चरित्र बनानेवाले लगा रहे चरित्र पर दाग
नवादा (कार्यालय) : नवादा के स्थानीय विधायक राजबल्लभ प्रसाद एक छात्रा के साथ दुष्कर्म के मामले में सलाखों के पीछे हैं. इसे लेकर जिले की जम कर किरकिरी हुई है. जनप्रतिनिधि के नाते ऐसे आचरण पर हर कोई शर्मसार है. इस दुष्कर्म की घटना की आंच अभी ठंडी भी नहीं हुई कि इनके ही शागिर्दी […]
नवादा (कार्यालय) : नवादा के स्थानीय विधायक राजबल्लभ प्रसाद एक छात्रा के साथ दुष्कर्म के मामले में सलाखों के पीछे हैं. इसे लेकर जिले की जम कर किरकिरी हुई है. जनप्रतिनिधि के नाते ऐसे आचरण पर हर कोई शर्मसार है.
इस दुष्कर्म की घटना की आंच अभी ठंडी भी नहीं हुई कि इनके ही शागिर्दी में नेता से शिक्षक बने मथुरा प्रसाद यादव के साथ अपने की स्कूल की एक छात्रा के साथ छेड़छाड़ का मामला सामने आ गया है. इसे लेकर शुक्रवार को नगर के कन्या मध्य विद्यालय में जम कर हंगामा हुआ. मामले की पड़ताल, पुलिसिया कार्रवाई सब अपनी जगह है. पर, अहम सवाल यह है कि आखिर हमारे बच्चे, हमारी बेटियां सुरक्षित कहां हैं. इन स्कूलों में हमारे बच्चों को चरित्र का प्रमाणपत्र मिलता है. यहां रहनेवाले शिक्षक ही इनका चरित्र गढ़ते हैं. बच्चों की प्रतिभा निखारते हैं.
इन्हें देश-दुनिया के काबिल बनाते हैं. पर जब इन जैसे शिक्षकों की नजर बेटियों की आबरू पर जा टिकी है तो हमें भी इससे तौबा कर लेनी चाहिये. पर, हम जायें तो कहां. हर साल अपने बेहतर शैक्षणिक कार्यों, स्कूल की गतिविधियों आदि को लेकर जिले के शिक्षक राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित होते रहे हैं. जिले के कई शिक्षकों को राष्ट्रपति सम्मान मिला है.
कई प्रदेश स्तर पर सम्मानित हुए हैं. कुछ को शिक्षा दिवस के अवसर पर नवाजा गया है. शिक्षकों का सम्मान हमारी परंपरा का हिस्सा है. आंखें बंद कर हम शिक्षकों पर भरोसा करते रहे हैं. शिक्षा प्रारंभ करने के वक्त शिक्षक भी अपने बच्चों में बेहतर संस्कार देने की शपथ लेते हैं. शैश्वावस्था, बालकाल के खिलंदड़पन इन्हीं शिक्षकों के सामने बीतता है. इस भरोसे के साथ कि इनकी छोटी सी भूल को भी गुरुजी संभाल लेंगे.
युवावस्था की ओर बढ़ते हर कदम पर हमें अपने शिक्षकों के सान्निध्य का भरोसा रहता है. पर ऐसी घटनाएं इस भरोसे को तोड़ती है. भला एक मासूम छात्रा आखिर शिक्षक से ज्यादा कानून पर भरोसा क्यों करने लगी. नगर का मिडिल स्कूल शुक्रवार को ऐसी घटना का गवाह बना है. बात निकली तो कई लड़कियों ने मुंह खोलना शुरू कर दिया. सब की जुवां यही कह रहा था, गुरुजी गरिमामयी नहीं रह गये हैं.
इनकी गतिविधियां इनके ही चरित्र के योग्य नहीं है. बच्चियों ने हिम्मत दिखाई तो मामला थाना जा पहुंचा. साथ में पहुंचा गुरुजी का चरित्र. इन्हें एक चरित्रहीन व्यक्ति की तरह थाना लाया गया. अब हमारे चारित्रिक प्रमाण को गुरुजी के मोहर की जरूरत नहीं रह गयी.
इधर, शहर में एक चर्चा और भी है. गुरुजी स्थानीय विधायक के शागिर्द रहे हैं. पहले नेता बने, फिर शिक्षक. स्कूल से लेकर शिक्षा विभाग के दफ्तर तक राजनीति करते रहे हैं. विधायक जी गये तो शागिर्द भला पीछे कैसे रहते. कहते हैं-बड़े मियां तो बड़े मियां, छोटे मियां सुभान अल्लाह.