मरीज बने बोझ, दलालों के कंधे पर व्यवस्था

सदर अस्पताल में मरीजों के लिए स्ट्रेचर तक नहीं अल्ट्रासाउंड व एक्स-रे सेवा बंद नवादा. कहने को, तो सदर अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्जा मिला हुआ है, लेकन सुविधाओं की नजर से यहां की स्थिति ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र से भी बदतर है. यहां आनेवाले मरीजों को वार्ड तक पहुंचाने के लिए स्ट्रेचर तक नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 17, 2017 11:17 AM

सदर अस्पताल में मरीजों के लिए स्ट्रेचर तक नहीं अल्ट्रासाउंड व एक्स-रे सेवा बंद

नवादा. कहने को, तो सदर अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्जा मिला हुआ है, लेकन सुविधाओं की नजर से यहां की स्थिति ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र से भी बदतर है. यहां आनेवाले मरीजों को वार्ड तक पहुंचाने के लिए स्ट्रेचर तक नहीं मिलता. लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के कारण दलालों की चांदी कट रही है. इन दिनों पूरी तरह से सदर अस्पताल दलालों के चुंगल में फंसा है. दो माह से अल्ट्रासाउंड व एक्स-रे सेवा बंद रहने के कारण गरीब मरीजों को प्राइवेट जांच घरों में जाना पड़ रहा है.

उन्हें अस्पताल से बाहर ले जाने के लिए स्ट्रेचर भी नसीब नहीं हो रहा है. अकबरपुर प्रखंड के नोनाय गांव की शांति देवी का पैर टूट गया था. उसका भतीजा रवि इलाज कराने के लिए उसे सदर अस्पताल लेकर आया था. यहां एक्स-रे की सुविधा नहीं रहने के कारण बाहर से एक्स-रे कराना पड़ा. दुर्भाग्य यह था कि पैर टूटने के कारण महिला चलने में लाचार थी, ऐसी हालत में उनको स्ट्रेचर चाहिए था. स्ट्रेचर नहीं रहने के कारण कुछ लोगों द्वारा उसे गोद में बोझे की तरह उठा कर जांच के लिए ले जाना पड़ा. इस संबंध में डीएस डॉ रामनंदन प्रसाद सिंह से बात करने की कोशिश की गयी, तो वह कुछ भी बताने से इनकार कर चलते बने.

जच्चा-बच्चा चाहिए नरम, तो पॉकेट करें गरम : जनहित के लिए सरकार ने जिला अस्पताल जैसी व्यवस्था भले ही कर दी हो, पर अस्पताल लूट का अड्डा बन गया है. यदि आप प्रसव के लिए सदर अस्पताल जा रहे हैं, तो आप अपने पॉकेट को गरम जरूर रखें. ऐसा नहीं किया, तो जच्चे- बच्चे की जान भी जा सकती है. यहां का तकिया कलाम है कि यदि आपको जच्चा-बच्चा चाहिए नरम, तो कर्मियों का पॉकेट करना होगा गरम.

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