नवादा नगर.कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र गुरुवार से शुरू हो गयी. नवरात्रा के पहले पहले विभिन्न जगहों से कलश शोभायात्रा निकाली गयी. शुभ मुर्हूत में जल लाकर कलश स्थापना की गयी. सुबह से हीं चारों तरफ शेरावाली माता के गीतों से वातावरण भक्तिमय हो गया. घट स्थापना के लिए सुबह सुबह 6: 03 बजे से हीं मुहूर्त शुरू हो गया था. ऋषिकेश पांचांग के अनुसार, नवरात्र में कलश स्थापना के लिए साढ़े आठ बजे तक शुभ समय था. लेकिन, दोपहर तक जल जाने का सिलसिला चलता रहा. भक्ति के साथ श्रद्धालु ढोल-बाजे, भांगड़ा, ढाक बाजा, रथ-घोड़े आदि के साथ कलशयात्रा में शामिल हुए. नवरात्र शुरू होने से श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह दिखा. विभिन्न पूजा पंडालों से शोभायात्रा निकाली गयीं. जल लाने के लिए लोग शामिल हुए. इधर, सूर्य धाम मंदिर, शोभनाथ मंदिर, गढ़ पर सूर्य मंदिर आदि स्थानों से लोग कलश स्थापना के लिए जल भरकर ले जाते दिखे. कलश यात्रा में दिखीं विभिन्न प्रकार की झलकियां: न्यू एरिया पूजा पंडाल की ओर से कलशयात्रा को लेकर विशेष तैयारी की गयी थी. बैंड-बाजा व डीजे के साथ हीं पारंपरिक ढाक-ढ़ोल माहौल को उत्साहजनक बना दिया. गोंदापुर पूजा समिति के सदस्यों ने इ-रिक्शा के साथ शानदार शोभायात्रा निकाली. इसमें बडी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया. अगीया बैताल अस्पताल रोड पूजा समिति की यात्रा भी शानदार रही. पुराने मॉडल की कार यात्रा में चार चांद लगा रही थी. इसके अलावा रामनगर दुर्गा पूजा समिति, इंदिरा गांधी चौक चक्रवर्ती दुर्गा पूजा समिति, स्टेशन रोड पूजा समिति, गोर्वद्धन मंदिर पूजा समिति सहित सभी पूजा समितियों ने बड़े हीं भव्य तरीके से माता की प्रतिमा स्थापित करने के लिए कलश में जल लाने के लिए निकले. मिर्जापुर सूर्य मंदिर में शहर के अधिकतर पूजा पंडालों के श्रद्धालु जल लाने के लिए गये. जबकि पारनवादा देवी स्थान, बिजली ऑफिस के सामने वाले दुर्गा पूजा समिति और बुंदेलखंड रेलवे कॉलनी पूजा समिति के लोग शोभ मंदिर जाकर पारंपरिक तरीके से कलश स्थापना के लिए जल लाया. न्यू एरिया व प्रसाद बिगहा के अलावा शहर के अन्य पूजा पूजा समितियों की ओर से कलश शोभायात्रा निकाली गयी. शस्त्र का है विशेष महत्व नवरात्र में शक्ति की पूजा होती है. शक्ति के प्रतिक के रूप में लोग लाठी, तलवार आदि भी लेकर पूजा के लिए शामिल हुए. माता के आशीर्वाद के रूप में लोग शस्त्र की पूजा करते हैं. कलश यात्रा में भक्ति के साथ कई श्रद्धालु शस्त्र लेकर भी शामिल हुए. विधि-व्यवस्था को लेकर पुलिस अधिकारी व जवान रहे मुश्तैद कलशयात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था का पुख्ता इंतजाम दिखा. शहर के विभिन्न स्थानों पर पुलिस व मजिस्ट्रेट की तैनाती की गयी थी. एसडीपीओ व थानाध्यक्ष सूर्य मंदिर घाट पर खुद मॉनीटरिंग करते दिखे. जल लेने के लिए पहुंचने वाले लोगों की सुरक्षा को लेकर विभिन्न स्थानों पर पुलिस बल तैनात थे. बीडीओ व अन्य अधिकारी विधि व्यवस्था को बनाये रखने में सक्रिय दिखे. नगर के शोभ मंदिर पर भी सुरक्षा का इंतजाम किया गया था. कलश स्थापना के साथ हीं दस दिवसीय दुर्गा पूजा का अनुष्ठान प्रांरभ हो गया है. सुबह और शाम बजने वाले शंख करताल की ध्वनी पूरे वातावरण को भक्ति के माहौल में रंग रही है. घरों व पूजा पंडालों में होती है पूजा: नगर में 29 स्थानों पर कलश स्थापना की गयी है. इसके अलावा लोगों ने अपने घरों में माता का आह्वान कर कलश स्थापना की है. इसको लेकर जल लाने के लिए सूर्य मंदिर या शोभनाथ मंदिर में भीड़ उमड़ पड़ी. देवी स्थान व मां दुर्गा के मंदिर में भी नौ दिनों का दुर्गा पाठ किया जाता है. दुर्गा पाठ के समय पवित्रता का विशेष महत्व है. कलश स्थापन कर पूजा में व्रती के रूप में शामिल होने वाले भक्तों को नौ दिनों तक विशेष नियम के साथ रहना पड़ता है. अधिकर श्रद्धालु फलाहार करके, एक समय सिंधा नमक के साथ बना सादा खाना खाकर या नमक का सेवन नहीं करते हुए केवल मीठा खाकर पूजा में शामिल होते हैं. दुर्गा सप्तशती के मंत्रोच्चारण के साथ पहले दिन शैलपुत्री का पूजन पूरे परंपरा के साथ किया गया. प्रसाद का हो रहा वितरण नगर के कई पूजा पंडालों के द्वारा पहले दिन से प्रसाद का वितरण शुरू कर दिया गया है. दुर्गा सप्तशती के पाठ की समाप्ती के बाद आरती दिखाते हुए प्रसाद का वितरण शुरू कर दिया गया है. इंदिरा गांधी चौक पर चक्रवर्ती सम्राट पूजा समिति की ओर से प्रतिदिन प्रसाद वितरण के लिए अलग से स्टॉल की व्यवस्था की गयी है. पहले दिन प्रसाद लेने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ दिखी. मां की आराधना से पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं: पूजा पंडालों में कलश स्थापना के साथ ही मां दुर्गा का पाठ आरंभ हो गया. त्योहार को लेकर शहर के सभी मंदिरों व खासकर दुर्गा माता के मंदिरों व देवी स्थानों की साफ-सफाई कर पूजा शुरू की गयी. नवरात्र के नौ दिनों को बेहद पवित्र माना जाता है. इस दौरान लोग देवी के नौ रूपों की आराधना कर उनसे आशीर्वाद मांगते हैं. मान्यता है कि इन नौ दिनों में जो भी सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. भक्तों ने पूजा-अर्चना कर ग्रहण किया प्रसाद : पहली पूजा पर लोगों ने मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री की अराधना कर प्रसाद ग्रहण किया. ढोल-नगाड़े व बैंड बाजे के साथ विभिन्न दुर्गा पूजा समितियों की ओर से कलशयात्रा निकाली गयी. नवरात्रि के कलश भरने पहुंच कर वहां पंडितों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विधिवत पूजा के दौरान माता की आराधना कर कलश में जलभरी की. इसके बाद पूजा स्थलों पर पहुंच कर दुर्गा पाठ शुरू किया गया. इसमें मंत्रोच्चार के साथ कलश स्थापना कर मां दुर्गा का आह्वान करते हुए नवरात्र का पाठ आरंभ किया. नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना में आस्था देखने को मिला. इस दौरान ज्योतिषाचार्य धर्मेंद्र झा ने बताया कि नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की पूजा के लिए समर्पित होता है, जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं. उनकी पूजा में शुद्ध जल, फूल, धूप, दीप, और नैवेद्य चढ़ाया जाता है. माता शैलपुत्री की पूजा से जीवन में शांति, सुख और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है.
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