फसल अवशेष जलाने से खेतों की उर्वराशक्ति हो रही नष्ट
कृषि विभाग की ओ रसे किसानों को खेतों में फसल अवशेष नहीं जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है. साथ ही निगरानी के लिए कृषि विभाग की टीम भी लगातार जांच कर रही है.
वारिसलीगंज. कृषि विभाग की ओ रसे किसानों को खेतों में फसल अवशेष नहीं जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है. साथ ही निगरानी के लिए कृषि विभाग की टीम भी लगातार जांच कर रही है. अब तो सेटेलाइट के माध्यम से भी निगरानी करने का दावा विभाग कर रहा है. परंतु कृषि विभाग किस कदर जांच कर रही है और कैसे प्रखंड क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में निगरानी हो रही है, यह समक्ष से परे है. क्योंकि वारिसलीगंज प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न पंचायतों में किसान प्रतिदिन गेहूं का डंठल खेतों में जला रहे हैं. प्रतिदिन गेहूं का डंठल जलाने से कहीं न कहीं अगजनी भी हो रही है. इसकी सूचना किसानों द्वारा अग्निशमन विभाग को देकर आग बुझा रहे हैं. यहां बता दें कि प्रखंड क्षेत्र के तमाम पंचायतों में गेहूं की कटनी पूरी तरह समाप्त हो गयी है. इसके बाद भी खेतों में आग लग रही है. अब सवाल यह है कि आखिर खेत में आग कैसे लग रही है. केवल गेहूं का डंठल ही क्यों जल रहे हैं. इस पर विभाग भी ध्यान देने के बजाय लापरवाही बरतने में लगी है. जिस कारण किसान बिना डर-भय के गेहूं का डंठल जला रहे हैं और पर्यावरण को प्रदूषित भी कर रहे हैं. जबकि खेतों के मिट्टी की उर्वराशक्ति भी नष्ट कर रहे हैं.
गेहूं का डंठल जलाना नुकसानदेह
कृषि विशेषज्ञ के अनुसार, फसल अवशेष जलाने से अगली पैदावार में 10 से 15 फीसदी का ह्रास होता है. डंठल जलने से 5.5 किलोग्राम नाइट्रोजन,2.3 किलोग्राम फासफोरस और तकरीबन 1.2 किलोग्राम सल्फर जैसे पोषक तत्व मिट्टी से नष्ट हो जाता है. इसके जलने से कार्बन मोनोक्साइड व कार्बन डाइऑक्साइड गैस से आसमान में धुंध बनी रहती है. इस संबंध में जानकारी लेने को लेकर कृषि विभाग के अधिकारी से बात करने का प्रयास किया गया, परंतु अधिकारी से संपर्क नहीं हो सका.