वारिसलीगंज. संसार में समस्त बौद्धिक कार्यों के प्रणेता, प्राणियों के शुभाशुभ कर्मों की गणना करनेवाले चित्रगुप्त महाराज की जयंती रविवार को कायस्थ समाज के लोगों ने धूमधाम से मनायी. चित्रांश समाज के लोगों ने मंदिर के अलावा घरों में पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की. इसी के साथ कायस्थों ने अपने आजीविका के साधन कलम-दवात के प्रति निष्ठा व कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए उनके प्रति शीश झुकाया. प्रखंड व नगर क्षेत्र में कायस्थ समाज के लोगों ने अपने कुल देवता चित्रगुप्त महाराज का श्रद्धा व उत्साह के साथ पूजा-अर्चना की. मान्यता है कि बैकुण्ठ लोक में समस्त प्राणियों के शुभाशुभ कर्मों के अनुसार उनके कर्मफल का निर्धारण करने वाले भगवान चित्रगुप्त कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को प्रजापिता ब्रम्हा की 11 हजार वर्षों की अखंड तपस्या के फलस्वरूप लेखनी और मसिपात्र (दवात) लेकर उनकी काया से उत्पन्न हुए थे. इसी दिन से उनके वंशज कायस्थ समाज के लोग उनकी जयंती मनाते हैं. चित्रांश समाज के लोगों ने अपने-अपने घरों में चित्रगुप्त भगवान की व लेखनी के देवता कलम-दवात की पूजा की.
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