हिसुआ/नरहट : खनवां गांव की वैसी महिलाएं, जो चरखा लघु उद्योग से जुड़ी हैं, उन्हें आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने की जिम्मेवारी टेक्सटाइल से जुड़े तीन उद्योगपतियों ने ली है. उन उद्योगपतियों में नवादा जिले के काशीचक प्रखंड के सरकट्टी के रहनेवाले धर्मेंद्र कुमार व मधुबनी जिले के मधेपुर प्रखंड के बरसाम के रहनेवाले कृष्ण कन्हैया झा व मदन झा शामिल हैं. तीनों उद्योगपति खनवां गांव में ग्राम्य उद्योग व उद्यम नवाचार प्रवर्तन योजना के अंतर्गत सोलर चरखा प्रशिक्षण व उत्पादन केंद्र का उद्घाटन के मौके पर पहुंचे थे.
उद्योगपति धर्मेंद्र कुमार नयी दिल्ली के मेहरौली-सुल्तानपुर में चल रही टीसीएनएस क्लोथिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के वाइस प्रीसिडेंट हैं. उद्योगपति श्री कुमार ने बताया कि उनकी कंपनी डब्ल्यू ब्रांड के नाम से देश-विदेश में विख्यात है. देश के 70 शहरों में उनकी ब्रांडेड कंपनी के 400 स्टोर हैं. इसमें बिहार व झारखंड के पटना, रांची, हजारीबाग व टाटा जैसे महत्वपूर्ण शहर शामिल हैं. देश को छोड़ विदेशों में भी उनकी ब्रांडेड कंपनी के शोरूम हैं. उसमें श्रीलंका, मॉरीशस, साउथ अफ्रीका सहित अन्य देश शामिल हैं. उद्योगपति श्री कुमार ने बताया कि जनवरी महीने में उनका विदेश का दौरा था.
केंद्रीय राज्यमंत्री श्री सिंह के द्वारा मुझे जानकारी मिली कि उनके पैतृक जिले के खनवां में काफी संख्या में महिलाएं चरखा से काट कर सूत तैयारी कर रही हैं. मुझे अपने गांव की मिट्टी यहां खींच लायी. उनकी फैक्टरी आंध्र प्रदेश में है. कपड़ों को बनाने में सूत आंध्र प्रदेश व उसके आसपास के इलाके से ही खरीदता हूं. लेकिन, जब मुझे जानकारी हुई कि मेरे पैतृक जिले की महिलाएं भी सूत बना रही हैं और मैंने भी मन बना लिया कि खनवां चरखा लद्यु उद्योग से जुड़ी महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए उनके सूतों को वह अपनी कंपनी के लिए खरीदेंगे और उससे कपड़े तैयार करेंगे. खनवां की सूत से बनाया गया कपड़ा देश-दुनिया में डंका बजायेगा.
मधुबनी के दो लाल भी खनवां के हुए मुरीद मधुबनी जिले के मधेपुर प्रखंड के बरसाम के रहनेवाले कृष्ण कन्हैया झा व मदन झा कपड़ों की दुनिया में लुधियाना के प्रतिष्ठित उद्योगपतियों में एक हैं. दोनों सगे भाई हैं. लेकिन, दोनों को व्यवसाय अलग-अलग है. उद्योगपति कृष्ण कन्हैया झा व उद्योगपति मदन झा ने बताया कि लंबे समय से बिजनेस कर रहे हैं. उसमें अच्छी मुकाम हासिल कर ली है. लेकिन, अब लगता है कि उस मिट्टी के लिए कुछ किया जाय, जहां उनका जन्म हुआ
इसी दौरान लुधियाना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक कार्यक्रम था. वहां केंद्रीय राज्यमंत्री गिरिराज सिंह से मुलाकात हो गयी. उनसे लघु उद्योग से संबंधित लंबी बातचीत हुई. मंत्री श्री सिंह से प्रेरित होकर उन्होंने फैसला किया कि अब अपने बिहार के लोगों के लिए कुछ किया जाय. दोनों उद्योगपतियों ने बताया कि कपड़ों को बनाने के व्यवसाय में जितने मजदूर लगे हैं, उनमें करीब 60-70 प्रतिशत मजदूर बिहार के हैं. लेकिन, हमारी सोच है कि उन मजदूरों को उनके घर में ही सात-आठ हजार रुपये की आमदनी से संबंधित कामकाज मुहैया करायी जाय. परदेस में रहनेवाले बिहारी मजदूर अपने माता-पिता व परिवार से
हजारों किलोमीटर दूर रहते हैं. लेकिन, अगर उन्हें बिहार में ही काम मिल जायेगा तो कम से कम वे अपने परिवार के साथ तो रह पायेंगे. इस योजना को खनवां से ही सफल बनाया जायेगा. खनवां की महिलाओं के द्वारा बनायी जानेवाली सूत को उनकी कंपनी खरीदेगी और उससे कपड़ा तैयार करेंगी.
सब-कुछ रहा ठीकठाक, तो लगायेंगे फैक्टरी
टीसीएनएस क्लोथिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के वाइस प्रीसिडेंट धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि अगर सब-कुछ ठीकठाक रहा और खनवां से रॉ मेटेरियल पर्याप्त मात्रा में मिलने लगा तो वह दिन दूर रह, जब खनवां या इसके आसपास वह अपनी कंपनी की फैक्टरी ही लगा देंगे. उन्होंने बताया कि वह वर्षों से कपड़े के व्यवसाय से जुड़े हैं. उनके कामकाज में काफी पारदर्शिता रखी जाती है. चरखा लघु उद्योग से जुड़ी खनवां की महिलाओं को हर प्रकार की जानकारी दी जायेगी. जिससे उनके द्वारा व्यवसाय करने में कोई बिचौलिया अपनी रोटी नहीं सेंक सके. कंपनी से महिलाओं को डायरेक्टर जोड़ा जायेगा.