रोटा वायरस नियमित टीकाकरण का हिस्सा, पांच बूंद की मिलेगी खुराक
नवादा : बच्चों को डायरिया से निजात दिलाने के लिए रोटा वायरस टीके को तीन जुलाई से नियमित प्रतिरक्षण में शामिल किया जा रहा है. जिला सदर अस्पताल सहित जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में बुधवार को 14 सप्ताह तक के बच्चों को रोटा वायरस टीके की पांच बूंद पिलाकर इस टीके की आधिकारिक शुरुआत […]
नवादा : बच्चों को डायरिया से निजात दिलाने के लिए रोटा वायरस टीके को तीन जुलाई से नियमित प्रतिरक्षण में शामिल किया जा रहा है. जिला सदर अस्पताल सहित जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में बुधवार को 14 सप्ताह तक के बच्चों को रोटा वायरस टीके की पांच बूंद पिलाकर इस टीके की आधिकारिक शुरुआत की जायेगी.
सभी स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्धता
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अशोक चौधरी ने बताया कि जिले में तीन जुलाई से नियमित टीकाकरण के अंतर्गत रोटा वायरस को भी शामिल किया जायेगा. इसके लिए सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य कर्मियों के साथ एएनएम को पूर्व में ही प्रशिक्षण प्रदान कराया गया है. साथ ही कुशल कार्यान्वयन के लिए जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर इसकी पूर्ण उपलब्धता भी सुनिश्चित की गयी है.
40 प्रतिशत दस्त रोटा वायरस के कारण
कार्यपालक निदेशक राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा जारी पत्र के अनुसार दस्त से प्रभावित अस्पताल में भर्ती होने वाले वाले बच्चों में लगभग 40 प्रतिशत बच्चे रोटा वायरस से ग्रसित होते हैं. भारत में पांच वर्ष से कम आयु के लगभग नौ प्रतिशत बच्चों की मृत्यु डायरिया के कारण हो जाती है. यह बच्चों में लंबे समय तक कुपोषण का कारण भी होता है. इससे बच्चों में जरूरी शारीरिक व मानसिक विकास में बाधा आती है और अन्य रोगों से ग्रसित होने की संभावना भी बढ़ जाती है.
कार्यपालक निदेशक राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा जारी पत्र के अनुसार दस्त से प्रभावित अस्पताल में भर्ती होने वाले वाले बच्चों में लगभग 40 प्रतिशत बच्चे रोटा वायरस से ग्रसित होते हैं. भारत में पांच वर्ष से कम आयु के लगभग नौ प्रतिशत बच्चों की मृत्यु डायरिया के कारण हो जाती है. यह बच्चों में लंबे समय तक कुपोषण का कारण भी होता है. इससे बच्चों में जरूरी शारीरिक व मानसिक विकास में बाधा आती है और अन्य रोगों से ग्रसित होने की संभावना भी बढ़ जाती है.
रोटा वायरस से संक्रमण के लक्षणों को जानें
रोटा वायरस संक्रमण में गंभीर दस्त के साथ-साथ बुखार और उल्टियां भी होती हैं और कभी- कभी पेट में दर्द भी होता है. दस्त एवं अन्य लक्षण लगभग तीन से सात दिनों तक रहते हैं. रोटा वायरस संक्रमण की शुरुआत हल्के दस्त से होती है जो आगे जाकर गंभीर रूप ले सकता है. पर्याप्त इलाज नहीं मिलने के कारण शरीर में पानी व नमक की कमी हो सकती है तथा कुछ मामलों में बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है.
वैक्सीन अभियान आज से होगा शुरू
कौआकोल : रोटा वायरस वैक्सीन अभियान आज से शुरू किया जायेगा. इसके लिए सभी स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित कर वैक्सीन करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. इस संबंध में जानकारी देते हुए कौआकोल पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रामप्रिये सहगल ने बताया कि रोटा वायरस एक बच्चे से दूसरे बच्चों में दूषित पानी, दूषित भोजन खाने व गंदे तथा संक्रमित हाथों के संपर्क में आने से फैलता है. यह वायरस कई घंटों तक बच्चों के हाथों में और अन्य जगहों पर लंबे समय तक जीवित रह सकता है. सर्दियों व बरसात के शुरुआती मौसम में इसका संक्रमण सबसे अधिक दिखाई देता है.
उन्होंने कहा कि रोटा वायरस एक संक्रामक वायरस है. इसकी शुरुआत हल्के दस्त से होता है, जो तनिक सी लापरवाही के कारण गंभीर रूप ले लेता है. पर्याप्त उपचार नहीं मिलने के कारण दस्त से शरीर में पानी और नमक की कमी हो जाती है और कुछ मामलों में अाक्रांत बच्चों की मृत्यु भी हो जाती है.
इसके रोकथाम के एकमात्र उपाय साफ सफाई रखने व रोटा वायरस वैक्सीन है और यह काफी प्रभावी सिद्ध होता रहा है. इसके लिए शिशुओं को यह वैक्सीन तीन चरणों में दिया जायेगा. पहला टीका जन्म से छह सप्ताह, दूसरा 10 सप्ताह व आखिरी टीका 14 सप्ताह पर दिया जायेगा.
स्वास्थ्य व पोषण समिति के सदस्यों को दिया गया प्रशिक्षण
कौआकोल : स्वास्थ्य मिशन के दिशा निर्देशों के आलोक में मंगलवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कौआकोल व नेहा ग्रामीण विकास समिति के द्वारा ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता व पोषण समिति के सदस्यों का स्वास्थ्य के लिए सामुदायिक प्रयास कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण दिया गया.
प्रखंड कार्यालय परिसर स्थित ट्राइसेम भवन में आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रखंड के 15 पंचायतों में गठित ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता व पोषण समिति के सदस्यों को ग्राम स्तर पर समुदाय को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को उपलब्ध कराने, सेवाओं की निगरानी तथा मुक्त राशि का ब्योरा रखने के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारियां दी गयी.
साथ ही इन सदस्यों को ग्राम स्वास्थ्य कार्य योजना बनाने, स्वास्थ्य के लिए सामुदायिक प्रयास कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न स्तर पर बनाये गये समितियों तथा इस कार्यक्रम के अंतर्गत सभी चरणों की विस्तृत रूप से जानकारी दी गयी.
इस दौरान प्रशिक्षण सत्र में मौजूद रहे लोगों को स्वास्थ्य के लिए सामुदायिक प्रयास कार्यक्रम के तहत बनायी गयी लघु फिल्म स्वास्थ्य के बढ़ते कदम को दिखाया गया. इस मौके पर पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रामप्रिये सहगल के अलावा परियोजना के कर्मचारी उपस्थित थे.
बरतें सावधानियां
- बच्चे को खाना खिलाने से पहले अपना एवं बच्चे का हाथ साफ करे
- बच्चे को ताजा व स्वच्छ भोजन ही दे
- दस्त के लक्षण दिखाई देने पर नियमित अंतराल पर ओआरएस का घोल दे
- बच्चों को रोटा वायरस का टीका दिलाये. पहली खुराक जन्म के छह सप्ताह पर, दूसरी 10 सप्ताह पर एवं आखिरी 14 सप्ताह पर दिलाये.