पूजा नहीं, ईश्वर की करें उपासना

नवादा कार्यालय : स्टेशन रोड स्थित आर्य समाज मंदिर में बुधवार को स्वामी दयानंद सरस्वती का निर्वाण दिवस पूरी श्रद्धा के साथ मनाया गया. आर्य समाज के प्रर्वतक स्वामी दयानंद सरस्वती ने कार्तिक अमावस्या के दिन निर्वाण प्राप्त किया था. इस अवसर पर आर्य समाज मंदिर में वैदिक स्रोत, स्वस्तिवाचन, शांति प्रकरण, ईश्वरोपासना के साथ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 13, 2015 6:32 AM
नवादा कार्यालय : स्टेशन रोड स्थित आर्य समाज मंदिर में बुधवार को स्वामी दयानंद सरस्वती का निर्वाण दिवस पूरी श्रद्धा के साथ मनाया गया. आर्य समाज के प्रर्वतक स्वामी दयानंद सरस्वती ने कार्तिक अमावस्या के दिन निर्वाण प्राप्त किया था. इस अवसर पर आर्य समाज मंदिर में वैदिक स्रोत, स्वस्तिवाचन, शांति प्रकरण, ईश्वरोपासना के साथ वैदिक मंत्रों का उच्चारण करते हुए यज्ञ किया गया.
यज्ञ शाला परिसर में पुरुष महिला तथा बच्चों ने श्रद्धा, भक्ति व शुचिता के साथ मंत्राहुति डाली. कार्यक्रम में परोपकारिणी सभा के डाॅ धर्मवीर के विचारों का पाठन व श्रवण किया. ईश्वर व देवता के मध्य अत्यंत सूक्ष्मता से अंतर व्यक्त करते हुए वक्ता ने कहा कि ईश्वर की उपासना की जा सकती है. उनकी पूजा नहीं की जा सकती है.
देवता वह है, जो केवल देता है, जैसे अग्नि, भूमि, वायु यह सब जड़ देवता हैं. जबकि माता, पिता, गुरु, अतिथि यह सब चेतन देवता है. इनकी यथा योग्य आदर सत्कार, अन्य, जल आदि से तृप्त करना ही पूजा है. आधुनिकता के दौर में मनुष्य को धर्मानुकूल आचरण के साथ जीवन यापन करने को लेकर भी चर्चा की गयी है. मनुष्य धर्मानुसार व्यवहार व आचरण कर सुख की प्राप्ति कर सकता है. मानव को अहंकार से परे होकर जीवन जीना चाहिए. अहंकार करके मनुष्य फूल तो सकता है, लेकिन फल नहीं सकता.
वर्तमान दौर में युवाओं को दिग्भ्रमित होने पर समाज के लोगों ने चिंता व्यक्त की. आज के युवा देहपोषण के प्रति सजग तो है, परंतु आत्म पोषण के प्रति उदासीन है. इससे युवा वर्ग में आत्म बल की घोर कमी हुई है. इस अवसर पर आर्य समाज की जिला इकाई की प्रधान अनुभा गुप्ता, मंत्री राजेश कुमार आर्य, कोषाध्यक्ष राजेश कुमार, मनोज आर्य, प्रेमशीला आर्य, रिंकी, शांति,प्रदीप, रौशन,अंशु आदि उपस्थित थे.

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