरकारी फाइलों में दर्ज है न लोगों की जुबानों पर. परिवार में मातम है. दर्द है. परिजनों के खोने की संवेदनाएं हैं. पर, समय कितना जालिम है कि अपने परिजन के मौत को भी सही-सही बयां नहीं करने देता.
सरकारी बाबू कहते हैं, कहना- डायरिया से मौत हुई है. मीडिया वाले पूछते हैं सही बताना. नेताजी का दबाव है- जो मैं कहता हूं वही कहोगे. वही करोगे. यह कैसी विडंबना है. यह कैसी मौत है, जो होली की सौगात बन कर आयी और देखते ही देखते घर आंगन को आंसुओं में डूबो गयी. यह कहानी किसी एक घर की नहीं है. नवादा के टाउन थाना क्षेत्र में पड़ने वाले शहरी इलाके के गोंदापुर व खरीदी बिगहा के कई घरों में यह मातम है.
यह मूलतः पिछड़ों, अति पिछड़ों और दलितों की बस्ती है. यहां पिछले तीन दिनों से मौत दबे पांव अपना तांडव मचा रही थी. इसके पीछे का कारण न तो सरकारी आंकड़ों में दर्ज है न दर्ज हो पायेगा. खरीदी बिगहा के इलाके में सन्नाटा पसरा है. पूरी तरह मातमी सन्नाटा. आंखें सूखी हुई है. अंदर ही अंदर परिजन के खोने की पीड़ा हिलोरे मार रहा है. पर, कहने से जुबान कांपती है. यह असर है धंधेबाजों का. जी हां, उस शराबबंदी का जिसे हमारी सरकार ने नागरिकों के नैतिक मूल्यों से जोड़ा है. पर, पुलिस और प्रशासन में क्या इतनी नैतिकता बची है कि अपने क्रियाकलापों को सरकार की सोच के अनुरूप ढाल सके. फिर यह साहब क्यों नहीं ऐसे मामलों की जिम्मेदारी अपने सिर लेते हैं.
इन बस्तियों का चक्कर लगाने पर पता चला कि भदौनी पंचायत के कई वार्ड अभी-अभी शहरी निकाय में शामिल हुए हैं. इन निकायों में चुनाव की संभावनाओं को लेकर कुछ नेताओं ने कमर कसी है. वोटों की सौदेबाजी को लेकर होली बड़ा अच्छा अवसर मिला. नेता जी ने एलान कर दिये कि सब मुफ्त. वह मुफ्त में मिलने वाली थी. तो जी भर कर गटका और इसके बाद जो हुआ वह सबके सामने है. पर, भला इसे मानेगा कौन. सरकार को प्रूफ चाहिए. पर, डायरिया का इलाज सदर अस्पताल में क्या संभव नहीं. क्या डायरिया होने के बाद आंखों की रोशनी चली जाती है. क्या, डायरिया जैसा संक्रमण फैल जाये तो सरकार के अमला हाथ पर हाथ धरे बैठे रह जायेंगे.
नवादा जिले में एक ऐसा गांव है, जहां नशा पान के चक्कर में ही करीब दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि इसकी सरकारी पुष्टि करने के लिए कोई तैयार नहीं है. वर्ष 2010 से अब तक इस गांव में दर्जनों लोग काल के गाल में समा चुके हैं. वारिसलीगंज नगर पंचायत के वार्ड नंबर 19 बलवापर गांव में समय-समय पर नशा पान करने के बाद दो दर्जन मौतें होना काफी चिंताजनक है. इस थाना क्षेत्र के रसलपुर, महादेव बिगहा, मोहीनउद्दीनपुर, बरनावां, मंजौर चैधरी टोला, कोचगांव तथा कोरमा सहित अनेको गांवों में खुलेआम धंधा चल रहा है.
नवादा जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने वाट्सएप ग्रुप में जिला जनसंपर्क कार्यालय के माध्यम से मृतक के परिजनों का बयान जारी करा डायरिया से मौत होने की बात बतायी है. हालांकि, यह पूरा मामला जांच का विषय बना हुआ है. होली पर हुई इतनी बड़ी संख्या में मौतों ने कई सवाल खड़े किये हैं. इस बीच, पता चला है कि पुलिस के डर से परिजनों ने अपने-अपने शवों का अंतिम संस्कार भी कर दिया है. परंतु, जो लोग जीवित हैं, उनकी आंखों की रोशनी जा चुकी है.
घटना की जांच करने में उत्पाद अधीक्षक अनिल कुमार आजाद, सदर एसडीओ उमेश कुमार भारती, एसडीपीओ उपेंद्र प्रसाद, बीडीओ कुमार शैलेंद्र व सीओ शिवशंकर राय सहित नगर थाना इंस्पेक्टर टीएन तिवारी व कई पुलिस पदाधिकारी जुटे हुए हैं. इधर तेजस्वी यादव नीतीश सरकार पर हमला बोल रहे हैं.
Posted By: Utpal Kant