पकरीबरावां : काशीचक थाना क्षेत्र के रेवार गांव के एक दलित परिवार जिंदगी और मौत से जुझ रहा है. गांव के बढ़न मांझी पिछले दो वर्षों से कैंसर रोग से पीड़ित है. यह गरीबी के कारण बेहतर इलाज से वंचित हैं. पीड़ित की पत्नी दर्जनों बार कई जनप्रतिनिधियों के समक्ष अपने पति के बेहतर इलाज की गुहार लगा चुकी है.
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दर-दर की ठोकरें खा रहे कैंसर पीड़ित बढ़न मांझी
पकरीबरावां : काशीचक थाना क्षेत्र के रेवार गांव के एक दलित परिवार जिंदगी और मौत से जुझ रहा है. गांव के बढ़न मांझी पिछले दो वर्षों से कैंसर रोग से पीड़ित है. यह गरीबी के कारण बेहतर इलाज से वंचित हैं. पीड़ित की पत्नी दर्जनों बार कई जनप्रतिनिधियों के समक्ष अपने पति के बेहतर इलाज […]
लेकिन, कोई कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है. उनके लगभग 40 वर्षीय पति जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं. फिर भी उनका हाल लेनेवाला कोई नहीं है.
गौरतलब हो कि पीड़ित की हालत जब काफी खराब हुई, तो उनकी पत्नी गांव के कुछ किसानों से अपने पति के इलाज के लिए कुछ रुपये कर्ज के रूप में लेकर इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान पटना गयी, जहां उसे एक दलाल से मुलाकात हुई जिसने उसे बेहतर इलाज के लिए जल्द से जल्द नंबर ला देने और कम पैसे में इलाज करा देने का आश्वासन दिया. इस पर उनकी पत्नी ने उस पर विश्वास कर अपने साथ ले गयी राशि को उसे ही सौंप दिया. उसके बाद से वह व्यक्ति संस्थान में दिखना भी बंद हो गया.
पीड़ित की पत्नी की माने तो इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में जब वह पहुंची कई लोग उनके पास इलाज करवा देने का आश्वासन दिये. सब ने कुछ ना कुछ मांग जरूर किया. बढ़न मांझी की पत्नी कारगा देवी इस संस्थान में ठगी का शिकार हो गयी. वह रोते-रोते बताती है कि उसके पति के अलावा परिवार में तीन पुत्र व दो पुत्री का भार उनके कंधे पर है.
वह ऐसे हालात में अपने परिवार का भरण पोषण करें या पति का इलाज. यह सोच सोच कर वह काफी परेशान है. ऐसे हालात में भी ना तो कोई जनप्रतिनिधि इस क्षेत्र में पहल कर रहे हैं और ना ही कोई अधिकारी. इसके कारण उनके पति की जान खतरे में है.
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