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Navratri 2024: चलो बुलावा आया है, मात ने बुलाया है… वैदिक मंत्रोच्चार और भक्तिगीतों से गूंज रहे शहर से लेकर गांव

Navratri 2024: वैदिक मंत्रोच्चार और भक्तिगीतों से शहर से लेकर गांव गूंज रहे है. मां दुर्गापूजा के लिए गोदभराई में पहुंचे श्रद्धालु भक्तों के साथ बड़ी संख्या में बच्चे भी पूजा पंडालों में पहुंचे.

By Radheshyam Kushwaha | October 10, 2024 5:25 PM
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Navratri 2024: नवादा कार्यालय. माता का पट खुलने के बाद महाष्टमी को माता की गोदभराई के लिए अहले सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ पूजा पंडालों में जुटने लगी़. महिलाएं, पुरुष व बच्चे नये कपड़े पहन कर मां की गोद भराई की रस्म में शामिल हुए. गोदभराई के लिए लगभग सभी पंडालों के आगे बड़ी संख्या में दुकानें लगी रही. इसमें नारियल, चुनरी, प्रसाद और पूजन सामग्री की बिक्री के लिए दुकानें लगी थीं. विधि-विधान के साथ माता के पूजन के लिए लोग पहुंचे. पूजा पंडालों में इस दौरान सुरक्षा की बेहतर व्यवस्था देखने को मिली. आयोजन से जुड़े लोग भीड़ को कंट्रोल करने के लिए लगातार प्रयास करते रहे. पूजा पंडालों में सप्तमी को माता का पट खुलने के साथ ही पूजन आरती हुई और इसके बाद गुरुवार को महाष्टमी पर गोद भराई के लिए लोग पंडाल में पहुंचे.

बच्चों में दिखा खासा उत्साह

मां दुर्गापूजा के लिए गोदभराई में पहुंचे श्रद्धालु भक्तों के साथ बड़ी संख्या में बच्चे भी पूजा पंडालों में पहुंचे. त्योहार को लेकर बच्चों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. आसपास के दुकानों से खिलौने और मिठाई आदि लेकर बच्चे खूब आनंद ले रहे हैं. पुलिस प्रशासन ने भी पूजा को लेकर बेहतर व्यवस्था बनायी गयी है. हालांकि, साफ-सफाई की व्यवस्था कई स्थानों पर लचर दिखी.

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चुनरी और नारियल की रही डिमांड

मैया की गोदभराई के लिए श्रद्धालु लाल चुनरी व नारियल आदि की खरीदारी करते दिखे. अष्टमी को माता की गोद भराई होती है. पुजन के लिए नारियल शृंगार के सामान, कपड़ा, चुनरी आदि की खरीदारी करके गोदी भरने की रस्म अदा की गयी. गुरुवार को विभिन्न मंदिरों व देवी स्थानों में माता की गोद भराई के लिए बड़ी संख्या में भीड़ जुटी. सुबह पांच बजे के पहले से महिलाओं भी माता के पूजन के लिए इकट्ठा होने लगी. हालांकि, कई विद्वान ब्राह्मणों ने अष्टमी की शुरूआत दोपहर 12 बजे के बाद से होना बताया था, इस कारण पंडालों में सुबह की भीड़ के बाद दोपहर 12 बजे के बाद भी भीड़ अचानक बढ़ी.

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