लाडलों की सुरक्षा स्कूल प्रबंधन पर, सोचें जरूर

बड़े प्राइवेट संस्थानों की व्यवस्था भी लचर विद्यार्थियों के आपस में मारपीट व झड़प की घटनाएं बढ़ीं छात्राओं से छेड़खानी की भी आती हैं शिकायतें शहर के एक स्कूल में फेंके गये थे बम नवादा नगर : बेहतर शिक्षा पाने के लिए बेहतर संस्थान ढूंढ़ने की कोशिश में अभिभावक अक्सर महंगे फीस वाले स्कूलों की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 12, 2017 10:22 AM
बड़े प्राइवेट संस्थानों की व्यवस्था भी लचर
विद्यार्थियों के आपस में मारपीट व झड़प की घटनाएं बढ़ीं
छात्राओं से छेड़खानी की भी आती हैं शिकायतें
शहर के एक स्कूल में फेंके गये थे बम
नवादा नगर : बेहतर शिक्षा पाने के लिए बेहतर संस्थान ढूंढ़ने की कोशिश में अभिभावक अक्सर महंगे फीस वाले स्कूलों की ओर देखते हैंं. संस्थान में एडमिशन के बाद पढ़ाई से लेकर बच्चे के व्यक्तित्व विकास करने का जिम्मा स्कूल पर छोड़ कर निश्चिंत होनेवाले अभिभावकों को गुरुग्राम के स्कूल में छात्र प्रद्युमन के साथ घटी घटना एक सबक दे रहा है.
सरकारी व निजी स्कूलों में पढ़नेवाले विद्यार्थी अपने समय का बड़ा हिस्सा स्कूलों में बिताते हैं. इस दौरान यदि स्कूल प्रबंधन की पैनी नजर इन बच्चों पर नहीं रही, तो दुर्घटना के साथ आपसी झड़प की घटनाएं भी घट सकती हैं. जिले में अक्सर स्कूली विद्यार्थियों के बीच आपसी झड़प की घटनाएं सुनने को मिलती है. पिछले दिनों संत जोसेफ स्कूल में 26 जनवरी के कार्यक्रम के दौरान बम फेंके जाने की घटना हुई थी. इसमें एक छात्रा के पैर में चोट भी लगी थी. छात्रों के दो गुटों के बीच व्हाट्सएप्प पर धार्मिक टिप्पणी के कारण उपजे विवाद को दूर करने के लिए सदर एसडीओ व एसडीपीओ को कई घंटों तक दोनों पक्षों के छात्रों व स्कूल प्रबंधन के साथ बैठक करके समझौता कराना पड़ा था.
क्या कहते हैं अभिभावक
स्कूल में बच्चे पढ़ने जाते हैं, लेकिन ध्यान हमेशा उस पर लगा रहता है. स्कूलों में मोरल एजुकेशन की कमी के कारण अब पहले जैसा शिक्षकों का डर छात्रों पर नहीं दिखता है. अनुशासन के नाम पर जैसे-तैसे नियम तो लादे जाते हैं, लेकिन स्कूल आने के बाद बच्चे सही सलामत घर वापस हों, इसके लिए शिक्षक और स्कूल प्रबंधन की उतनी सक्रियता नहीं रहती है.
मो. आबिद, मोगलाखार
स्कूल में जरूरत से ज्यादा बच्चों का एडमिशन ले लिया जाता है. यही वजह है कि कई स्कूलों में बैठने के लिए भी पूरी जगह नहीं होती है. सुरक्षा के नाम पर गेट पर गार्ड, तो रहते हैं, लेकिन बच्चे किधर भाग-दौड़ कर रहे हैं, इसकी चिंता किसी को नहीं होती है. कई स्कूलों में, तो वायरिंग के खुले तार, वाटर सप्लाइ की समस्या आदि बड़ी दुर्घटना का कारण बनती है. इस पर रोक लगाने पर ध्यान देना होगा.
अरविंद कुमार, न्यू एरिया
स्कूल में सुरक्षा मानकों को पूरा करने का दावा, तो नहीं करते. लेकिन, अधिक से अधिक बच्चों को सुरक्षा का लाभ मिले इसके लिए काम होता है. स्कूल में सीसीटीवी कैमरे से सब पर निगाह रखने के लिए कंट्रोल रूम बना है. गार्ड के अलावा लंच टाइम, एसेंबली, खेलने, सड़क पार करने आदि के समय शिक्षकों को विशेष केयर के लिए लगाया जाता है. नैतिक शिक्षा को लेकर अक्सर सजगता से काम होता है. बस से आने-जाने के समय भी बस के स्टाफ के साथ एक टीचिंग स्टाफ होते हैं.
डॉ वीके पांडेय, प्राचार्य, जीवन दीप पब्लिक स्कूल
नैतिक व मूल्यों वाली शिक्षा को बढ़ावा देकर बच्चों की सोच में परिवर्तन लाने का काम किया जा रहा है. स्कूल में समय-समय पर मीटिंग कर टीचिंग और नन टीचिंग टीम को अलर्ट करने का काम किया जाता है. पिछले दिनों हुई घटना के बाद जनवरी में जिम्मा दिया गया है. हमारी पूरी कोशिश रही है कि व्यवस्था के साथ अनुशासन में बच्चे रहे़ं उसका असर दिखता है. सुरक्षा के लिए गार्ड के अलावा प्रशासन की ओर से से भी अक्सर सुरक्षाकर्मी आते रहते हैं.
फादर स्वास्टिन, प्राचार्य, संत जोसेफ स्कूल
स्कूल के अंदर व बाहर किसी प्रकार की परेशानी छात्र-छात्राओं को नहीं हो, इसके लिए हर स्तर पर काम किया गया है. गुरुग्राम की घटना एक सभ्य समाज में दाग की तरह है. इससे सबक लेने की जरूरत है. हमारे यहां जरूरी साधन दिये गये हैं. बच्चों की हर हरकत पर नजर रखी जाती है.
आरपी साहू, प्रबंध निदेशक, जीवन ज्योति पब्लिक स्कूल
घटना को रोकना स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी है. हमलोग अपने यहां सुरक्षा को लेकर सजग रहते हैं. हर संभव कोशिश होती है कि बेहतर से बेहतर सुविधा उपलब्ध करायी जाये. सुरक्षा के लिए गार्ड, सीसीटीवी कैमरे, बाहरी लोगों के आने पर रोक आदि को लेकर कदम उठाये गये हैं.
रंजय कुमार, डायरेक्टर, आरपीएस स्कूल
स्कूल की सुरक्षा में कमी
स्कूलों में पर्याप्त संख्या में गार्ड की बहाली, बाहरी लोगों के लिए स्कूल परिसर में आने-जाने से रोकने के उपाय, सीसीटीवी कैमरे की पर्याप्त उपलब्धता नहीं होने, विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों की कमी आदि कई ऐसे विषय हैं, जिस पर स्कूलस्तर पर काम नहीं हो पाने के कारण स्कूलों की आंतरिक व बाहरी सुरक्षा संदेह में दिखता है. स्कूल में सुविधा के नाम पर कमी और फी के मामले सबसे अधिक लेने की होड़ ने व्यवस्था को और लचर बना दिया है.

Next Article

Exit mobile version