नयी सरकार के गठन के बाद लोगों की बढ़ीं अपेक्षाएं

नवादा को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले निर्माण कार्य करने की मांग

By Prabhat Khabar News Desk | June 17, 2024 10:59 PM

नवादा

सदर.

केंद्र में भाजपा के नेतृत्व में गठित एनडीए सरकार के बाद पहली बार नवादा के सांसद विवेक ठाकुर अपने लोकसभा क्षेत्र पहुंच रहे हैं. भाजपा के मेनिफेस्टो में किये वादे के साथ ही प्रत्याशी के रूप में विवेक ठाकुर ने नवादा को विकसित करने का वादा किया है. इस काम की शुरुआत का दावा भी उनके द्वारा किया जा रहा है. नवादा लोकसभा क्षेत्र को आकांक्षी जिले के रूप में चुना गया है, जो यहां के पिछड़ेपन और विकास कार्य सही तरीके से नहीं होने को दर्शाता है. शिक्षा, चिकित्सा, उद्योग, इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास, कृषि को बढ़ावा, युवाओं के लिए रोजगार जैसे कई कार्य प्रमुखता से पूरी करनी होगी. सामान्य जन के जीवन स्तर में सुधार के लिए जरूरी है, कि व्यवस्थाओं को बेहतर बनाते हुए विकास की मुख्य धारा से नवादा लोकसभा क्षेत्र को भी जोड़ा जाए. चुनावी वादों को धरातल पर उतारने की जिम्मेदारी अब सांसद विवेक ठाकुर की कंधों पर है, लोग अब जिले में विकास कार्यों की बेहतर गति का इंतजार कर रहे हैं. वादे जो अभी हैं अधूरे:

चुनाव से पहले नेताओं ने वादे किये जाते हैं, उसमें अधिकतर वादे आज भी अधूरे हैं. शिक्षा के क्षेत्र में नवादा काफी पिछड़ा है. यहां के हजारों विद्यार्थी प्रत्येक वर्ष पटना, कोटा, दिल्ली जैसे शहरों में जाकर पढ़ाई करने के लिए बाध्य होते हैं. केंद्रीय विद्यालय, जिले के कॉलेज में पीजी स्तर की पढ़ाई, मेडिकल, नर्सिंग जैसे कॉलेज, कई प्रखंड क्षेत्र में डिग्री कॉलेज शुरू करने की मांग वर्षो से होती रही है. बाजार में जाम एक बड़ी समस्या:

इंफ्रास्ट्रक्चर में विकास के लिए नवादा वर्षों से इंतजार कर रहा है. रेलवे दोहरीकरण व विद्युतीकरण से कम्युनिकेशन का बेहतर साधन बनेगा, लेकिन स्थानीय बाजार में जाम एक बड़ी समस्या है. ओवरब्रिज बनाने का मांग वर्षो अधर में लटका है. लेकिन, इसे अभी शुरू नहीं किया जा सका है. रांची, पटना नेशनल हाइवे को फोरलेन में बदल गया है, लेकिन नवादा जिले के अंतर्गत पड़ने वाले एरिया में जिस तरीके से यह सड़क निर्माण हुआ है, इससे क्षेत्र में विकास होने के बजाय कई गांव का संपर्क आमने-सामने के गांव से ही टूट गया है. रजौली से नवादा बॉर्डर खरांट मोड तक नेशनल हाइवे के निर्माण में सर्वे के दौरान ही काफी गड़बड़ी की गयी. इसी का नतीजा है कि जो डीपीआर तैयार हुई, उसमें अधिकतर स्थानों पर बहुत जरूरी समझे जाने पर अंडर पास बनाकर बाजार और गांव को जोड़ने का प्रयास किया गया. जबकि, इसी नेशनल हाइवे में नालंदा जिले के गिरियक से जो निर्माण हुआ है, उसमें सभी बाजारों में एलिवेटेड स्ट्रक्चर के माध्यम से ओवर ब्रिज बनकर बाजार और आसपास के गांव के पास से नेशनल हाइवे गुजरी है, जिसके कारण वहां पर स्थिति काफी बेहतर है.

मूलभूत सुविधाओं का है अभाव:

नयी सरकार गठन के बाद लोगों की अपेक्षाएं काफी बढ़ गयी है. बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, रोजगार जैसे मूलभूत समस्याओं के साथ ही आधुनिक नये निर्माण और विस्तार करने के लिए लोग मांग उठा रहे हैं. स्मार्ट सीटी बनाने का दावा मोदी सरकार ने अपने पहले ही कार्यकाल में किया था, लेकिन वह वादा आज भी अधूरा है.

क्या कहते हैं लोग:

पार्क, पार्किंग जैसी मूलभूत सुविधाओं का आभाव है. फुटपाथ दुकानदारों के लिए सभी क्षेत्रों में वेंडिंग जोन का निर्माण, अपराध नियंत्रण के लिए प्रभावी उपाय, क्षेत्र के सौंदर्यीकरण के लिए कारगर योजना, लोगों की सुरक्षा जैसे कार्य को प्रमुखता के साथ करने की जरूरत है. इसके लिए पहल कर आगे आने की जरूरत है.

पल्लवी वर्मा, पार नवादापांचवी अर्थव्यवस्था बनने के बाद देश को विकसित भारत बनाने की दिशा में प्रधानमंत्री काम करने का दावा कर रहे हैं. नवादा में रोजगार सबसे प्रमुख समस्याओं में से एक है. युवा वर्ग शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दे को लेकर चिंतित रहते हैं. जिले में आधुनिक शिक्षण व्यवस्था के साथ ही रोजगार उत्पन्न करने वाले उद्योग धंधों की शुरुआत करने की जरूरत है. – जय प्रकाश मुन्ना, न्यू एरियाकेंद्र और राज्य की योजनाओं को यदि सही तरीके से धरातल पर उतरने की व्यवस्था बने, तो यह आम लोगों के हित में काफी बेहतर होगा. सरकार की योजनाओं का लाभ सही लाभुक तक पहुंच ही नहीं पाता है. चुनावी वादों को धरातल पर उतरने की जरूरत है. नवादा में सांसद स्थायी रूप से रहते हुए विकास कार्यों को बढ़ावा दें.

डॉ आरपी साहू, समाजसेवीकृषि के लिए आज भी हमलोग प्रकृति की बारिश पर निर्भर हैं. अपर सकरी जलाशय योजना, नहर, आहर जैसे नये निर्माण, सरकार के बीज, कृषि आदि योजनाओं का सही रूप से जरूरतमंद लाभुक के बीच वितरण हो. कृषि से जुड़े उद्योग धंधों को बढ़ावा देने के लिए कारगर कदम उठाने की जरूरत है.

– धर्मेंद्र कुमार सिंह, किसान

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