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लौट रहे रुपये नहीं बन रहा भवन

लौट रहे रुपये नहीं बन रहा भवन डीएल इंटर स्कूल में छात्र-छात्राओं को हो रही परेशानी जीर्ण-शीर्ण भवन में चल रहा है विद्यालयकई विसंगतियों की वजह से लौट रहे रुपये फोटो- 1प्रतिनिधि, हिसुआगोपाल लाल इंटर स्कूल में स्थापना के बाद से आज तक एक भी नये कमरे का निर्माण नहीं हुआ है. स्कूल जैसे-तैसे जमींदारी […]

लौट रहे रुपये नहीं बन रहा भवन डीएल इंटर स्कूल में छात्र-छात्राओं को हो रही परेशानी जीर्ण-शीर्ण भवन में चल रहा है विद्यालयकई विसंगतियों की वजह से लौट रहे रुपये फोटो- 1प्रतिनिधि, हिसुआगोपाल लाल इंटर स्कूल में स्थापना के बाद से आज तक एक भी नये कमरे का निर्माण नहीं हुआ है. स्कूल जैसे-तैसे जमींदारी काल के बने भवन में चल रहा हैं, जो अब जीर्ण-शीर्ण होते जा रहा है. छात्र-छात्राओं की संख्या के अनुपात में भवन व कमरे नहीं हैं. फिर भी नया निर्माण नहीं होता है़ भूमि होते हुए भी निर्माण व विकास नहीं होना बड़ा सवाल बनते जा रहा है. शहर में तीन इंटर स्कूल हैं. सबसे अधिक छात्र-छात्राओं वाला इंटर स्कूल, हिसुआ जिसका लगातार विकास व नया निर्माण होते रहा है़ दूसरा प्रोजेक्ट कन्या इंटर स्कूल, इसमें में सबसे अधिक विकास हुआ और विभिन्न योजनाओं के तहत कई भवनों को निर्माण भी हुआ़ लेकिन, डीएल इंटर स्कूल में विकास व निर्माण के नाम पर प्रगति शून्य है़ निर्माण व उपस्करों के लिए शिक्षा विभाग सहित अन्य मदों से आये रुपये लौटा दिया जा रहा है़ इस बार फिर भवन की मरम्मती और कमन रूम निर्माण के नाम पर दो लाख पचास हजार रुपये आये हैं, पर निर्माण नहीं होने से उसके भी लौट जाने की संभावना है. चार कमरों में ही चल रहा क्लास हिसुआ के जमींदार गोपाल लाल के नाम पर इस स्कूल की स्थापना 1980 में हुई. प्रभारी प्रधान श्याम किशोर सिंह ने स्कूल के उत्थान के लिए काफीर मशक्कत की़ गोपाल लाल के छोटे बेटे श्रीकांत लाल की पत्नी अंबिका भवानी ने स्कूल का भवन व भूमि दान में दी थी़ 1983 में विद्यालय स्थापना की अनुमति व 1988 में सरकारीकरण हुआ़ तब से ही स्कूल संसाधनों का अभाव झेलते हुए चल रहा है़ चार बड़े कमरों में कक्षाएं व दो-तीन छोटे संकीर्ण कमरों में ऑफिस, लाईब्रेरी, प्रयोगशाला, शिक्षकों के बैठने का रूम, कमन रूम सहित सारे काज होते हैं. चार से पांच फुट मोटी दीवार व 25 से 30 फुट ऊंची छत वाला भवन अब जीर्ण शीर्ण हालत में है़ छत आदि से प्लास्टर टूट कर गिर रहा है. जैसे-तैसे काम चल रहा है़ विकास के दौर में संसाधनों का घोर अभाव यहां झलकता है़ विद्यालय की भूमि पर भी अतिक्रमण हो रहा है़ पर, पहल व मांग के बावजूद विभाग व प्रशासन द्वारा कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है़बाधाओं से विभाग को कराया गया अवगत स्कूल के निर्माण में भूमि सहित कई विसंगतियां और बाधा है, जिससे विभाग को अवगत कराया गया है़ भूमि पर अतिक्रमण की भी शिकायत की गयी है़ पूर्व में प्रभारी व प्रधान द्वारा निर्णाण व उपस्कर के रुपये लौटाये गये है़ं इस बार भी मरम्मती आदि के नाम पर रुपये आये हैं, पर विभाग से इस पर दिशा निर्देश मांगा गया है़ इतनी कम रुपये में कार्य होना संभव नहीं दिख रहा है़ रुपये नहीं बढ़ायी जाती है, तो कुछ भी कर पाना संभव नहीं दिखता है़ स्कूल में भवन और संसाधनों की कमी का खामियाजा सभी झेल रहे हैं.विरेंद्र कुमार, प्राचार्य

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