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बिहार के विकास के लिए मिले विशेष राज्य का दर्जा : दीपंकर भट्टाचार्य

बिहार को विशेष पैकेज व रोजगार मिलने से लोगों की मिटेगी गरीबी

By Prabhat Khabar News Desk | October 16, 2024 10:21 PM

नवादा कार्यालय.

भाकपा-माले की ””””बदलो बिहार न्याय पदयात्रा”””” बुधवार को नवादा शहर स्थित आंबेडकर पार्क से शुरू की गयी. इससे पहले संविधान निर्माता डॉ भीमराव आंबेडकर, लोकनायक जयप्रकाश नारायण व आइपीएफ के नेता सुरेंद्र सिंह को श्रद्धांजलि दी गयी. इसके बाद माले की बदलो बिहार न्याय पदयात्रा की शुरुआत की गयी. इस यात्रा का नेतृत्व माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, मगध जोन के प्रभारी अमर, एमएलसी शशि यादव, अरवल विधायक महानंद सिंह, फुलवारी विधायक गोपाल रविदास व घोसी विधायक रामबली सिंह यादव कर रहे हैं. यात्रा में पार्टी के स्थानीय नेता व कार्यकर्ता बड़ी संख्या में शामिल हुए. आंबेडकर पार्क से सभा के बाद पदयात्रा हिसुआ की ओर प्रस्थान की. सभा के दौरान माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि आज से ””””बदलो बिहार न्याय यात्रा”””” शुरू की गयी है. 26 अक्तूबर को पटना पहुंचेंगी. 27 को मिलर हाइस्कूल में न्याय सम्मेलन होगा. उन्होंने कहा कि नये बिहार के निर्माण की चल रही लड़ाई को मजबूत बनाने के लिए न्याय सम्मेलन में शामिल होने की अपील करने आये हैं.

सात मुद्दों को लेकर पदयात्रा:

न्यायपूर्ण नये बिहार के लिए ””””बदलो बिहार न्याय यात्रा”””” की जा रही है. इसके लिए सात प्रमुख मुद्दे सामने रखे गये हैं. पार्टी के नेताओं ने कहा कि राज्य व केंंद्र की सरकार ने जो घोषणाएं की है, उसे धरातल पर उतारे. हमारी बस यही मांग है. प्रमुख मांगों में सरकारी वादा के अनुसार तमाम गरीबों को दो लाख रुपये देने, पांच डिसमिल आवास भूमि और पक्का मकान की गारंटी देने, दलित-गरीब-महिलाओं-अल्पसंख्यकों पर जारी हिंसा पर रोक लगाने की मांग की गयी है. वहीं, जब तक गरीबों के वास-आवास-जोत की भूमि और बटाइदारों के कायमी व पुश्तैनी हक की गारंटी नहीं होती और सभी लोगों की जमीन के कागजात दुरुस्त नहीं हो जाते, तब तक सर्वे पर रोक लगाने, स्मार्ट मीटर लगवाने की अनिवार्यता खत्म करने, बिजली की दर आधी करने, कृषि कार्य व गरीबों के लिए 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने, बाढ़ पीड़ितों के लिए तत्काल राहत की व्यवस्था करने, किसानों को 50 हजार रुपये प्रति एकड़ फसल क्षति मुआवजा देने, तमाम पीड़ितों को पर्याप्त बाढ़ क्षति मुआवजा देने व बाढ़ का स्थायी निदान करने की मांग शामिल है. वहीं, 10 लाख से ज्यादा स्कीम वर्कर्स आशा, आंगनबाड़ी, विद्यालय रसोइया, जीविका दीदी, ग्रामीण नर्सेज, मनरेगा मजदूरों, सफाई मजदूरों आदि को केंद्र सरकार द्वारा घोषित नयी मजदूरी दर के मुताबिक पारिश्रमिक, मानदेय की गारंटी करने, बिहार में आरक्षण वृद्धि को संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल करने, पूरे देश में जातीय गणना कराने, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की भी मांग की गयी है.

धार्मिक भेदभाव नहीं, आपसी समझदारी बनाने की जरूरतमाले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार को बदलना है. हमें नया बिहार चाहिए. बाबा साहब ने जो संविधान दिया था, उस संविधान में हिंदुस्तान के सभी नागरिकों से यह वादा किया गया था, कि इसमें कोई धार्मिक भेदभाव नहीं होगा. जाति के नाम पर भेदभाव नहीं होगा. संविधान गारंटी करेगा कि भारत के तमाम नागरिकों को बराबरी का हक मिले. सबके लिए बराबरी, सबके लिए सामाजिक न्याय, आर्थिक न्याय का लक्ष्य संविधान के पहले पन्ने पर है. गरीबों पर बुलडोजर चल रहा है. दलितों पर हमले हो रहे हैं. महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है और ऐसे ही दौर में हम देख रहे हैं कि बिहार में भारतीय जनता पार्टी के कुछ जहरीले नेता हिंदू–मुस्लिम कर रहे हैं.

देदौर कृष्णानगर का उठाया मुद्दानवादा के कृष्णानगर में 1966 से बसे हुए 80 घरों को बेदखल करने की कोशिश बहुत पुरानी है. 2023 में भी एकबार हमला हुआ था. और इस साल 18 सितंबर को हुए भयानक आगजनी और हमले में कृष्णानगर से लोगों को किसी तरह जान बचाकर भागना पड़ा. कथित भूमि विवाद का हवाला दे कर कृष्णानगर के लोगों को अन्य बुनियादी सुविधा और अधिकारों से भी वंचित रखा गया है. सुरक्षा और सम्मान के लिए यहां के दलितों को सबसे पहले भूमि अधिकार चाहिए. इस मामले में सरकार आज भी दलित-गरीबों के खिलाफ खड़ी है. गया में किसी दलित मजदूर का हाथ काट लिया जा रहा है. सिवान में मूंछ रखने पर दलित शिक्षक की हत्या हो जा रही है. बिहार में यह हो क्या रहा है? बिहार में भूमि सुधार लागू नहीं हुआ. गरीबों के पास जो भी थोड़ी जमीन है वह लाल झंडे के बदौलत है. सीएम नीतीश कुमार कहते हैं कि भूमि सर्वे से भूमि विवाद खत्म हो जायेगा, लेकिन हो रहा है उल्टा. भूमि सर्वे भूमिहीनों को बेदखल करने की साजिश है. इसलिए जब तक पर्चा नहीं मिलता भूमि सर्वे पर रोक लगाने की मांग करने आये हैं.

विशेष राज्य के सवाल पर मिल रहा धोखा:

विशेष राज्य के सवाल पर बिहार के साथ धोखा हुआ. बिहार के लोगों को जानबूझकर गरीब बना के रखा गया है. इसलिए गरीबों को पैकेज चाहिए. विशेष पैकेज के नाम पर बिहार में हवाई अड्डे, एक्सप्रेस-वे बनाये जा रहे हैं, लेकिन इससे गरीबी खत्म नहीं होने वाली, रोजगार नहीं मिलने वाला और इसलिए हमने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दो और बिहार के विकास के लिए विशेष पैकेज दो, ताकि रोजगार की गारंटी हो सके. इससे बिहार से गरीबी मिटेगी. इस दिशा में हमलोगों को बढ़ना है. इन सवालों को लेकर के हम लोगों की यात्रा शुरू हो रही है. आगे कहा कि बिहार गरीबों का प्रदेश है. आंदोलनों का प्रदेश है. बिना लड़े कुछ भी नहीं मिलता. जो लोग कह रहे कि बिना लड़े सबकुछ मिल जायेगा, वह सरासर झूठ बोल रहा है.

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