जन-जन तक पहुंचा रहे भगवान महावीर के उपदेश
जन-जन तक पहुंचा रहे भगवान महावीर के उपदेश पदयात्रा पर निकले 150 जैन धर्मावलंबी ठहराव स्थल बना वारिसलीगंज फोटो- 11प्रतिनिधि, वारिसलीगंज पदयात्रा पर निकले सैकड़ों जैन धर्मावलंबियों ने एसजी बीके साहू इंटर स्कूल में बुधवार को ठहराव किया. इस दौरान वारिसलीगंज का भ्रमण किया और इसे आकर्षक व सुंदर बताया. बगल में रेलवे स्टेशन व […]
जन-जन तक पहुंचा रहे भगवान महावीर के उपदेश पदयात्रा पर निकले 150 जैन धर्मावलंबी ठहराव स्थल बना वारिसलीगंज फोटो- 11प्रतिनिधि, वारिसलीगंज पदयात्रा पर निकले सैकड़ों जैन धर्मावलंबियों ने एसजी बीके साहू इंटर स्कूल में बुधवार को ठहराव किया. इस दौरान वारिसलीगंज का भ्रमण किया और इसे आकर्षक व सुंदर बताया. बगल में रेलवे स्टेशन व रैंक प्वाइंट से खाद्यान्न व सीमेंटों की ढुलाई देख व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी इसे बेहतर बताया. भ्रमण को निकले तीर्थंकारों ने पदयात्रा के जरिए भगवान महावीर के ठहराव को लेकर यहां की मिट्टी व वातावरण में छीपे वैसे तत्वों का पता लगाते हैं, जिससे अविभूत होकर महावीर ने इस स्थान को अपना पसंदीदा बनाया था. पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे मोक्ष दर्शन विजय जी ने बताया कि पदयात्रा में कुल 150 धर्मावलंबी शामिल हैं. इतने ही व्यक्ति सेवा के लिए वाहन से साथ चल रहे हैं. पद यात्रा में 42 साधु व 108 साध्वी है. पदयात्रा का उद्देश्य भगवान महावीर के उपदेश को जन-जन तक पहुंचाना है. इसमें जैन धर्म का प्रधान, अहिंसा को बढ़ावा देना, किसी भी जीव को दुख नहीं पहुंचाना, पंच महावर्त का पालन करना, ब्रह्मचर्य का पालन करना, झूठ नहीं बोलना, संयमित जीवन जीना, बिना पूछे किसी का सामान नहीं लेना, लोभ नहीं करना, संतोषपूर्ण जीवन जीना, क्रोध नहीं करना, माया नहीं करना, गलत नहीं बोलना आदि प्रमुख है. विजय जी ने बताया कि हर व्यक्ति का जीवन में एक ही उद्देश्य होना चाहिए कि किसी को भी आप सुख नहीं दे सकते तो दुख बिल्कुल नहीं देना चाहिए. ऐसा करने वाला व्यक्ति को भगवान कभी माफ नहीं करता. कोलकाता से शुरू हुई पदयात्रा पदयात्रा पर चल रहे साधुओं ने बताया कि 30 नवंबर, 2015 को कोलकाता से पदयात्रा शुरू हुई है. यह झारखंड के पारसनाथ (शिखर्जी), लछुआड़, पावापुरी होते हुए 15 फरवरी 2016 को वाराणसी पहुंचेगी. वाराणसी में ठहराव के बाद कार्यक्रम तय कर गुजरात के अहमदाबाद तक पदयात्रा होगी. हालांकि, संत ने बताया कि बरसात का चार माह छोड़कर शेष बचे आठ माह हम साधु व साध्वी पदयात्रा पर रहकर भगवान महावीर के संदेश का प्रचार-प्रसार करते हैं.