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लॉकडाउन : 54 दिनों में हुआ 468 सुरक्षित प्रसव

एक तरफ पूरी दुनिया में कोरोना को लेकर हर लोग दहशत में है. वहीं, दूसरी ओर जिला अस्पताल का दर्जा पाने वाले सदर अस्पताल के महिला वार्ड में कोरोना जांच का कोई इंतजाम नहीं है. यहां प्रसव कराने के लिए आने वाली महिलाओं का केवल एहतियात के तौर पर इलाज किया जा रहा है.

नवादा : एक तरफ पूरी दुनिया में कोरोना को लेकर हर लोग दहशत में है. वहीं, दूसरी ओर जिला अस्पताल का दर्जा पाने वाले सदर अस्पताल के महिला वार्ड में कोरोना जांच का कोई इंतजाम नहीं है. यहां प्रसव कराने के लिए आने वाली महिलाओं का केवल एहतियात के तौर पर इलाज किया जा रहा है. लोगों में इतना दहशत है कि सदर अस्पताल में प्रसव के लिए लोग आना नहीं चाह रहे हैं. फलतः यहां प्रसव का रेसियो काफी कम गया है. जिले में लाॅकडाउन के 54 दिनों में केवल 468 महिलाएं ही प्रसव कराने पहुंची है.

22 मई के बाद से लाॅकडाउन का लगातार दो माह बीतने को है. लोगों में इतना दहशत है कि सदर अस्पताल के गेट में भी प्रवेश नहीं करना चाह रहे है. प्रसव के बाद यहां के वार्डों में भी सोशल डिस्टेंसिंग का कोई इंतजाम नहीं है और न ही लोगों की सुरक्षा का कोई प्रबंध किया गया है. गुरुवार की दोपहर दो महिला चिकित्सक डाॅ मधु सिन्हा व डाॅ आरती कुमारी ड्यूटी पर तैनात थी. जिनके द्वारा गर्भवती महिलाओं की जांच की जा रही थी. हालांकि, यहां के कर्मचारी अपनी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से सजग हैं.

परंतु, जो मरीज प्रसव के लिए पहुंच रही हैं, उन लोगों के लिए सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं देखने को मिला. वैसे प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं के परिजनों ने सुविधाओं को लेकर चुप्पी साधे दिखे. ये लोग सुरक्षित प्रसव के कारण कुछ भी बताने में हिचकिचा रहे थे कि कहीं चिकित्सक व कर्मी लापरवाही न कर दे. वैसे वार्डों की जो हालात देखने को मिला वह संतोष जनक नहीं पाया गया. यह भगवान का शुक्र है कि अब तक जितने भी महिलाओं ने सदर अस्पताल में प्रसव कराया वह सुरक्षित है.लॉकडाउन के बाद किस माह में कितना हुआ प्रसवलॉकडाउन के बाद प्रसव वार्ड में 14 मई के दोपहर तक कुल 468 महिलाओं का प्रसव किया गया है. जिसमें जनता कर्फ्यू 22 मार्च से लेकर 31 मार्च तक 10 दिनों में 92 प्रसव किया गया.

अप्रैल में 30 दिन के अंदर 256 प्रसव किया गया व एक मई से 14 मई की दोपहर तक 92 प्रसव कराया गया है. संयोग यह है कि सभी प्रसव कोरोना के कहर में सुरक्षित किया गया है. सदर अस्पताल में प्रवेश करने के बाद लोगों में दहशत बन जाता है. ऐसे में नवजातों को जन्म देने वाले स्थान पर स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह से सजग नहीं है. इस महामारी में सुरक्षा के लिए जच्चा और बच्चा के प्रति जवाबदेही में गंभीरता नहीं देखने को मिल रही है. ऐसे स्थानों पर लोगों का कम आना व्यवस्था पर उंगली खड़ी कर रही है.क्या कहते हैं महिला चिकित्सकयहां टेस्टिंग की कोई व्यवस्था नहीं है. इतने सारे लोग आते हैं, उनका जांच होना संभव नहीं है. लेकिन सभी लोगों को एहतियात बरतने की बात कही जाती है. इसके लिए सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क का प्रयोग तथा सैनिटाइजिंग करने की जानकारी हर लोगों को दी जाती है. इसके अलावा यहां काम करने वाले सभी कर्मी भी एहतियात की पूरी व्यवस्था के साथ रह रही हैं. सभी लोगों को इस महामारी में बचने की सलाह भी दी जा रही है. हैंडवाश करते रहने की भी सलाह दी जा रही है.

डाॅ मधु सिन्हा, महिला चिकित्सक, सदर अस्पताल

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