इंटर में दाखिले के लिए भाग-दौड़

नवादा (नगर): मैट्रिक परीक्षा में जिले का शानदार रिजल्ट रहा है. लेकिन, सफल छात्र-छात्राओं के बीच अपनी पसंद का कॉलेज व विषय चुनने में समस्याएं आ रही है. उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं की तुलना में इंटर में सीटों की उपलब्धता काफी कम है. जिले के 20,212 छात्र व 15,519 छात्राओं ने मैट्रिक की परीक्षा पास किया है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 5, 2015 9:43 AM

नवादा (नगर): मैट्रिक परीक्षा में जिले का शानदार रिजल्ट रहा है. लेकिन, सफल छात्र-छात्राओं के बीच अपनी पसंद का कॉलेज व विषय चुनने में समस्याएं आ रही है. उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं की तुलना में इंटर में सीटों की उपलब्धता काफी कम है. जिले के 20,212 छात्र व 15,519 छात्राओं ने मैट्रिक की परीक्षा पास किया है.

इसमें 1772 फस्ट, 15743 सेकेंड व 2216 विद्यार्थियों ने थर्ड डिवीजन प्राप्त किया है. इन विद्यार्थियों के सामने अच्छा कॉलेज ढूंढ़ने की घोर समस्या है. इंटर में उपलब्ध सीटों की संख्या देखे तो 66 इंटर विद्यालयों व 21 सरकार व प्राइवेट कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई होती है. 66 इंटर विद्यालयों में 120 आर्ट्स व 120 साइंस की सीटें हैं.
इसी प्रकार अंगीभूत कॉलेजों को छोड़ दें, तो शेष कॉलेजों में 120-120 सीटें ही उपलब्ध है. कुल मिला कर देखें तो 15840 सीटें स्कूलों में व 5040 सीटें कॉलेजों में है.
35731 मैट्रिक परीक्षा में सफल छात्रों के लिए केवल 20,880 सीटें ही जिले में है. इतने कम सीटों की उपलब्धता के कारण नामांकन को लेकर मारामारी है. प्राइवेट कॉलेजों द्वारा अधिक नामांकन होने पर सीटों की क्षमता बढ़ाने का काम किया जाता है.
लेकिन वह भी पर्याप्त नहीं हो पाता है तथा इसके बदले छात्र-छात्राओं से एडमिशन के नाम पर मनमाना रुपये वसूल किया जाता है. कई सरकारी स्कूलों द्वारा भी एक या दो यूनिट सीट बढ़ाने का आवेदन बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से किया जाता है. कुल मिला कर देखे तो लगभग 40 प्रतिशत छात्रों के लिए कॉलेजों में सीटें नहीं है. जिसे बाद में पैरवी व रुपये के बल पर नामांकन लेना होगा. इसके एवज में विद्यार्थियों से मनमाना वसूली होती है. जिले में शिक्षा माफियाओं का गिरोह दूसरे जिलों व राज्यों के विद्यार्थियों का एडमिशन भी अधिक अंक पाने के लिए करवाते हैं.
इस वजह से भी सीटों की कमी होती है. आरएमडब्ल्यू कॉलेज, केएलएस कॉलेज, टीएस कॉलेज हिसुआ में एडमिशन के लिए भीड़ जुटती है. जबकि, कई प्राइवेट कॉलेज अभी से ही सीट फुल होने की बात कह कर छात्रों से मोटी कीमत वसूलने की योजना बना चुके हैं.

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