चिंतन है श्री कृष्ण की लीलाएं : रंगनाथाचार्य जी

चिंतन है श्री कृष्ण की लीलाएं : रंगनाथाचार्य जी नरहट. ठाकुरबाड़ी में चल रह प्रवचन के छठे दिन स्वामी रंगनाथाचार्य ने कहा की भगवान श्री कृष्ण की जो लीलाएं है वह चिंतनीय है. इसके चिंतन से भक्तों को आनंद का अनुभव होता है. साधुओं का मार्ग प्रशस्त होता है और संसारियों को संसार से विरक्ति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 16, 2015 6:57 PM

चिंतन है श्री कृष्ण की लीलाएं : रंगनाथाचार्य जी नरहट. ठाकुरबाड़ी में चल रह प्रवचन के छठे दिन स्वामी रंगनाथाचार्य ने कहा की भगवान श्री कृष्ण की जो लीलाएं है वह चिंतनीय है. इसके चिंतन से भक्तों को आनंद का अनुभव होता है. साधुओं का मार्ग प्रशस्त होता है और संसारियों को संसार से विरक्ति और परमात्मा के चरणों में अनुरक्ति होती है. कृष्ण व गोपियों के महारास प्रसंग का वर्णन करते हुए स्वामी जी ने कहा कि जब गोपियों के हृदय में अहंकार का महल बन गया कि हमारे जैसी गोपियां भगवान के प्रिय सहचरों में और कोई नहीं है, तब अहंकार रूपी महल को ध्वस्त करने के लिए भगवान अंर्तध्यान हो गये. बाद में जब गोपियों ने कृष्ण के दर्शन के लिए आंसु बहाए तब जाकर भगवान प्रकट हुए. इसी प्रकार सांसारिक लोगों का रोना गाड़ी, घोड़ा, बंगला, बेटा आदि के लिए होता है. लेकिन, प्रभु प्रेमियों का रोना तो भगवान से मिलने के लिए होता है. जीवन के जितने भी दिन हो वो भगवान के आराधना में बीते. इस प्रकार की सोच ही मानव का कल्याण करता है.

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