तिलैया नदी की बाढ़ में जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने पर शिक्षक मजबूर
मेसकौर में तिलैया नदी का कहर जारी है.
मेसकौर.
मेसकौर में तिलैया नदी का कहर जारी है. इसकी वजह से शिक्षकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. नदी की पानी में तैर कर अपनी ड्यूटी को पूरा करने को विवश हैं. इस बीच सबसे मुश्किल परिस्थितियों में शिक्षक फंस गये हैं. तिलैया नदी के किनारे स्थित सरकारी स्कूलों तक पहुंचने के लिए शिक्षकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वो अपनी जान जोखिम में डालकर बच्चों को ज्ञान देने का काम कर रहे हैं.शिक्षा व्यवस्था पर उठ रहे सवाल:
मेसकौर प्रखंड से एक ऐसी तस्वीर सामने आयी है, जिसे देखकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जायेंगे. यह तस्वीर शिक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर रही हैं. शिक्षक अपनी जान को जोखिम में डालकर स्कूल तक पहुंचते हैं, महिला शिक्षिका हो या पुरुष शिक्षक सभी इसी तरह कमर भर पानी में तैर कर स्कूल जाते हैं. इस बीच कैमरे के सामने शिक्षकों का दर्द निकल आया शिक्षकों ने कहा कि कैसे वो लोग जान जोखिम में डालकर स्कूल जा रहे हैं. अगर शिक्षा विभाग इस इलाके के लिए कोई व्यवस्था करती, तो आज यह नौबत नहीं आती. मेसकौर प्रखंड में तिलैया नदी पार कर दर्जनों शिक्षकों व शिक्षिकाओं को स्कूल जाना पड़ता है. प्राथमिक विद्यालय नोनी एकदम तिलैया नदी के किनारे स्थित है. नदी में बरसात में बाढ़ आने के कारण इस स्कूल के गुरूजी को नदी के बाढ़ में किसी तरह जान जोखिम में डालकर स्कूल जाना पड़ता है. नदी में अधिक पानी रहने के कारण इस बार मेसकौर प्रखंड के विभिन्न गावों से चार आदमी डूबकर मर भी चुके है. छाती के उपर पानी में नदी करना पड़ रहा पारअपनी ड्यूटी देने जा रहे गुरूजी छाती से ऊपर तक पानी में तैर कर स्कूल तक पहुंच रहे हैं. इस दौरान उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. शिक्षकों की माने तो कई बार इसकी शिकायत की गयी, इसके बारे में जानकारी विभाग को दी गयी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
छलका शिक्षकों का दर्द:
विद्यालय के दिव्यांग शिक्षक प्रेम कुमार, शिक्षक उदय कुमार, पप्पु कुमार, रेखा कुमारी, संगीता कुमारी एवं महेश कुमार दर्जनों अन्य शिक्षकों को हर रोज गंदे पानी में तैर कर स्कूल जाना पड़ता है. शिक्षकों का कहना है कि जान जोखिम में डालकर हम लोग स्कूल तक जाते हैं. काफी डर बना रहता है. कमर से ऊपर तक पानी बहता रहता है और इसी पानी में तैर कर हमलोग स्कूल तक पहुंचते हैं. प्राथमिक विद्यालय सुखमारहन की शिक्षिका रेखा कुमारी एवं संगीता कुमारी ने कहा कि बरसात का पानी स्कूल में घुस जाने के कारण बच्चों को विद्यालय के बाहर पढ़ाना पड़ रहा है. प्रधानाध्यापिका सरस्वती कुमारी ने बताया की विद्यालय के चारो तरफ मकान बन गया है, जिससे विद्यालय दो फुट नीचे हो गया है. विद्यालय से पानी निकलने की कोई जगह नहीं है.क्या कहते हैं अधिकारी
विभागीय पत्र जारी किया गया है. उसके अनुसार व्यवस्था बनाने का प्रयास किया जा रहा है. मजहर हुसैन, स्थापना डीपीओ, शिक्षा विभागडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है