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बेटियों की तीन भ्रूण हत्या से दहला दिल

चिंतनीय. अल्ट्रासाउंड जांच केंद्रों की कार्यशैली पर सवाल, अनचाहे गर्भ को माना जा रहा कारण नवादा : लड़कियां समाज के लिए आज भी अभिशाप मानी जा रही है़ं इस बात का प्रमाण भ्रूण हत्या के मिले आंकड़ों में मिलता है. एक माह में शहर के तीन स्थानों से बेटियों का भ्रूण फेंका मिलना चिंतनीय है. […]

चिंतनीय. अल्ट्रासाउंड जांच केंद्रों की कार्यशैली पर सवाल, अनचाहे गर्भ को माना जा रहा कारण

नवादा : लड़कियां समाज के लिए आज भी अभिशाप मानी जा रही है़ं इस बात का प्रमाण भ्रूण हत्या के मिले आंकड़ों में मिलता है. एक माह में शहर के तीन स्थानों से बेटियों का भ्रूण फेंका मिलना चिंतनीय है. नगर के गढ़पर सूर्य मंदिर के पास, पंजाब नेशनल बैंक के पीछे बरहगैनिया पइन के समीप तथा हाटपर नगर पर्षद मार्केट के पीछे कूड़े के ढेर पर बेटियों के भ्रूण को पुलिस ने बरामद किया है़ इसमें दो तरह के मामले सामने आते हैं. पहला अवैध संबंध के कारण गर्भधारण व दूसरा यह कि लिंग प्रत्यक्षण के कारण भ्रूण हत्याएं हो रही है़ं इसे अंधविश्वास को समाप्त करने के लिए जागरूकता अभियान चलाना महज एक दिखावा साबित हो रहा है.
डर की बातें सिर्फ कानून की किताबों तक सिमट कर रह गया है़ वर्तमान में जो स्थिति है उसके हिसाब से प्रति एक हजार पुरुष पर 943 महिलाएं हैं. हाल यही रहा तो आनेवाले दिनों में धरती से स्त्री जाति का नामोनिशान मिट जायेगा़ इसको लेकर समाज के हर वर्ग को गंभीरता से सोचना होगा. बेटियों की भ्रूण हत्या का एक कारण दहेज व उस पर होनेवाले खर्च को भी माना जा रहा है़ दो से अधिक बेटी होने पर लोग बौखला जाते है़ं बेटे की चाह रखने की फिराक में भ्रूण हत्या करने पर लोग आतुर हो जाते हैं.
लिंग जांच करनेवाली मशीन अल्ट्रासाउंड का दुरुपयोग हो रहा है़ जिले में आठ अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र संचालित है़ं गर्भपात से रोक के लिए कहीं कोई कार्रवाई गंभीरता से नहीं होती. जो कार्रवाई विभागीय स्तर से की गयी है वह महज खानापूर्ति है़ इसका नतीजा है कि आज भी कूड़े-कचरे के ढेर पर गर्भ से निकाले गये भ्रूण को कुत्ते नोच-नोच कर खाते नजर आते है़ं जिला स्वास्थ्य विभाग में भ्रूण हत्या की रोकथाम के लिए जिलास्तरीय तीन चिकित्सकों की कमेटी का गठन किया गया है़
क्या कहता है अधिनियम
कानून का उल्लंघन करनेवालों पर तीन साल की कैद और 10 हजार रुपये जुर्माना व पांच साल की जेल व 50 हजार रुपये का अर्थदंड है़ व्यावसायिक चिकित्सक के विरुद्ध न्यायालय द्वारा आरोप की रचना होने पर राज्य चिकित्सा परिषद को मामले के निबटारे तक निबंधन तथा दोष सिद्ध होने पर प्रथम दृष्टया में पांच साल व पुनरावृत्ति होने पर परिषद की पंजी से संबंधित डॉक्टर का नाम हटा दिया जायेगा़ यदि कोई व्यक्ति भ्रूण का लिंग जानना चाहे या लड़की को पति व रिश्तेदारों द्वारा जबरदस्ती लिंग परीक्षण के लिए बाध्य किया जाये और सिद्ध होने पर तीन साल की सजा व 50 हजार रुपये का जुर्माना देना होगा़ दोबारा अपराध सिद्ध होने पर पांच साल की जेल व एक लाख रुपये तक जुर्माना लगेगा़ जो व्यक्ति लिंग परीक्षण लिंग निर्धारण के लिए प्रचार करता है,
तो उसे तीन साल की जेल व 10 हजार रुपये का अर्थदंड की सजा होगी़ नियम का उल्लंघन होने पर खास तौर पर नियम के अनुसार जैसे रिकाॅर्ड को न रखने व उसे कार्य में नहीं लेने और पूरा करने पर तीन माह की जेल व एक हजार रुपये जुर्माना है़ अपंजीकृत ईकाई पर धारा 23 के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई होगी़
जांच नहीं कर सकते गैर एलोपैथिक डॉक्टर
गैर एलोपैथिक चिकित्सक मशीन पर जांचकर्ता के रूप में कार्य नहीं कर सकता है. इसके लिए चिकित्सक को कम से कम एमबीबीएस की डिग्री आवश्यक है़ साथ ही साथ अल्ट्रासाउंड,सोनोग्राफी में छह माह का प्रशिक्षण व एक वर्ष की सोनोग्राफी में कार्यानुभव अनिवार्य है़ चिकित्सक का पंजीकरण एमसीआई व स्टेट मेडिकल काउंसिल में होना भी जरूरी है.
जिन पर हो सकती है कार्रवाई
वह व्यक्ति व चिकित्सक जो जांचकर्ता के रूप में कार्य करता है, ऐसे व्यक्ति जो केंद्र के संचालक हैं, जो लिंग जांच कराने में बीच की भूमिका निभा रहे हो़ं गर्भवती महिला के पति व परिवार तथा महिला के वैसे रिश्तेदार जो लिंग जांच के लिए महिला को प्रेरित करता है़ गर्भवती महिला जब यह सिद्ध हो जाये कि वह अपनी मर्जी से लिंग जांच करवाने गयी है़
लोगों की सोच पर क्या कहता है बुद्धिजीवी वर्ग
जिस तरह से समाज में बेटियों की संख्या घट रही है, उस हिसाब से आनेवाले दिनों में बेटियों के लिए लोगों को तरसना पड़ेगा़ अभिशाप के रूप में आज भी बेटियां देखी जा रही हैं. यह आनेवाले दिनों के लिए घातक होगा़
अनिल प्रसाद साहा, शिक्षक, मालगोदाम
समाज को बेटियों के प्रति जागरूक होने की जरूरत है, सरकार ने जो दहेज के खिलाफ अभियान चलाया है वह जिस दिन अमल में आने लगेगा उस दिन से बेटियों की मांग भी बढ़ जायेगी. लोगों में बेटियों के प्रति दहेज का दहशत बना है़
छोटे लाल मिस्त्री, राजेंद्र नगर
बेटियों के प्रति लोगों को जागरूक होने की जरूरत है़ इस खाई को पाटने के लिए समाज में जागरूकता अत्यंत जरूरी है़ सरकार का दहेज उन्मूलन अभियान भी काफी कारगर साबित होगा़
सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा, पार नवादा
भ्रूण हत्या को लेकर समाज में जागरूक लोग ही हत्या कर रहे हैं. आज जो स्थिति बनी है, उसमें हम एक तरफ बेटी पढ़ाओ और बेटी बढ़ाओ का नारा दे रहे हैं वहीं दूसरी ओर इस दुनिया में आने से पहले ही उसे मार दे रहे हैं.
चंद्रशेखर प्रसाद सिंह, पटेल नगर
पुलिस को करनी होती है भ्रूण हत्या की जांच
भ्रूण हत्या को लेकर जांच करने का जिम्मा पुलिस को है़ मेडिकल स्तर पर इसके लिए दो लोगों की टीम बनायी गयी है, जो समय-समय पर अल्ट्रासाउंड मशीन की जांच करने जाते हैं. अब तक कोई ऐसी शिकायत नहीं मिली है, जिसके तहत कार्रवाई की जा सके़ इसमें दोनों पक्षों की गुफ्तगू रहती है़ लेकिन, ऐसे मामलों पर कड़ी नजर रखने को कहा गया है़
डॉ श्रीनाथ प्रसाद, सिविल सर्जन

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