दुष्कर्मियों को बचाने का केस नहीं लड़ें अधिवक्ता

नवादा. समाज में रहनेवाले लोगों को गैंगरेप व दुष्कर्म जैसी घटनाओं को अंजाम देनेवालों का एकजुटता से बहिष्कार करना चाहिए. ऐसे लोगों को पनाह देने या उन्हें बचाने का प्रयास करनेवाला उससे भी बड़ा दोषी होता है. जो लोग उन्हें बचाने के बारे में सोचते हैं उन्हें शायद यह पता नहीं होता कि ऐसे लोग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 9, 2017 10:01 AM
नवादा. समाज में रहनेवाले लोगों को गैंगरेप व दुष्कर्म जैसी घटनाओं को अंजाम देनेवालों का एकजुटता से बहिष्कार करना चाहिए. ऐसे लोगों को पनाह देने या उन्हें बचाने का प्रयास करनेवाला उससे भी बड़ा दोषी होता है. जो लोग उन्हें बचाने के बारे में सोचते हैं उन्हें शायद यह पता नहीं होता कि ऐसे लोग किसी को नहीं बख्शते. दुष्कर्म जैसी जघन्य घटनाओं को अंजाम देनेवाला कभी भी इंसान नहीं हो सकता है. समाज के लोगों को अपने पेशे से ऊपर उठ कर थोड़ा इंसानियत का भी ख्याल रखना चाहिए़ इससे गैंगरेप जैसी घटनाओं को अंजाम देनेवालों को सबक मिलेगा़ इन्हीं बिंदुओं पर व्यवहार न्यायालय में अधिवक्ताओं के बीच हुई चर्चा में कई बातें उभर कर सामने आयीं
गैंगरेप व दुष्कर्म समाज के लिए ऐसा अभिशाप है, जिससे पुुरुष समाज कलंकित हो रहा है. इस तरह के लोगों का सामाजिक बहिष्कार करने की जरूरत है. कानून, तो अपना काम करेगा ही़ परंतु, नागरिकों का भी अपना दायित्व है कि ऐसे लोगों को चिह्नित कर गांव से शहर तक समाज द्वारा बहिष्कार होना चाहिए. समाज में पनप रहे ऐसी मनोवृत्ति के लोगों को मानव जाति में रहने का कोई हक नहीं है. इंसान इतना गिर गया है कि छोटी बच्चियों को भी अपने हवस के शिकार बना ले रहे हैं. इन लोगों को ऐसी सजा दी जानी चाहिए कि गैंगरेप करने के नाम पर ही उनका रूह कांप जाये.
रोहित सिन्हा, अधिवक्ता
गैंगरेप जैसी घटना सामाजिक कलंक है. यह इंसानियत के नाम दाग है़ हर वर्ग को मिल कर इस तरह के लोगों का बहिष्कार करना चाहिए़ एक तरफ महिलाओं को मां, बेटी,बहन के रूप में सम्मान देते हैं और दूसरी तरफ उन्हें कलंक के दलदल में धकेल दिया जाता है़ दरिंदों का बहिष्कार करने के लिए लोगों को साथ होना होगा़
अरुण सिन्हा,अधिवक्ता

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