कुष्ठ मरीजों की पहचान के लिए रथ रवाना
कुष्ठ रोगियों के इलाज के लिए दी जाती है प्रत्साहन राशि
कुष्ठ रोगियों के इलाज के लिए दी जाती है प्रत्साहन राशि
जिले के सभी प्रखंडो में चलेगा अभियान:
राष्ट्रीय कुष्ठ कार्यक्रम के तहत कुछ खोजी अभियान में जिले के सभी प्रखंडों के सीएचसी और पीएससी सुफियान के तहत काम करेंगे. कुष्ट खोजी अभियान के लिए जिले के सभी आशा कार्यकर्ता की मदद ली जा रही है. सभी आशा कार्यकर्ता गांव और शहर के प्रत्येक घरों में जाकर कुष्ठ रोगी की खोज करेंगे. इस अभियान के तहत दो हज़ार से ज्यादा आशा कार्यकर्ता भाग ले रही है. ये टीमें संदिग्ध रोगियों को चिह्नित कर नजदीकी सीएचसी में भेजेंगी, जहां चिकित्सकों द्वारा उनका परीक्षण किया जायेगा और यदि कुष्ठ की पुष्टि होती है, तो उनका इलाज किया जायेगा. विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार जिले में कुल 269 कुष्ट रोगी मरीज हैं. सबसे ज्यादा जिले के वारसलीगंज प्रखंड में 35 और सबसे कम मेसकौर प्रखंड में तीन कुष्ठ रोगी मिले हैं.
कुष्ठ रोगी की संख्या ब्लॉक स्तर पर स्थिति नवादा ग्रामीण 29 नवादा सदर 05 वारसलीगंज 35 अकबरपुर 31 गोविंदपुर 18 रजौली 10 नरहट 19 हिसुआ 18 सिरदला 16 कौवाकोल 17 पकरीबरामा 10 नारदीगंज 20 रोह 25 काशीचक 10 मेसकौर 03 कुष्ट रोगी का इलाज में मिलता है प्रोत्साहन राशि कुष्ठ रोग के इलाज के लिए, पीबी कुष्ठ रोगियों को छह महीने और एमबी कुष्ठ रोगियों को 12 महीने तक दवाएं लेनी होती हैं. हालांकि, यह इलाज लगातार अधिक समय तक चलाया जा सकता है. विभाग के द्वारा पीबी कुष्ठ रोगियों लाकर छह महीने दवा खिलाने वाले आशा कार्यकर्ताओं को चार सौ रुपये और 12 महीने दवा खिलाने वाले कार्यकर्ताओं को छह सौ रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दी जाती है. अहम भूमिका निभाता है फिजियोथेरेपीकुष्ठ रोगियों के इलाज लिए फिजियोथैरेपी विभाग अहम भूमिका निभाता है. जिला कुष्ठ नियंत्रण कर्मी गयत्री कुमारी ने बताया कि कुष्ठ रोग में स्किन में कड़ापन आ जाता है. फिजियोथेरेपी से इसमें सुधार कराया जा सकता है. इसके अलावा कुष्ठ रोग के चलते हाथ पैर के साथ अंगुलियों में टेढ़ापन होने लगता है. ऐसे में यदि समय से इसका इलाज और देखभाल नहीं करें, तो यह दिव्यांगता का रूप धारण कर लेती है. ऐसे में जरूरी है कि कुष्ठ की पहचान होने पर फिजियोथेरेपी को अपनाते हुए प्रतिदिन व्यायाम किया जाए, तो दिव्यांगता को रोका जा सकता है.
क्या कहते है फिजियोथैरेपिस्ट: फिजियोथैरेपिस्ट डॉ राजीव रंजन ने बताया कि कुष्ठ एक गंभीर बीमारी है. यदि एक बार हो गया तो उसे ठीक नहीं किया जा सकता है, परंतु उस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है. इसके लिए समय से कुष्ठ की पहचान जरूरी है. उन्होंने बताया कि कुष्ठ उन्मूलन को लेकर लगातार कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. इसी के तहत डीएफआइटी के द्वारा विविध कार्यक्रम चलाये जाते रहे हैं. इसके लिए कुष्ठ निवारण विभाग के द्वारा अभियान चलाया जा रहा है. कुष्ठ रोगियों के लिए फिजियोथेरेपी विभाग एक भूमिका निभाता है.क्या कहते है अधिकारी
कुष्ठ बीमारी को लेकर एएमओ ने बताया की 2027 तक जिले को कुष्ट मुक्त किया जायेगा. इसके लिए सरकार के द्वारा कुष्ठ रोगी खोजी अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत कार्यकर्ता घर-घर जाकर कुष्ठ रोगियों को खोजते हुए समुचित सलाह ही दे रहे हैं.
डॉ एस के पी चक्रवर्ती, एएमओ, नवादा
क्या कहते है सीएस
जिले को कुष्ट मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से चले जा रहे अभियान को प्राथमिकता के साथ चलाया जा रहा है. इसके सभी प्रखंडों के पदाधिकारी सहित आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं. लोगों से अपील की है कि अगर आसपास इस तरह के मरीज मिले, तो उन्हें नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र तक अवश्य पहुंचाएं. इनका इलाज बिल्कुल फ्री किया जाता है कोई भी शुल्क नहीं ली जाती है.
डॉ नीता अग्रवाल, सी एस, नवादाकार्यक्रम के दौरान मौके पर एएमओ डॉ एसकेपी चक्रवर्ती, फिजियोथेरेपिस्ट डॉ राजीव रंजन, सुभाष सिंह महतो, डॉ विश्वजीत सुमन, जिला कुष्ठ नियंत्रण परिचारी गोरेलाल, कुमार गौरव, जिला कुष्ठ नियंत्रण इकाई की गायत्री कुमारी के साथ-साथ अन्य लोग मौजूद थे.
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