नवादा : मॉनसून की बेरुखी से किसानों की आंखों में आने लगे आंसू

नवादा : माॅनसून की बेरुखी ने किसानों की खरीफ फसलों पर टिकी उम्मीदों पर ग्रहण लगा दिया है. बारिश के इंतजार में धान का बिचड़ा गिराने का लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है. इसके लिए अब आदर्श समय सिर्फ एक सप्ताह बचा है. विभागीय आंकड़ों के अनुसार जिले में 8000 हेक्टेयर में धान का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 12, 2018 12:23 AM
नवादा : माॅनसून की बेरुखी ने किसानों की खरीफ फसलों पर टिकी उम्मीदों पर ग्रहण लगा दिया है. बारिश के इंतजार में धान का बिचड़ा गिराने का लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है. इसके लिए अब आदर्श समय सिर्फ एक सप्ताह बचा है. विभागीय आंकड़ों के अनुसार जिले में 8000 हेक्टेयर में धान का बिचड़ा लगाने का लक्ष्य है. अब तक सिर्फ 6000 हेक्टेयर में ही बिचड़ा गिराया गया है.
यह लक्ष्य का 75 प्रतिशत है. पछियाडीह के किसान चरितर सिंह कहते हैं- जो बिचड़ा लगा चुके हैं इसकी रोपनी कैसे होगी, यह बड़ा मुद्दा है. पंप के सहारे किसान बिचड़ा लगा ले रहे हैं. पर, रोपनी में बारिश नितांत जरूरी है. जिले में वारिसलीगंज प्रखंड में सबसे ज्यादा आच्छादन हुआ है. यहां 90 प्रतिशत आच्छादन हुआ है.यहां के किसानों को नहर की सिंचाई का लाभ मिल रहा है.
जिले में नारदीगंज का आंकड़ा सबसे खराब है. यहां मात्र 63.19 प्रतिशत ही धान के बिचड़ा लगा है. जिले में वास्तविक वर्षापात मात्र 37.41 एमएम ही हुई है.जुलाई माह में सामान्य वर्षापात अब तक 216.6 एमएम है.जून माह में भी 133.6 एमएम की जगह मात्र 51.35 एमएम ही बारिश हो सकी है. चालू खरीफ मौसम किसानों को रूलाने पर आमदा है.
खाद की भी उपलब्धता नहीं
जिले में जिस तरह से प्रकृति की बेरूखी से खेती प्रभावित हो रही है. उसी तरह से विभागीय बेरुखी से उर्वरक की आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है. खरीफ मौसम 2018-19 के लिये प्रारम्भिक माह एक अप्रैल से 30 जून तक उर्वरक की आपूर्ति एक तिहाई से भी कम हुआ है. इससे जरूरत मंद किसानों को बारिश होने के बाद उर्वरक की आवश्यकता पड़ने पर छटपटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा.
फलतः किसानों को बाजार से ब्लैक में उर्वरक खरीदना मजबूरी हो जायेगी. विभाग इसके लिये गम्भीरता से लेते हुए जरूरत से पूर्व उवर्रक की आपूर्ति करने में कोताही बरत रही है. उर्वरक की बात करें तो पोटाश का अपूर्ति इस साल अभी तक शून्य रहा है. कहा जाता है कि खरीफ में पोटाश की जरूरत नहीं होती है, इसकी जरूरत रबी में पड़ता है.
कृषि विभाग ने जिले में किसानों से उर्वरक, बीज और कीटनाशी का नमूना लेने के लिए समय निर्धारित किया है. इसके तहत 30 सितंबर तक उक्त सभी का नमूना संग्रह कर जांच के लिये लैब भेजा जा रहा है. वर्तमान में नमूना लेने का काम काफी धीमा है़

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