देवोत्थान एकादशी व्रत के साथ ही शुरू हुआ मांगलिक कार्यों का शुभ मुहुर्त

एकादशी व्रत पर गन्ने की जमकर हुई बिक्री नवादा : कार्तिक शुक्ल ग्यारस के उपलक्ष्य में मंगलवार को देवउठनी एकादशी अर्थात प्रबोधिनी एकादशी व्रत किया गया. लोगों ने सुबह से उपवास रखकर भगवान विष्णु की आराधना कर गन्ने का प्रसाद ग्रहण किया. इस अवसर पर जिलेभर में गन्ने की बिक्री चरम पर रही. नगर के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 1, 2017 7:45 AM
एकादशी व्रत पर गन्ने की जमकर हुई बिक्री
नवादा : कार्तिक शुक्ल ग्यारस के उपलक्ष्य में मंगलवार को देवउठनी एकादशी अर्थात प्रबोधिनी एकादशी व्रत किया गया. लोगों ने सुबह से उपवास रखकर भगवान विष्णु की आराधना कर गन्ने का प्रसाद ग्रहण किया.
इस अवसर पर जिलेभर में गन्ने की बिक्री चरम पर रही. नगर के चौक-चौराहे पर सुबह से ही गन्ने की दुकानें सज गयी थीं. एकादशी व्रत को लेकर बाजार में काफी भीड़ देखने को मिली. यातायात पूरे दिन प्रभावित रहा. गौरतलब है कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी को देव शयन करते हैं व कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन उठते हैं, जिसे देवोत्थान कहा जाता है. इस दिन विष्णु क्षीर सागर में निंद्रा अवस्था से चार माह के उपरांत जागते हैं. भगवान विष्णु के शयन के चार माह में सभी मांगलिक कार्य निषेध रहता है.
हरि के जागने के उपरांत ही सभी मांगलिक कार्य आरंभ हो जाता है. श्रीहरी को चार मास की योग-निंद्रा से जगाने के लिये घंटा, शंख, मृदंग वाद्यों की मांगलिक ध्वनि के बीच श्लोक पढ़ा जाता है. यह वर्णन पद्मपुराण के उत्तरखंड में है, शोभनाथ मंदिर के श्री पंडित बताते हैं कि प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करने से हजार अश्वमेध व सौ राजसूय यज्ञों का फल मिलता है.
उन्होंने बताया कि देवोत्थान की कथा अनुसार नारायण ने लक्ष्मी से कहा था कि मैं प्रति वर्ष चातुर्मास वर्षा ऋतु में शयन करूंगा. उस समय सर्व देवताओं को अवकाश होगा. मेरी यह निंद्रा अल्प निंद्रा व प्रलयकालीन महानिंद्रा कहलायेगी. जो लोग शयन व उत्थापन की पूजा करेंगे उनके घर भगवान विष्णु व लक्ष्मी का वास होगा. प्रबोधिनी एकादशी के विशेष व्रत, पूजन व उपाय करने से दुर्भाग्य समाप्त होता है तथा भग्योदय होता है साथ ही दुख-दरिद्रता घर से दूर जाता है.
जेठान एकादशी से शुरू होता है मांगलिक कार्य, बजने लगती है शहनाई संसार के संचालनकर्ता श्री हरी विष्णु चार महीने के बाद देवउठनी एकादशी पर नींद से जागते ही सभी मांगलिक कार्य आरम्भ हो जाते हैं और शहनाईयां गूंजने लगती हैं. 2017 में ग्रह-नक्षत्रों के अनुकूल न होने के कारण देवउठनी ग्यारस पर शादियां कम होंगी. गृह प्रवेश, उपनयन संस्कार आदि अन्य शुभ काम भी आरंभ होने में परेशानी रहेगी. गुरु तारे के अस्त होने से शादी के शुभ मुहूर्त देव प्रबोधिनी एकादशी के 18 दिन उपरांत आरंभ होंगे. 31 अक्तूबर को एकादशी तिथि है.
ज्योतिषीय गणना के अनुसार 19 नवंबर को सूर्य वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे तभी से मांगलिक कार्य किया जायेगा. नवंबर-दिसंबर में विवाह के लिए केवल 13 लग्न मुहूर्त रहेंगे. 15 दिसंबर से लेकर 3 फरवरी 2018 तक लगभग डेढ़ माह विवाह के मुहूर्त नहीं होंगे. 15 दिसंबर से मलमास का आरंभ हो रहा है, जिसका विश्राम 14 जनवरी 2018 को होगा. फिर शुक्र तारा अस्त हो जाएगा, इस दौरान शादी-ब्याह नहीं हो पायेगा.

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