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खूबसूरती पर बट्टा लगा रहीं दुकानें

नवादा : शहर की खूबसूरती वहां की इमारतों को देख कर झलकती है. पर, नवादा का दुर्भाग्य है कि जिस हृदयस्थली पर खूबसूरत इमारतें व मार्केट होनी चाहिए थीं वहां आज भी झोपड़ीनूमा दुकानें शहर के विकास को मुंह चिढ़ा रही है़ं मार्केट के बीचों-बीच सदियों पूर्व बना दी एल्लियट बाजार जो बाद में डॉ […]

नवादा : शहर की खूबसूरती वहां की इमारतों को देख कर झलकती है. पर, नवादा का दुर्भाग्य है कि जिस हृदयस्थली पर खूबसूरत इमारतें व मार्केट होनी चाहिए थीं वहां आज भी झोपड़ीनूमा दुकानें शहर के विकास को मुंह चिढ़ा रही है़ं
मार्केट के बीचों-बीच सदियों पूर्व बना दी एल्लियट बाजार जो बाद में डॉ राजेंद्र फंड के नाम से परिवर्तित हो गया, इसके अध्यक्ष यहां के डीएम होते हैं़ बावजूद इतने सालों में इस फंड का कोई लेखा-जोखा नहीं दिख सका है़ फलत: आज तक जिला मुख्यालय का सबसे महत्वपूर्ण इलाका कसबे के रूप में पड़ा है़ इस मार्केट का निर्माण वर्ष 1897 में हुआ था़ इसमें कई जमींदारों ने डोनेशन देकर निर्माण कराया था़ आज इस मार्केट में करीब दो दर्जन दुकानें हैं जिसके किरायेदार अब स्वयं मालिक बन बैठे है़ं राजेंद्र फंड की जमीन में बनी दुकानों का किराया सुन कर भौचक हो जायेंगे़ यहां जितनी भी दुकानें हैं
उसका किराया 100 से 300 रुपये तक ही है़ इसके मूल किरायेदारों ने जो खेल कर रखा है, वह किसी घोटाले से कम नहीं है़ इसके किरायेदार दूसरे किरायेदारों को लाखों रुपये एडवांस में हजारों रुपये प्रतिमाह की दर से दुकानों को दे रखा है़ इतना ही नहीं इस फंड की दुकानों को, तो अब बेचा भी जाने लगा है़ बावजूद राजेंद्र फंड के अधिकारी कुछ नहीं बोल पा रहे हैं. उनकी आंखों में धूल झोंक कर यह कहा जा रहा है कि दुकानें किराये पर नहीं बल्कि पार्टनरशिप में है़
कहां-कहां है जमीन
शहर में करीब 200 करोड़ की प्रोपर्टी वाले इस राजेंद्र फंड की जमीन नगर के पुल पर बेलीशरीफ के समीप लाल चौक से आगे बड़ी प्रोपर्टी है़ इसके अलावा आरएमडब्ल्यू कॉलेज भी इसी का है, जो दान में दे दिया गया है़ इस कॉलेज से उत्तर दिशा में भी पुराना भवन है तथा विजय बाजार चौक से आरएमडब्ल्यू कॉलेज जानेवाले रास्ते पर भी इसकी जमीन है़ इतनी जमीन रहते हुए भी कोई लेखा-जोखा नजर नहीं आ रहा है़ परिणामस्वरूप लोग प्रोपर्टी की लूट-खसोट कर रहे है़ं
क्या है इसका इतिहास
वर्ष 1897 में नवादा एसडीओ रहे एल्लियट साहब ने जमींदारों से फंड इकट्ठा कर दी एल्लियट मार्केट बनाया था़ वर्ष 1923 में नवादा सोशल क्लब ने इसे बनाया था़ तथा वर्ष 1953 में एल्लियट साहब को संस्कृत सीखने की इच्छा हुई, तो इसमें एंग्लो संस्कृत विद्यालय का निर्माण करा दिया. वर्ष 1954 में कोडरमा तिलैया के छठुमल होरी मल ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद मित्र राष्ट्रों की जीत पर आरएमडब्ल्यू कॉलेज की जमीन पर विक्टरी विजय उत्सव भवन बनाया गया था.
किरायेदारों ने ही बेच दी फंड की प्रोपर्टी
मेन रोड में अवस्थित राजेंद्र फंड की दुकानों में अब तक किरायेदारों ने चार दुकानों को लाखों रुपये में बेच दिया है़ बावजूद फंड के अधिकारी मौन बैठे हैं. जानकारी के अनुसार करीब 25 वर्ष पूर्व मजीद मियां ने राजेंद्र फंड की दुकान को फैजान मियां से करीब दो लाख में बेचा है.
परमेश्वर राम भदानी ने करीब 15 साल पूर्व राजेंद्र फंड की दुकान को बरेव के अनिल सिंह के हाथों करीब पांच लाख रुपये में बेच दिया था़ 10 साल पूर्व काशी मास्टर ने राजेंद्र फंड की दुकान को श्रवण भोजपुरी के हाथों 12 लाख में बेचा है़ इसी प्रकार स्व नथमल अग्रवाल ने अभय जैन के हाथों चार साल पूर्व करीब 20 लाख रुपये में बेच चुका है़ गोरखधंधा होने के बाद भी राजेंद्र फंड की कमेटी मौन है़
क्या कहते हैं राजेंद्र फंड कमेटी के अधिकारी
दुकानें लोगों को लीज पर दी गयी थीं. किरायेदारों ने पार्टनर की बात कह कर दूसरों का बेचा है, पर सबूत नहीं रहने के कारण कुछ कर नहीं सकते हैं. सात लोगों की कमेटी है. इसमें डीएम अध्यक्ष है़ं मेन रोड चौड़ीकरण की बात आने के कारण उसका जीर्णोद्धार नहीं हो सका है़ अब डीएम से बात की जा रही है. जीर्णोद्धार पर विचार किया जा रहा है़ जिसने गलत किया है उनके ऊपर कार्रवाई की जायेगी.
आरपी साहू, सचिव, राजेंद्र फंड, नवादा

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