विशाल कुमार, नवादा
Lok Sabha Election 2024 नक्सल प्रभावित कहे जाने वाले रजौली और गोविंदपुर विधानसभा क्षेत्र सहित लोकसभा क्षेत्र के सभी छह विधानसभा क्षेत्रों के 2043 मतदान केंद्रों पर मतदान शांतिपूर्ण रहा. सुबह 7:00 बजे से 10 बजे तक वोटिंग की प्रक्रिया तेज रही. दोपहर में ज्यादातर बूथ खाली रहे, इसके बाद शाम में एक बार फिर बूथों पर वोटरों की कतारें लंबी हो गयीं. जिला मुख्यालय के अलावा सुदूर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी वोटरों में उत्साह दिखा. जिला मुख्यालय में बनाये गये कंट्रोल रूम से सभी 14 प्रखंड के पांच विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही थी. जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह डीएम प्रशांत कुमार सीएच खुद सुबह से ही कंट्रोल रूम में मॉनीटरिंग कर रहे थे. चुनाव के बाद इवीएम मशीन को केएलएस कॉलेज में बनाये गये काउंटिंग सेंटर में रखा गया.
एसएलआर और 20 राउंड गोली गायब
पकरीबरावां प्रखंड के बूथ संख्या 234 राजोबिगहा गांव में समस्तीपुर से आये सिपाही उत्तम कुमार रावत की एसएलआर और 20 राउंड गोली गायब हो गयी. प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए सिपाही उत्तम कुमार रावत को निलंबित करते हुए पकरीबरावां पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करके खोजबीन शुरू कर दिया है.
वारिसलीगंज व बरबीघा में वोट प्रतिशत बेहद कम
पिछली बार से भी कम वोट प्रतिशत प्रत्याशियों के चैन उड़ा दिये हैं. सवर्ण बहुल वारिसलीगंज व बरबीघा में वोट प्रतिशत कम है, जबकि रजौली, हिसुआ व नवादा में वोट का प्रतिशत कुछ बेहतर है. शहरी क्षेत्र में चुनावी छुट्टी का असर दिखा लोग काफी कम संख्या में बूथो तक पहुंचे. नवादा शहर में दो पिंक व दो आदर्श बूथ बनाये गये थे. इसके बावजूद वोटरों को बूथ तक लाने में वह भी सफल नहीं रहे.
दो मतदान केंद्रों पर लोगों ने किया वोट बहिष्कार
नक्सल प्रभावित गोविंदपुर विधानसभा के दो मतदान केंद्रों पर वोट बहिष्कार किया. कौआकोल के बूथ संख्या 328 दरवा गांव के 20 वोटरों ने शाम में आकर वोट किया. जबकि, गोविंदपुर प्रखंड के बूथ संख्या 137 कोलाज गांव में ग्रामीणों ने एक भी वोट नहीं डाला. डीडीसी के अलावा अन्य वरीय अधिकारियों के समझाने के बाद भी रोड की मांग को लेकर ग्रामीणों ने वोट नहीं किया. वोटर लिस्ट में गड़बड़ी को लेकर भी कई बूथों पर परेशानी दिखी. किसी का नाम वोटर लिस्ट से विलोपित कर दिया गया तो किसी को दूसरे जगह शिफ्ट कर दिया गया है.
ड्रोन से की गयी निगरानी
सुरक्षा को लेकर चुनाव में 38 कंपनियां तैनात की गयी थी. खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ड्रोन कैमरे की मदद से निगरानी की गयी. दूसरे जिलों के 4 हजार से अधिक पुलिस जवान को चुनाव में प्रतिनियुक्त किया गया था.
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