नवादा सदर : सदर अस्पताल में दवाओं की कमी का दंश मरीजों को झेलना पड़ रहा है. कई जीवन रक्षक दवाओं का अभाव के कारण अस्पताल में भरती होने वाले मरीजों को बाहर से दवाओं की खरीद कर लाना मजबूरी हो गयी है. सदर अस्पताल के काउंटर पर महज 18 प्रकार की दवाएं ही उपलब्ध हैं. पिछले कई महीनों से जीवन रक्षक दवाओं का अभाव होने के बाद भी वैसे दवाओं का क्रय नहीं किया जा रहा है. अस्पताल प्रबंधन द्वारा यह कह कर टरका दिया जाता है कि पूरे बिहार में दवाओं का यही हाल है.
सदर अस्पताल में पिछले छह माह से बच्चों का कफ सिरफ, ओआरएस पाउडर व मेट्रॉन की गोली भी उपलब्ध नहीं है. इन दवाओं के अभाव में लोगों को सदर अस्पताल के बाहर की दुकानों से खरीद कर लाना पड़ता है. पिछले एक सप्ताह से आयरन व कैल्शियम की गोली भी नहीं है. ऐसे में मरीजों का इलाज भगवान भरोसे ही कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगा. पहले से ही बदनाम चल रहे सदर अस्पताल में दवाओं की कमी का फायदा प्राइवेट नर्सिंग होम वाले उठा रहे हैं.
एंटी रैबीज व वैक्सीन उपलब्ध: सदर अस्पताल में एंटी रैबीज व वैक्सीन भी उपलब्ध है, जो सांप काटने व कुता काटने के बाद मरीजों को दिया जाता है. शुक्र है कि ऐसी दवाएं सदर अस्पताल में है. पिछले कई महीनों से ऐसी दवाएं नहीं रहने पर मरीजों को परेशानी होती थी. सदर अस्पताल की कुव्यवस्था से मरीजों को दो चार होना पड़ता है.
हंगामे से बचने को लेकर किया जाता है रेफर : सदर अस्पताल में गंभीर बीमारी या दुर्घटना के मरीजों को आने पर अस्पताल में हंगामा से बचने के लिए मरीजों को पटना रेफर कर दिया जाता है. कई वैसे मरीज भी आते हैं जिन्हें नवादा अस्पताल में इलाज के बाद ठीक किया जा सकता है, लेकिन प्रबंधन द्वारा मरीज को रेफर किये जाने के बाद परिजनों की परेशानी बढ़ जाती है.