बेटियों को शिक्षा से जोड़ने के लिए 27 प्रखंडों के 669 गांवों में लग रहा ”शिक्षा चौपाल-2”

कम उम्र में अपनी बेटियों की शादी नहीं करने का संकल्प ले रहे हैं माता-पिता

By Prabhat Khabar News Desk | December 26, 2024 5:00 PM

पटना. बेटियों की पढ़ाई बीच में न छूटे एवं उनकी शादी कच्ची उम्र में न कर दी जाए, इसके लिए राज्य के सात जिलों के सैकड़ों गांवों में ”शिक्षा चौपाल-2” का आयोजन किया जा रहा है. ये जिले हैं सीतामढ़ी, शिवहर, मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण, रोहतास, भभुआ व गया. 20 से 28 दिसंबर तक चलने वाले इस अभियान को सफल बनाने में सैकड़ों महिला कार्यकर्ता जुटी हैं.

जानकारी हो कि बेंगलुरु की संस्था ”मंत्रा4चेंज” ज्योति महिला समाख्या, सृष्टि महिला समाख्या, प्रगति एक प्रयास, समृद्धि संस्था, दीपमाला संस्था, हमारी दृष्टि, स्वधा महिला समाख्या समेत कई महिला संगठनों के साथ मिलकर इस मुहिम को आगे बढ़ा रही है. यह अभियान राज्य के सात जिलों में 27 प्रखंडों के 669 गांवों में चल रहा है. इस मुहिम को गति देने बेंगलुरु से पटना पहुंचीं मंत्रा4चेंज की खुशबू अवस्थी ने मुजफ्फरपुर के बंदरा प्रखंड एवं शिवहर जिले के सोनबरसा व शिवहर प्रखंड के गांवों का दौरा कर चौपाल में शामिल महिलाओं एवं किशोरियों से पढ़ाई के दौरान आनेवाली समस्याओं पर बातचीत की. मंत्रा4चेंज की अनुभूति श्रीवास्तव इस पूरे अभियान की माॅनीटरिंग कर रही हैं.

बहुत सारी लड़कियों ने फिर से शुरू की पढ़ाई :

मंत्रा की उर्मिला कुमारी ने बताया कि अक्त्तूबर महीने में नवरात्र के दौरान पांच दिनों तक सरकारी स्कूलों में एवं समुदाय के बीच लगातार 7 जिलों में ”शिक्षा चौपाल-शिक्षाग्रह” कार्यक्रम चलाया गया था. इसका असर यह हुआ कि बहुत सारी लड़कियों ने फिर से पढ़ाई शुरू कीं. कई माता-पिता ने अपनी बच्ची की शादी कम उम्र में करने के फैसले को बदल डाला. मंत्रा4चेंज द्वारा संचालित ”हमारे सपने” कार्यक्रम के जिला समन्वयक संतोष सारंग ने बताया कि शिक्षा चौपाल का उद्देश्य है, बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना व बाल विवाह रोकना.

बता दें कि सैकड़ों गावों की महिलाएं, किशोरियां, नौजवान एवं बुजुर्ग ”शिक्षा चौपाल” में शामिल होकर अपनी बहन-बेटियों को कम से कम 12 वीं तक पढ़ाने व बाल विवाह नहीं करने का संकल्प ले रहे हैं. गांवों में चौपाल लगाकर खासकर बच्चियों की पढ़ाई के दौरान आने वाली चुनौतियों को चिह्नित किया जा रहा है. उसके समाधान पर खुलकर चर्चा हो रही है. खासकर दलित बस्ती की बच्चियां सरकारी स्कूलों में तमाम सुविधाएं मुहैया होने के बाद भी शिक्षा से दूर क्यों हैं? इसे जानने का प्रयास किया जा रहा है. शिक्षा चौपाल के दौरान बाल विवाह एवं छीजनग्रस्त बालिकाओं के कई मामले भी सामने आ रहे हैं, जो चौंकाने वाले हैं.

इस मुहिम में बिहार महिला समाख्या सोसाइटी के फेडरेशन की कार्यकर्ता सीता देवी, रामकुमारी देवी, नीलू श्रीवास्तव, तारा सिंह, उर्मिला, राजमुनी देवी, प्रेमलता, कुसुम, लक्ष्मी देवी, रागिनी कुमारी, रामशीला देवी, मेघा कुमारी, रूबी कुमारी, इंदु देवी, रूपा कुमारी, सोनी कुमारी, सुलेखा कुमारी, माधुरी मिश्रा, अंजनी देवी, लक्की कुमारी, शबनम खातून, रिंकू कुमारी, कंचन, मेनका, अनीता देवी, साविन्दर देवी, मधु कुमारी, गीता देवी, प्रेमशीला देवी, शशिकला, प्रतिभा, देवंती देवी आदि शामिल हैं.

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