”नाकामी छिपाने की कोशिश कर रहा प्रशासन”

परीक्षा में सख्ती के नाम पर मीडिया को कवरेज से रोकने की हुई साजिश नवादा नगर. इंटर की परीक्षा को कदाचारमुक्त बनाने की कवायद के तहत पत्रकारों को परीक्षा संबंधित मीडिया कवरेज करने पर रोक लगा दिया गया है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के सचिव के पत्रांक 351-12/2/17 द्वारा जारी पत्र का हवाला देते हुए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 14, 2017 8:20 AM
परीक्षा में सख्ती के नाम पर मीडिया को कवरेज से रोकने की हुई साजिश
नवादा नगर. इंटर की परीक्षा को कदाचारमुक्त बनाने की कवायद के तहत पत्रकारों को परीक्षा संबंधित मीडिया कवरेज करने पर रोक लगा दिया गया है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के सचिव के पत्रांक 351-12/2/17 द्वारा जारी पत्र का हवाला देते हुए जिला प्रशासन द्वारा पत्रकारों व छायाकारों को भी परीक्षा केंद्रों से पांच सौ गज की दूरी से बाहर रहने का आदेश दिया गया है.
परीक्षा में होनेवाली गड़बडियों पर पर्दा डालाने के लिए सरकार के पहल को अमलीजामा पहनाने के लिए प्रशासन ने यह फरमान जारी कर दिया है कि परीक्षा अवधि के दौरान परीक्षा केंद्रों में पत्रकारों के प्रवेश पर रोक रहेगी. वर्ष 2015 में परीक्षा केंद्र में तीसरी मंजिल तक बांस के सहारे चिट पहुंचाने का प्रयास करते तसवीर ने राज्य सरकार की छवि को दागदार किया था. इसी प्रकार 2016 में राज्य के आर्टस टॉपर द्वारा पोलिटिकल साइंस को प्रोडिकल साइंस कहने, सरकार के रहनुमाओं के नजदीक बच्चा राय व बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष लालकेश्वर के कारनामे से बदनामी झेलनी पड़ी थी.
2017 में बीएसएससी की परीक्षा में तो हद करते हुए प्रश्न पत्र का परचा ही कर्मचारी चयन आयोग द्वारा लीक कर दिया गया. सरकार शिक्षा में गड़बड़ियों के कारण अक्सर बदनामी का सामना किया है, इन समस्याओं को दूर करने से बेहतर प्रशासन द्वारा सचिव के पत्र का हवाला देकर मीडिया कवरेज पर ही रोक लगा दिया गया है. इसका शहर के बुद्धिजीवियों व शिक्षाविदों ने निंदा की है, साथ ही कहा है कि प्रशासन यह नाकामी छिपाने की कोशिश कर रहा है.
प्रशासन की छवि रही है दागदार
जिले में एडीएम के पद पर रहे महर्षि राम सहित 40 से अधिक अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को निगरानी विभाग ने भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया है.
भ्रष्टाचार के जुर्म में गिरफ्तार होनेवालों में शिक्षा विभाग के कई प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी भी शामिल हैं. परीक्षा में ड्यूटी पर लगाये गये अधिकारी व कर्मचारी रुपये के लालच या परिजनों की मदद के लिए परीक्षा में कदाचार नहीं करायेंगे, इसकी गारंटी कौन लेगा. एसआइटी की जांच में जिले के एक वरीय पुलिस पदाधिकारी पर बीएसएससी में परचा लीक करने में संलिप्तता की बात कही जा रही है, ऐसे में महज दिखावा व अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए प्रशासन द्वारा परीक्षा के दौरान परीक्षा केंद्रों की मीडिया कवरेज पर रोक लगाया जा रहा है.
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के आदेश के अनुसार परीक्षा के दौरान परीक्षा परिसर में प्रवेश नहीं करना है, विभागीय निर्देश के अनुसार सभी को काम करना चाहिए. परीक्षा भवन के बाहर से कवरेज किया जा सकेगा. साथ ही प्रशासन द्वारा संबंधित जानकारियां उपलब्ध करायी जायेगी.
राजेश कुमार, सदर एसडीओ
सरकार की तानाशाह रवैये का इससे बढ़ कर कोई उदाहरण नहीं हो सकता है. अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए सरकार चौथे स्तंभ को कवरेज करने से ही रोक रही है. यह निश्चित ही लोकतंत्र के लिए घातक है. लालकेश्वर व परमेश्वर जैसे पाप को सरकार ने नियुक्त किया था. इसके पाप को रोकने में नाकाम नीतीश सरकार ने यह अलोकतांत्रिक फैसला किया है. भाजपा इसकी पुरजोर निंदा करती हैं.
शशिभूषण कुमार बबलू, भाजपा, जिलाध्यक्ष
छात्र-छात्राएं कदाचार नहीं करें, इसका पूरी तरह से समर्थन है लेकिन इसके नाम पर मीडिया पर प्रतिबंध लगाना सरकार के सनकपन को दर्शाता है. परीक्षा केंद्रों की कई खामियों को वर्षों से उजागर करने का काम पत्रकारों ने किया है. विद्यार्थी परिषद इस बात की पूरी तरह से निंदा करती हैं.
अंकित शाही, विभाग संगठन मंत्री, विद्यार्थी परिषद

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